(इंट्रो)
(26 दिसंबर की शाम देश ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह को खो दिया। मनमोहन सिंह का पूरा जीवन सादगी से भरा रहा। वह एक ऐसे नेता थे जो सभी राजनीति दलों में लोकप्रिय रहे। डॉ मनमोहन सिंह सक्रिय राजनीति में रहने के बावजूद विवादों से दूर रहे। मनमोहन सिंह हमेशा अपने शांत स्वभाव और सादगी के लिए जाने गए। वो न तो भाषणों में जोश दिखाते थे और न ही किसी विवाद में पड़ते थे। उनका काम ही उनकी पहचान थी । 1991 में नरसिंह राव सरकार में भारत के वित्त मंत्री के रूप में सिंह की नियुक्ति था। उस समय भारत पर भारी कर्ज था । मनमोहन सिंह ने एक बड़ा फैसला लिया और भारत को खुले बाजार की ओर ले गए। उन्होंने लाइसेंस-परमिट राज खत्म किया, टैक्स कम किए, विदेशी निवेश को बढ़ावा दिया और भारत में कारोबार करना आसान बनाया। आधुनिक भारत के आर्थिक नायक मनमोहन सिंह की दूरदर्शिता और साहसिक नीतियों ने न केवल उस समय के संकट को टाला बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी। इसके साथ 10 साल प्रधानमंत्री रहते हुए उन्होंने देश के विकास के लिए कई बड़े फैसले लिए। उनके निधन पर भाजपा, कांग्रेस समेत तमाम राजनीतिक दलों ने शोक श्रद्धांजलि दी। )
साल 2024 के आखिरी दिनों में राजनीति जगत में अपूरणीय क्षति हुई । गुरुवार, 26 दिसंबर की शाम देश ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह को खो दिया। डॉ मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। पूर्व पीएम की तबीयत अचानक बिगड़ने पर दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया जहां इलाज के दौरान गुरुवार देर शाम उनका निधन हो गया। मनमोहन सिंह कांग्रेस के दिग्गज नेता के साथ महान अर्थशास्त्री भी थे। मनमोहन सिंह का पूरा जीवन सादगी से भरा रहा। वह एक ऐसे नेता थे जो सभी राजनीति दलों में लोकप्रिय रहे। इसके साथ डॉ मनमोहन सिंह सक्रिय राजनीति में रहने के बावजूद विवादों से दूर रहे। मनमोहन सिंह हमेशा अपने शांत स्वभाव और सादगी के लिए जाने गए। वो न तो भाषणों में जोश दिखाते थे और न ही किसी विवाद में पड़ते थे। उनका काम ही उनकी पहचान थी । मनमोहन सिंह ने भारत को आर्थिक संकट से उबारा और देश को दुनिया में नई पहचान दिलाई। उन्होंने साबित किया कि बिना शोर मचाए भी बड़े बदलाव किए जा सकते हैं। उनके निधन के साथ भारत ने एक ऐसा नेता खो दिया है, जिसने सादगी, ईमानदारी और कर्मठता से देश की सेवा की। उन्होंने 1991 में देश के वित्त मंत्री रहने के दौरान आर्थिक सुधारों और प्रधानमंत्री रहते कई ऐतिहासिक फैसलों से देश को नई दिशा दी। मनमोहन सिंह सौम्यता, सरलता और सहजता की मिसाल थे। उन्होंने दस साल में देश की सूरत बदल दी थी। आर्थिक मंदी के दौर में भी भारत मजबूती के साथ खड़ा रहा, यह उनकी ही सोच और नीतियों का परिणाम था। डॉ. सिंह को भारत के 14वें प्रधानमंत्री के रूप में देश का नेतृत्व करने के लिए चुना गया जब सोनिया गांधी ने इस भूमिका को संभालने से इनकार किया और अपनी जगह उनका चयन किया। उन्होंने 22 मई 2004 को प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली और 22 मई, 2009 को दूसरे कार्यकाल के लिए पद संभाला।
इस युग में अभूतपूर्व विकास और समृद्धि की कहानी देखी गई, जहां यह माना जाता है कि उनके प्रधानमंत्रित्व काल में देश की आर्थिक वृद्धि सबसे अधिक थी। मनमोहन सिंह केे निधन पर भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर के दिग्गज नेताओं ने शोक जताया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, सोनिया गांधी और प्रियंका समेत देश के कई प्रमुख नेताओं ने पूर्व डॉ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर दुख जताया तथा देश की आर्थिक प्रगति में उनके योगदान को याद किया। मनमोहन सिंह के निधन के चलते केंद्र सरकार ने 7 दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है। वहीं कांग्रेस ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सम्मान में अपने सभी आधिकारिक कार्यक्रमों को सात दिन के लिए रद कर दिए शोक की इस अवधि के दौरान पार्टी का झंडा आधा झुका रहेगा। डॉ. मनमोहन सिंह को दुनिया भर में उनकी आर्थिक विद्वता और काम के लिए सम्मान दिया जाता था। कभी अपने गांव में मिट्टी के तेल से जलने वाले लैंप की रोशनी में पढ़ाई करने वाले सिंह आगे चलकर एक प्रतिष्ठित शिक्षाविद बने। सिंह की 1990 के दशक की शुरुआत में भारत को उदारीकरण की राह पर लाने के लिए सराहना की गई, लेकिन प्रधानमंत्री के रूप में अपने 10 साल के कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार के आरोपों पर आंखें मूंद लेने के लिए भी उनकी आलोचना की गई। इस साल अप्रैल में मनमोहन सिंह राज्यसभा से सेवानिवृत्त हुए थे, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने उनके लंबे संसदीय करियर की प्रशंसा की थी। वर्ष 2018 में मुंबई के एक कार्यक्रम में दिए भाषण में सोनिया ने कहा कि मुझे स्वीकार करने में कोई शर्म नहीं कि मुझे पता था कि 2004 के लोकसभा चुनावों में डॉ. मनमोहन सिंह उनसे बेहतर प्रधानमंत्री होंगे। सोनिया गांधी ने कहा था, मुझे अपनी सीमाएं पता थीं। मुझे पता था कि मनमोहन सिंह मुझसे बेहतर प्रधानमंत्री साबित होंगे। अविभाजित भारत (अब पाकिस्तान) के पंजाब प्रांत के गाह गांव में 26 सितंबर, 1932 को गुरमुख सिंह और अमृत कौर के घर जन्मे सिंह ने 1948 में पंजाब में अपनी मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की। उनका अकादमिक करियर उन्हें पंजाब से ब्रिटेन के कैंब्रिज तक ले गया जहां उन्होंने 1957 में अर्थशास्त्र में प्रथम श्रेणी ऑनर्स की डिग्री हासिल की। सिंह ने इसके बाद 1962 में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के नाफील्ड कॉलेज से अर्थशास्त्र में ‘डी फिल’ की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत पंजाब विश्वविद्यालय और प्रतिष्ठित ‘दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स’ डिपार्टमेंट में लेक्चरर से की। मनमोहन सिंह ने ‘यूएनसीटीएडी’ सचिवालय में भी कुछ समय तक काम किया और बाद में 1987 और 1990 के बीच जिनेवा में ‘साउथ कमीशन’ के महासचिव बने। वर्ष 1971 में सिंह भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में शामिल हुए। इसके तुरंत बाद 1972 में वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में उनकी नियुक्ति हुई। उन्होंने जिन कई सरकारी पदों पर काम किया उनमें वित्त मंत्रालय में सचिव, योजना आयोग के उपाध्यक्ष, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर, प्रधानमंत्री के सलाहकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष के पद शाामिल हैं। मनमोहन सिंह का राजनीतिक करियर 1991 में राज्यसभा के सदस्य के रूप में शुरू हुआ, जहां वह 1998 से 2004 के बीच विपक्ष के नेता रहे। उन्होंने इस साल (3 अप्रैल) को राज्यसभा में अपनी 33 साल लंबी संसदीय पारी समाप्त की। मनमोहन के परिवार में पत्नी गुरशरण कौर और तीन बेटियां हैं।
साल 1991 में वित्त मंत्री रहते हुए मनमोहन सिंह ने देश को आर्थिक संकट से उभारा था–
साल 1991 में जब देश की अर्थव्यवस्था बुरे दौर से गुजर रही थी। तब डॉ. मनमोहन सिंह के सियासी करियर का महत्वपूर्ण मोड़ 1991 में नरसिंह राव सरकार में भारत के वित्त मंत्री के रूप में सिंह की नियुक्ति था। उस समय भारत पर भारी कर्ज था और विदेशी मुद्रा भंडार लगभग खत्म हो चुका था। मनमोहन सिंह ने एक बड़ा फैसला लिया और भारत को खुले बाजार की ओर ले गए। उन्होंने लाइसेंस-परमिट राज खत्म किया, टैक्स कम किए, विदेशी निवेश को बढ़ावा दिया और भारत में कारोबार करना आसान बनाया। आधुनिक भारत के आर्थिक नायक डॉ. मनमोहन सिंह की दूरदर्शिता और साहसिक नीतियों ने न केवल उस समय के संकट को टाला बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी। आज की मजबूत भारतीय अर्थव्यवस्था उन्हीं सुधारों की नींव पर खड़ी है। उनके योगदान ने साबित कर दिया कि सही निर्णय और दृष्टिकोण किसी भी संकट को अवसर में बदल सकते हैं।आर्थिक सुधारों की एक व्यापक नीति शुरू करने में उनकी भूमिका को अब दुनिया भर में मान्यता प्राप्त है। मनमोहन सिंह ने जुलाई, 1991 के बजट में अपने प्रसिद्ध भाषण में कहा था, ‘पृथ्वी पर कोई भी ताकत उस विचार को नहीं रोक सकती जिसका समय आ गया है। मैं इस प्रतिष्ठित सदन को सुझाव देता हूं कि भारत का दुनिया में एक प्रमुख आर्थिक शक्ति के रूप में उदय होना चाहिए, यह एक ऐसा ही एक विचार है। डॉक्टर मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री रहे। उनके 10 साल के कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण योजनाएं बनीं जिन्होंने देश की दिशा और दशा बदलने में अहम भूमिका निभाई। इनमें मनरेगा शिक्षा का अधिकार सूचना का अधिकार और आधार योजना शामिल हैं। 24 जुलाई 1991 को पेश किया गया बजट आर्थिक सुधारों का अहम हिस्सा था। टैक्स में सुधार, म्यूचुअल फंड में निजी भागीदारी और विदेशी निवेश के लिए दरवाजे खोले गए। इन सुधारों से भारतीय बाजार को वैश्विक स्तर पर पहचान मिली। इस महत्वपूर्ण बजट को आधुनिक भारत के इतिहास में सबसे बड़ी घटनाओं में से एक माना जाता है। डॉ. सिंह की आर्थिक नीतियों का ही कमाल था कि दो साल यानी 1993 में ही देश का विदेशी मुद्रा भंडार 1 अरब डॉलर से बढ़कर 10 अरब डॉलर हो गया। यही नहीं, 1998 में यह 290 अरब डॉलर तक पहुंच गया था। डॉ मनमोहन सिंह ने देश की अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए । प्रधानमंत्री रहते हुए मनमोहन सिंह ने पांच महत्वपूर्ण योजनाओं को शुरू किया। मनमोहन सिंह सरकार की रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) इस महत्वाकांक्षी योजना ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था का कायाकल्प कर दिया। इससे बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार का मौका मिला और उनके आर्थिक हालत सुधरे। इस योजना की तारीफ वर्ल्ड बैंक ने भी की है। उसने इसे दुनिया का सबसे बड़ा लोक-निर्माण कार्यक्रम करार दिया है। इससे देश की 15 फीसदी आबादी को सामाजिक सुरक्षा मिल रही है। मनमोहन सिंह की सरकार 6 से 14 को शिक्षा का मौलिक अधिकार दिया। इसे 4 अगस्त 2009 को संसद से पास किया गया। यह संविधान के अनुच्छेद 21ए के तहत भारत में 6 से 14 साल के बच्चों के लिए निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा के महत्व को दर्शाता है। इस योजना के जरिए 6 से 14 साल के बच्चों को सरकार मुफ्त शिक्षा उपलब्ध कराती है। राइट टु इन्फॉर्मेशन एक्ट देश की जनता को सरकारी अधिकारियों और संस्थानों से सूचना मांगने का हक देता है। इससे लोक प्रशासन में पारदर्शिता सुनिश्चित करने में मदद मिली। जवाबदेही को बढ़ावा मिला। यह एक्ट भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में भी कारगर साबित हुआ। मनमोहन सिंह के कार्यकाल में पहचान के लिए आधार कार्ड बनाने की शुरुआत हुई। उन्होंने 2009 में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण का गठन किया गया था। आधार योजना की तारीफ संयुक्त राष्ट्र तक भी कर चुका है। आधार की मदद से सरकार को कई योजनाओं का आर्थिक लाभ सीधे जनता तक पहुंचाने में मदद मिली। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 देश के करीब 140 करोड़ लोगों में से लगभग दो तिहाई लोगों को सब्सिडी वाला खाद्यान्न उपलब्ध कराना है। इसका मकसद है कि देश का कोई नागरिक भूखा न रहे। इसमें सरकार गरीब जनता क सस्ती दर पर पर्याप्त मात्रा में बेहतर खाद्यान्न उपलब्ध कराती है, ताकि लोगों खाद्य एवं पोषण सुरक्षा मिले और वे सम्मान के साथ जिंदगी जी सकें। उनके कार्यकाल में कई विवाद भी हुए। 2जी स्पेक्ट्रम, कोलगेट और कॉमनवेल्थ गेम्स जैसे घोटाले उनकी छवि पर धब्बा बने। हालांकि, इन घोटालों की जांच में आज तक कोई ठोस सबूत नहीं मिला। 2008 में उनकी सरकार पर संकट आया जब वामपंथी दलों ने समर्थन वापस ले लिया। लेकिन मुलायम सिंह और मायावती के समर्थन से उनकी सरकार बच गई। मनमोहन सिंह ने राहुल गांधी द्वारा दोषी राजनेताओं को चुनाव लड़ने की अनुमति देने के लिए अध्यादेश लाने के केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले की प्रति फाड़ने के बाद सिंह ने लगभग इस्तीफा देने का मन बना लिया था। उस समय वह विदेश में थे। भाजपा द्वारा सिंह पर अक्सर ऐसी सरकार चलाने का आरोप लगाया जाता था जो भ्रष्टाचार से घिरी हुई थी। पार्टी ने उन्हें मौनमोहन सिंह की संज्ञा दी थी और आरोप लगाया था कि उन्होंने अपने मंत्रिमंडल में भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ नहीं बोला। प्रधानमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में मनमोहन सिंह को विवादास्पद मुद्दों पर अपनी सरकार के रिकॉर्ड और कांग्रेस के रुख का बचाव करते देखा गया और कहा कि वह एक कमजोर प्रधानमंत्री नहीं थे। सिंह ने तब कहा था, मैं ईमानदारी से उम्मीद करता हूं कि समकालीन मीडिया या उस मामले में संसद में विपक्षी दलों की तुलना में इतिहास मेरे प्रति अधिक दयालु होगा।
राष्ट्रपति मुर्मू, पीएम मोदी, खड़गे और राहुल गांधी समेत तमाम नेताओं ने जताया शोक–
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पोस्ट किया, ”पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जी उन चुनिंदा राजनेताओं में से एक थे, जिन्होंने शिक्षा और प्रशासन की दुनिया में भी समान सहजता से काम किया। सार्वजनिक पदों पर अपनी विभिन्न भूमिकाओं में उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने कहा कि सिंह को राष्ट्र के प्रति उनकी सेवा, उनके बेदाग राजनीतिक जीवन और उनकी अत्यंत विनम्रता के लिए हमेशा याद किया जाएगा। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने भारत के आर्थिक परिदृश्य को पूरी तरह से बदल दिया। उपराष्ट्रपति सचिवालय ने धनखड़ के हवाले से कहा, मनमोहन सिंह ने साहसपूर्वक हमारे देश को महत्वपूर्ण परिवर्तन के दौर में संभाला और विकास तथा समृद्धि के नए रास्ते खोले। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर भावुक करने वाला पोस्ट किया। उन्होंने कहा कि भारत अपने सबसे प्रतिष्ठित नेताओं में से एक डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर शोकाकुल है। साधारण पृष्ठभूमि से उठकर मनमोहन सिंह एक सम्मानित अर्थशास्त्री बने। उन्होंने वित्त मंत्री सहित विभिन्न सरकारी पदों पर काम किया और वर्षों तक हमारी आर्थिक नीति पर अपनी गहरी छाप छोड़ी। संसद में उनके हस्तक्षेप भी बहुत ही व्यावहारिक थे। हमारे प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए व्यापक प्रयास किए। राहुल गांधी ने कहा कि मनमोहन सिंह जी ने असीम बुद्धिमत्ता और निष्ठा के साथ भारत का नेतृत्व किया। उनकी विनम्रता और अर्थशास्त्र की गहरी समझ ने देश को प्रेरित किया। उन्होंने कहा, ”मैंने एक संरक्षक और मार्गदर्शक खो दिया है। हममें से लाखों लोग जो उनके प्रशंसक थे, उन्हें अत्यंत गर्व के साथ याद करेंगे। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर शोक जताया और कहा कि वह विरोधियों द्वारा अनुचित और व्यक्तिगत हमलों के बावजूद देश की सेवा करने की अपनी प्रतिबद्धता पर दृढ़ रहे। प्रियंका गांधी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, सरदार मनमोहन सिंह जी की तरह कम ही लोग राजनीति में प्रेरित करते हैं। उनकी ईमानदारी हमारे लिए हमेशा प्रेरणा बनी रहेगी और वह हमेशा उन लोगों के बीच खड़े रहेंगे जो वास्तव में इस देश से प्यार करते हैं, एक ऐसे व्यक्ति के रूप में जो अपने विरोधियों द्वारा अनुचित और गहरे व्यक्तिगत हमलों के बावजूद देश की सेवा करने की अपनी प्रतिबद्धता पर दृढ़ रहे। मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी दोनों सीडब्ल्यूसी की बैठक में शामिल होने के लिए बेलगावी गए थे और मनमोहन सिंह के निधन की खबर आते ही वे दिल्ली पहुंचे। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एक्स पर पोस्ट किया कि इतिहास आपका दयालुता के साथ मूल्यांकन करेगा, डॉ. मनमोहन सिंह जी! पूर्व प्रधानमंत्री के निधन से, भारत ने एक दूरदर्शी राजनेता, बेदाग सत्यनिष्ठ नेता और अद्वितीय कद का अर्थशास्त्री खो दिया है। उन्होंने कहा कि आर्थिक उदारीकरण और अधिकार-आधारित उनकी नीति ने करोड़ों भारतीय नागरिकों के जीवन को गहराई से बदल दिया। जिसने भारत में एक मध्यम वर्ग का निर्माण किया और करोड़ों लोगों को गरीबी से बाहर निकाला। खरगे ने कहा कि मैं एक वरिष्ठ सहकर्मी, एक सौम्य बुद्धिजीवी और एक विनम्र व्यक्ति के निधन पर शोक व्यक्त करता हूं, जिन्होंने भारत की आकांक्षाओं को मूर्त रूप दिया, जो अटूट समर्पण के साथ आगे बढ़े। उन्होंने कहा कि मुझे श्रम मंत्री, रेल मंत्री और समाज कल्याण मंत्री के रूप में उनके मंत्रिमंडल का हिस्सा होने पर गर्व है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्व प्रधानमंत्री के निधन पर दुख जताया। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जी के निधन की सूचना अत्यंत दुःखद है। भारतीय रिजर्व बैंक में गवर्नर से लेकर देश के वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री के रूप में डॉ. मनमोहन सिंह जी ने देश की शासन व्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। दुःख की इस घड़ी में उनके परिजनों व समर्थकों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं। वाहेगुरु जी उनकी आत्मा को सद्गति प्रदान करें और उनके परिवारजनों को यह दुःख सहने की शक्ति दें। वहीं, दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जी का निधन देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनकी विद्वता और सादगी के गुणों को शब्दों में पिरोना असंभव है। ईश्वर उन्हें अपने श्री चरणों में स्थान दें। उनके परिवार और शुभचिंतकों के प्रति मेरी संवेदनाएं।कांग्रेस नेता शशि थरूर ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर दुख जताया। उन्होंने कहा कि यह बहुत दुखद है। वह एक महान प्रधानमंत्री थे जिन्होंने देश की सेवा की। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जी के निधन का समाचार सुनकर अतीव दुःख हुआ। देश के वित्त मंत्री के रूप में भारत की अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने का कार्य उन्होंने किया। उच्चशिक्षित होने के साथ साथ विनम्र, शालीन, संवेदनशील और देश के प्रति समर्पित ऐसा उनका व्यक्तित्व था। भाजपा अध्यक्ष के रूप में कई बार उनसे वार्तालाप करने का अवसर मिला। उनमें सदैव देश को आगे बढ़ाने की सोच थी। ये देश डॉ. मनमोहन सिंह जी को कभी भूल नही सकता। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें और परिजनों को संबल दे। बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने लिखा कि, देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह जी का निधन दुःखद। वे एक कुशल राजनेता एवं अर्थशास्त्री थे। उनके नेतृत्व में भारत की अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिली। डॉ मनमोहन सिंह जी का निधन भारतीय राजनीति के लिए अपूरणीय क्षति है। ईश्वर से दिवंगत आत्मा की चिर शांति के लिए प्रार्थना है।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष ने पूर्व पीएम के निधन पर दुख जताते हुए लिखा कि, सत्य और सौम्य व्यक्तित्व के धनी महान अर्थशास्त्री भूतपूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी का निधन एक अंतरराष्ट्रीय अपूरणीय क्षति है। ओडिशा के पूर्व राज्यपाल रघुवर दास ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करके लिखा, पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जी के निधन की दुखद सूचना मिली। महाप्रभु जगन्नाथ जी दिवंगत आत्मा को अपने निज धाम में स्थान दें। उनके परिजनों के प्रति गहरी संवेदना प्रकट करता हूं। कांग्रेस सांसद कुमारी शैलजा ने एक्स पर लिखा, “पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जी के निधन की सूचना से मन बेहद आहत है। उनका जाना पूरे देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है, लेकिन मेरे लिए यह परिवार के एक बड़े और मार्गदर्शक के चले जाने जैसा है। भारत के आर्थिक सुधारों में उनका योगदान ऐतिहासिक है। उनके नेतृत्व में भारत ने उदारीकरण, वैश्वीकरण और आर्थिक विकास की राह पकड़ी, जिसने करोड़ों भारतीयों के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया। मेरे लिए उनके साथ काम करना न केवल एक सौभाग्य था, बल्कि हर पल उनसे सीखने का अवसर भी मिला। उनकी सादगी, धैर्य और निस्वार्थ सेवा का उदाहरण सदैव प्रेरणा देता रहेगा। देश उनके योगदान को हमेशा याद रखेगा। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति दें। विनम्र श्रद्धांजलि। आप’ के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने ‘एक्स’ पर लिखा, विश्व प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और भारतीय अर्थव्यवस्था के उदारीकरण के पीछे के वास्तुकार, डॉ. मनमोहन सिंह जी ने भारत को कठिन समय से निकालकर एक नए युग में पहुंचाया। ऑक्सफोर्ड से शिक्षा प्राप्त अर्थशास्त्री, उन्होंने भारत के 1991 के आर्थिक सुधारों का नेतृत्व किया और प्रधानमंत्री के रूप में राष्ट्र का नेतृत्व शांत दृढ़ संकल्प के साथ किया, जिससे साबित हुआ कि बुद्धि और ईमानदारी से परिवर्तनकारी बदलाव लाया जा सकता है। मैं हमारे सबसे प्रतिष्ठित राजनेताओं में से एक के निधन पर शोक व्यक्त करने वाले राष्ट्र के साथ हूं। उनकी विरासत हमेशा बनी रहेगी और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगी।
डॉ मनमोहन सिंह के निधन पर सीएम धामी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने दी श्रद्धांजलि–
देश के पूर्व प्रधानमंत्री और महान अर्थशास्त्री डॉक्टर मनमोहन सिंह के निधन पर उत्तराखंड के कांग्रेस और भाजपा के नेताओं ने शोक श्रद्धांजलि दी । मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत समेत तमाम नेताओं ने मनमोहन सिंह के निधन पर शोक जताया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक्स पर ट्वीट कर लिखा, देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जी के निधन का अत्यंत दुःखद समाचार प्राप्त हुआ। विभिन्न दायित्वों का निर्वहन करते हुए उनका संपूर्ण जीवन राष्ट्र की सेवा के प्रति समर्पित रहा। ईश्वर से प्रार्थना है कि पुण्यात्मा को श्रीचरणों में स्थान एवं शोक संतप्त परिजनों व समर्थकों को यह असीम कष्ट सहन करने की शक्ति प्रदान करें। बता दें कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पिछले लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनकी तबीयत बिगड़ने के बाद दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां इलाज के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली। पूर्व सीएम और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने लिखा है कि डॉ.मनमोहन सिंह एक अभूतपूर्व व्यक्तित्व, एक ऐसे वित्त मंत्री जिन्होंने भारत के आर्थिक विकास की बुनियाद जिसे राजीव गांधी ने रखा था। नई आर्थिक योजनाओं के साथ उस बुनियाद को ऊपर उठाया। आज की बुलंद इमारत उनके वित्त मंत्री के रूप में जो कृतित्व था, उसी का परिणाम है और उसी को उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आगे बढ़ाया। हरीश रावत ने लिखा कि भारत को एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में स्थापित करने के रास्ते पर खड़ा किया। हमको 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनने का सपना दिखाया और उस सपने की दिशा में वह देश को आगे लेकर के चले, उनके ही कार्यकाल में 27 करोड़ लोग गरीबी की रेखा से ऊपर आए। गरीबों को मनरेगा के काम का अधिकार, वनवासियों को जंगल के निकट जहां वह रहे थे वहां उन्होंने वनाधिकार के रूप में अधिकार प्रदान किया। किसानों को 70 हजार करोड़ की कर्ज माफी, सूचना का अधिकार सार्वजनिक जीवन की स्वच्छता की दिशा में एक अभूतपूर्व कदम, शिक्षा का अधिकार, चिकित्सा का अधिकार, अन्न सुरक्षा का अधिकार, एक के बाद एक अधिकारों की श्रृंखला आमजन के लिए देने वाले प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जी हमारे बीच आज नहीं हैं, लेकिन वह हमारे व देशवासियों के दिलों में और भारत के शुभचिंतकों के दिलों में हमेशा रहेंगे। एक महान सिख, एक महान भारतवासी, एक महामानव डॉ. मनमोहन सिंह जी आप हमको हमेशा याद आएंगे। हम सब शोक संतृप्त हैं, एक-दूसरे को सांत्वना दे सकते हैं। उत्तराखंड कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का जाना राजनीतिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र के लिए गहरी क्षति है। जिसे भर पाना असंभव प्रतीत होता है।