Supreme Court: भारत में अवैध रूप से रह रहे शरणार्थियों को लेकर सर्वोच्च अदालत ने सोमवार, 19 मई को महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला ऐसे समय में आया है जब भारत के कई राज्यों में लाखों लोग शरणार्थियों का जीवन व्यतीत कर रहे हैं। जिसमें बांग्लादेशियों संख्या सबसे अधिक है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को शरणार्थियों को लेकर अहम टिप्पणी की। शीर्ष अदालत ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि भारत कोई धर्मशाला नहीं है, दुनिया भर से आए शरणार्थियों को भारत में शरण क्यों दें? हम 140 करोड़ लोगों के साथ संघर्ष कर रहे हैं। हम हर जगह से आए शरणार्थियों को शरण नहीं दे सकते। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस दीपांकर दत्ता ने श्रीलंका से आए तमिल शरणार्थी को हिरासत में लिए जाने के मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए यह बात कही।
शीर्ष अदालत में श्रीलंका के एक नागरिक की हिरासत के खिलाफ याचिका दाखिल की गई थी, लेकिन कोर्ट ने याचिका पर दखल देने से इनकार कर दिया। पीठ मद्रास हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें निर्देश दिया गया था कि याचिकाकर्ता को UAPA मामले में लगाए गए 7 साल की सजा पूरी होते ही तुरंत भारत छोड़ देना चाहिए।
श्रीलंका के याचिकाकर्ता के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह एक श्रीलंकाई तमिल हैं, जो वीजा पर यहां आया था। अपने देश में उसने जान को खतरा बताया था। याचिकाकर्ता बिना किसी निर्वासन प्रक्रिया के लगभग तीन वर्षों से नजरबंद है।