14 महीनों से राजधानी दिल्ली में कृषि कानून के विरोध में डेरा जमाए कई राज्यों के किसानों ने आखिरकार आंदोलन खत्म करने का गुरुवार को एलान कर दिया। घर वापसी के लिए किसानों ने टेंट और तंबू उखाड़ ने शुरू कर दिए हैं। किसान अपने अपने घरों की ओर लौटने लगे हैं। किसानों के इस फैसले के बाद केंद्र सरकार को भी राहत मिली है। जैसे पहले ही कयास लगाए जा रहे थे कि किसान गुरुवार को अपना आंदोलन खत्म करने का एलान कर सकते हैं। आखिरकार दोपहर बाद किसानों ने बैठक करने के बाद यह आंदोलन खत्म करने का निर्णय लिया है। बता दें कि। एक साल से जारी किसान आंदोलन अब खत्म हो गया। संयुक्त किसान मोर्चा ने इसका एलान किया है ।इससे पहले मोर्चा ने लंबी बैठक की, जिसके बाद घर वापसी पर फैसला लिया गया। किसान नेता बलवीर राजेवाल ने कहा कि हम सरकार को झुकाकर वापस जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि 15 जनवरी को किसान मोर्चा की फिर बैठक होगी, जिसमें आगे की रणनीति पर चर्चा होगी। किसान वापसी के ऐलान के बाद 11 दिसंबर से दिल्ली बॉर्डर से किसान लौटेंगे। राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों ने भी ‘घर वापसी’ की तैयारी शुरू कर दी है। सिंघु-कोंडली बॉर्डर पर पिछले एक साल से डटे किसान अब लौट रहे हैं। किसानों ने बॉर्डर पर बनाए अपने टेंट को उखाड़ना शुरू कर दिया है और तिरपाल, बिस्तर को ट्रकों-ट्रैक्टरों में रखना शुरू कर दिया है। किसानों का कहना है कि सरकार ने उनकी मांगों को मान लिया है, इसलिए अब वो वापस लौट रहे हैं। यहां हम आपको बता दें कि किसान और सरकार के बीच इन मुद्दों पर सहमति बनी है। केंद्र सरकार कमेटी बनाएगी, जिसमें संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधि लिए जाएंगे। अभी जिन फसलों पर एमएसपी मिल रही है, वह जारी रहेगी। एमएसपी पर जितनी खरीद होती है, उसे भी कम नहीं किया जाएगा। हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार केस वापसी पर सहमत हो गई है। दिल्ली और अन्य केंद्रशासित प्रदेशों के साथ रेलवे द्वारा दर्ज केस भी तत्काल वापस होंगे। मुआवजे पर भी उत्तर प्रदेश और हरियाणा में सहमति बन गई है। पंजाब सरकार की तरह ही यहां भी 5 लाख का मुआवजा दिया जाएगा। किसान आंदोलन में 700 से ज्यादा किसानों की मौत हुई है। बिजली संशोधन बिल को सरकार सीधे संसद में नहीं ले जाएगी। पहले उस पर किसानों के अलावा सभी संबंधित पक्षों से चर्चा होगी।