जौनपुर : आज माता के नवरात्र का तीसरा दिन है। और तीसरे दिन भगवती माँ के तीसरे स्वरूप माँ चंद्र घंटा की पूजा की जाती है । माता के सर और अर्द्ध चंद्र है और इसी कारण इन्हे चंद्र घंटा कहा जाता है । सुरेंद्र कुमार पांडे ने बताया कि ये माँ का स्वरूप शांतिदायक है और बहूत कल्याणकारी है । इस दिन साधक का मन मणिपुर चक्र मे प्रविष्ट होता है । माँ चंद्र घंटा की कृपा से साधक को दिव्य सुगंध का आभास होता है। साधक को अलौकिक दर्शन होते है और अलग-अलग दिव्य ध्वनिया सुनाई देती है । पांडे ने बताया कि अगर साथ मे गुरु का सानिध्य है और माता की कृपा है तो साधक के समस्त पाप और बाधाएं नष्ट हो जाती है माँ चंद्र घंटा की आराधना सदा फलदायी है माँ की मुद्रा सदैव युद्ध के लिये तयार रहने वाली है माँ अपने भक्तो के समस्त कष्टों का निवारण आती शीघ्र करती है इनका वाहन सिंह है इस लिये इनका उपासक भी शेर की तरह पराक्रमी और निडर हो जाता है इसी को हम बोलते है रूपान्तरण मित्रों इनके घंटे की आवाज से ही प्रेत बाधा दूर हो जाती है । माँ चंद्र घंटा का साधक और उपासक जहाँ भी जहाँ जाते है लोग उन्हे देख कर उनके बात करके शांति और पोजिटिव ऊर्जा महसूस करते है माँ चंद्र घंटा के साधक के शरीर से दिव्य प्रकाश परमाणुओं का एक अदृश्य चक्र साधक के आस पास एक घेरे के रूप मे सदा रहता है और ये सबको दिखाई नही देता या यूँ कहे की इन आँखों से ये दिखाई नही देता परंतु साधक के सम्पर्क मे आने वाले कूछ लोगो को हो जाता जै और उसका आभास भी उन लोगो को ही होता है जो आगे चल कर साधक बनेंगे मित्रों इस दिन आप गाय के दूध से बनी मिठाई का प्रसाद चढ़ाये आपकी समस्त समस्याओं से आप मुक्त हो जायेगे और जो मेरे मित्र रोजाना हवन करते है हो और सभी माँ के भक्त भी मंत्र का जाप कर सकते है ये मंत्र है नवार्ण मंत्र ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे!’