कांग्रेस पार्टी को आज एक और बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री एक एंटनी के बेटे अनिल एंटनी ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। अनिल ने यह इस्तीफा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनी बीबीसी की विवादित डॉक्यूमेंटरी को लेकर दिया है। बता दें कि बीबीसी की प्रतिबंधित डॉक्यूमेंटरी को बैन किए जाने का समर्थन करने वाले कांग्रेस के नेता और एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी ने बुधवार सुबह पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस ने मुझसे ट्वीट डिलीट करने को कहा था, लेकिन मैंने इनकार कर दिया। क्या चाटुकारिता ही योग्यता का मापदंड बन गया है। अनिल एंटनी ने बीबीसी की विवादित डॉक्यूमेंट्री को लेकर भाजपा का साथ दिया था। अनिल ने कहा कि मुझसे अपने ट्वीट को हटाने को कहा गया था, लेकिन मैंने इससे मना कर दिया। ऐसे लोग जो अभिव्यक्ति की आजादी की बात करते हैं, वो लोग ही मुझे ट्वीट हटाने का दबाव बना रहे थे। अनिल एंटनी ने मंगलवार को कहा कि जो लोग ब्रिटिश प्रसारक और ब्रिटेन के पूर्व विदेश सचिव जैक स्ट्रा के विचारों का समर्थन करते हैं और उन्हें जगह देते हैं, वे भारतीय संस्थानों पर एक खतरनाक मिसाल कायम कर रहे हैं। क्योंकि 2003 के इराक युद्ध के पीछे जैक स्ट्रा का दिमाग था। उन्होंने कहा कि भाजपा के साथ बड़े मतभेद के बावजूद, मुझे लगता है कि यह हमारी संप्रभुता को कमजोर करेगा। देश में कई दिनों से गुजरात दंगों पर बीबीसी ने एक डॉक्यूमेंटरी बनाई है जिसका विरोध हो रहा है।
भारत सरकार ने स्पष्ट तौर पर डॉक्यूमेंटरी को खारिज करते हुए कहा है कि जिस विषय पर देश की सर्वोच्च अदालत का फैसला आ चुका है उसके ऊपर मनगढ़ंत तरीके से डॉक्यूमेंटरी बनाने का औचित्य नहीं है। वहीं दूसरी ओर दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में मंगलवार रात में बीबीसी डॉक्युमेंट्री को लेकर छात्रों के दो गुट आमने-सामने आ गए। स्टूडेंट्स का आरोप है कि यहां कैंपस प्रशासन ने पीएम मोदी पर बनी डॉक्यूमेंट्री के प्रदर्शन को रोकने के लिए बिजली काट दी और इंटरनेट बंद कर दिया। इसके खिलाफ जब छात्रों ने मार्च निकाला, तो उन पर पत्थरबाजी की गई। केंद्र सरकार ने पिछले हफ्ते ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (बीबीसी ) की ओर से तैयार डॉक्यूमेंट्री पर बैन लगाया है। यह गुजरात दंगों पर आधारित है। इसमें सीरीज के माध्यम से झूठे नेरेटिव फैलाने का आरोप है। इसी कड़ी में जेएनयू प्रशासन ने भी कैंपस में डॉक्यूमेंट्री के प्रदर्शन पर रोक लगा दी थी। इसके बाद भी मंगलवार देर शाम वामपंथी छात्रों के एक गुट ने मोबाइल पर सरकार द्वारा प्रतिबंधित ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की कोशिश की, जिस पर यह बवाल हुआ।छात्रों ने रात नौ बजे स्टूडेंट एक्टिविटी सेंटर के लॉन में डॉक्यूमेंट्री देखने की बात कही थी। लेकिन रात 7:30 बजे अचानक तकनीकी खामी के कारण पूरे कैंपस की बिजली गुल हो गई। छात्रों ने आरोप लगाया कि कैंपस प्रशासन ने इस डॉक्यूमेंट्री के प्रदर्शन को रोकने के लिए ही बिजली और इंटरनेट कनेक्शन बंद कर दिया। इसके बाद छात्र नौ बजे मोबाइल पर एक-दूसरे को लिंक साझा करते हुए मोबाइल टार्च की रोशनी में लैपटॉप और मोबाइल पर डॉक्यूमेंट्री देखने लगे। जेएनयूएसयू के बैनर तले छात्रों के एक वर्ग ने मंगलवार को रात 9 बजे डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग के लिए पर्चे बांटे थे। हालांकि जेएनयू प्रशासन ने डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को इस कारण मंजूरी नहीं दी थी कि इससे विश्वविद्यालय में शांति और सद्भाव भंग हो सकती हैं। प्रशासन की ओर से मंजूरी नहीं मिलने के बाद भी जब छात्र अड़े रहे तो विश्वविद्यालय प्रशासन ने बिजली और इंटरनेट कनेक्शन काटने का फैसला किया। वहीं दूसरी ओर केरल में भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के सदस्यों ने बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग के खिलाफ मार्च भी निकाला। यहां तक की कुछ लोगों की राजधानी में पुलिस के साथ झड़प भी हुई। पुलिस ने कई राउंड वाटर कैनन चलाए। इस हिंसक विरोध के दौरान कई कार्यकर्ताओं को मामूली चोटें आईं हैं। बताया जाता है कि केरल में सत्तारूढ़ माकपा की यूथ विंग डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (DYFI) ने स्क्रीनिंग का आयोजन किया था। जिसका बीजेपी यूथ विंग विरोध कर रही थी।बीजेपी कार्यकर्ताओं ने स्क्रीनिंग स्थल तक मार्च किया और जब पुलिस ने उन्हें रोक तो उन्होंने बैरिकेड्स हटाने की कोशिश की। इस दौरान भाजपा युवा मोर्चा के सदस्य जब आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे थे तो उन्हें रोकने के लिए पुलिस को कई राउंड पानी की बौछारें चलानी पड़ीं। कार्यकर्ता पुलिस से भिड़ गए लेकिन विरोध के बावजूद स्क्रीनिंग जारी रही। दूसरी ओर केरल के पलक्कड़ और वायनाड जिलों से भी इसी तरह के विरोध प्रदर्शनों की सूचना मिली है। यूथ कांग्रेस ने 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस के दिन डॉक्यूमेंट्री दिखाने का फैसला किया है। जेएनयू में भारी विरोध को देखते हुए बड़ी संख्या में पुलिस और अर्धसैनिक बल को तैनात किया गया है।