राजधानी दिल्ली में शनिवार, 24 मई को नीति आयोग की दसवीं गवर्निंग काउंसिल मीटिंग आयोजित हुई । बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की। बैठक में कई राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल हुए। हिमाचल प्रदेश से सुखविंदर सिंह सुक्खू भी पहुंचे। पीएम से मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री सुक्खू ने ट्वीट करते हुए लिखा- आज नई दिल्ली में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी से भेंट कर हिमाचल प्रदेश के लिए उदार वित्तीय सहायता प्रदान करने तथा लंबित धनराशि शीघ्र जारी करने का आग्रह किया। माननीय प्रधानमंत्री जी को अवगत करवाया कि प्रदेश सरकार ने हिमाचल को वर्ष-2032 तक आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य रखा है। राज्य सरकार इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए विभिन्न योजनाएं शुरू कर रही है तथा वर्तमान योजनाओं को सुदृढ़ करने की दिशा में निरंतर प्रयासरत है।
साथ ही, प्रधानमंत्री जी को प्रदेश सरकार द्वारा पर्यटन, हरित ऊर्जा, विद्युत तथा अन्य क्षेत्रों में की गई पहलों की जानकारी दी। जल विद्युत परियोजनाओं में राज्य के हितों की रक्षा की पैरवी की और इन परियोजनाओं को राज्य को लौटाने के लिए समय-सीमा निर्धारित करने का आग्रह किया। इस दौरान कांगड़ा हवाई अड्डे के विस्तारीकरण पर भी चर्चा की। साथ ही, राज्य के सेब उत्पादकों के हितों की रक्षा का आग्रह किया तथा तुर्किए और अन्य देशों से सेब के आयात से जुड़ा मुद्दा भी उनके समक्ष रखा। मुझे प्रसन्नता है कि माननीय प्रधानमंत्री जी ने मांगों को सुना और सेब के आयात से संबंधित मामले की समीक्षा करने तथा अन्य मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का आश्वासन दिया।
बता दें कि
नीति आयोग की बैठक में सीएम सुक्खु ने जल-विद्युत परियोजनाओं और पर्यटन मामलों को उठाया। साथ ही पीएम मोदी से तुर्की के सेब आयात पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग भी उठाई। इसके अलावा उन्होंने केंद्र से लंबित देय राशि जारी करने की वकालत की. नीति आयोग की बैठक में इस वर्ष ‘विकसित भारत के लिए विकसित राज्य/2047’ विषय पर चर्चा की गई। बैठक में विकास की राह में चुनौतियां और विकसित राष्ट्र के लक्ष्य को हासिल करने के लिए इन चुनौतियों का सामना करने पर बल दिया गया।
सीएम सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि पर्वतीय राज्यों की विशेष आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए विभिन्न योजनाओं की पात्रता में छूट देते हुए अधिक धनराशि आवंटित की जानी चाहिए। उन्होंने राज्य को लम्बे समय से लंबित देय राशि को भी जारी करने की मांग की। सीएम ने कहा कि अगर केंद्र द्वारा लम्बित देय राशि को समय पर जारी किया जाता है तो हिमाचल प्रदेश आत्मनिर्भर राज्य बन जाएगा।
सरकार के विजन की दी जानकारी
मुख्यमंत्री ने हिमाचल प्रदेश को देश के पर्यटन मानचित्र पर सबसे पसंदीदा पर्यटन स्थल के रूप में लाने के लिए राज्य सरकार के विजन के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कदम उठाए गए हैं। देशी-विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए धार्मिक, इको, जल, प्राकृतिक गतिविधि आधारित और स्वास्थ्य पर्यटन को विविध आयाम प्रदान किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कांगड़ा हवाई अड्डे पर बड़े विमानों के उतरने के लिए हवाई पट्टी का विस्तारीकरण किया जा रहा है जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलने के साथ-साथ पर्यटकों को भी सुविधा होगी। सीएम ने जल विद्युत परियोजनाओं में राज्यों के अधिकारों की भी पुरजोर वकालत की और मुफ्त रॉयल्टी और 40 वर्ष पूरे कर चुके पीएसयू और सीपीएसयू को राज्य को सौंपने का मामला भी उठाया।
रॉयल्टी का मुद्दा भी उठाया
मुख्यमंत्री ने प्रदेश की ऊर्जा नीति के अनुसार रॉयल्टी संबंधी मामला भी उठाया। सरकार की वर्तमान नीति के अनुसार पहले 12 वर्षों के लिए 12 प्रतिशत, उसके उपरांत 18 वर्षों के लिए 18 प्रतिशत और इसके बाद 10 वर्षों के लिए 30 प्रतिशत रॉयल्टी का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कार्यरत निजी कम्पनियां सरकार की ऊर्जा नीति की अनुपालना कर रही हैं। उन्होंने केंद्रीय पीएसयू को भी इस नीति को अपनाने पर बल दिया।
2026 तक हरित ऊर्जा राज्य का लक्ष्य
सीएम सुक्खू ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की वन संपदा उत्तर भारत को प्राण वायु प्रदान करती है और देश के हरित आवरण को संरक्षित रखने में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए राज्य को ग्रीन बोनस मिलना चाहिए। प्रदेश सरकार ने हिमाचल को 31 मार्च, 2026 तक हरित ऊर्जा राज्य के रूप में विकसित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। आगामी समय में हिमाचल देश के अग्रणी ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादक राज्य के रूप में उभरेगा। जिला सोलन में राज्य सरकार ऑयल इंडिया लिमिटेड के साथ मिलकर एक मेगावाट क्षमता का ग्रीन हाइड्रोजन संयंत्र स्थापित कर रही है।
‘पहाड़ी राज्यों की जरूरतों का रखा जाए ध्यान’
सुक्खू ने कहा कि पहाड़ी राज्यों की विशेष आवश्यकताओं को ध्यान में रखा जाना चाहिए और विभिन्न योजनाओं में पात्रता मानदंडों में ढील देते हुए धनराशि के अधिक आवंटन पर विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने तुर्की के सेब पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की भी मांग प्रधानमंत्री के समक्ष उठाई।