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यूपी के कानपुर देहात में एक दिल झकझोर देने वाली घटना हुई। बिना रिहर्सल और लापरवाही पुलिस प्रशासन
पुलिस प्रशासन के बिना रिहर्सल और लापरवाही की वजह से मां-बेटी की जिंदा जलकर मौत हो गई है। फिलहाल इस पूरे मामले में पुलिस प्रशासन की लापरवाही सामने आई है। इस मामले में पुलिस प्रशासन अधिकारियों समेत कई पर पर केस भी दर्ज किया गया है लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि मां-बेटी की मौत का जिम्मेदार कौन है? वहीं दूसरी ओर घटना के बाद गांव में तनाव का माहौल है। पुलिस, प्रशासनिक अमले ने पूरे मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भारी किरकिरी करा दी है। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस भी योगी सरकार पर हमलावर है। इस पूरे घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडियो में साफ दिख रहा है कि इस पूरे मामले में पुलिस प्रशासन की की लापरवाही की वजह से ही इन दोनों की जान गई है। सोमवार को कानपुर देहात में अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया के दौरान यह घटना हुई, जिस पर अब सियासत तेज हो गई है। परिवार का आरोप है कि पुलिस ने झोपड़ी में आग लगाई थी, जिस कारण दोनों महिलाओं की मौत हो गई। वहीं, स्थानीय पुलिस कह रही है कि उन दोनों ने खुद आग लगाई थी। फिलहाल पुलिस ने 13 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है और आश्वासन दिया कि मामले की जांच की जाएगी। वीडियो में दिख रहा है कि अतिक्रमण हटाने के दौरान महिला चिल्लाते हुए दौड़कर झोपड़ी में जाती है और दरवाजा बंद कर देती है। यह घटना कानपुर देहात जिले के मडौली गांव की है। यहां पुलिस, जिला प्रशासन और राजस्व अधिकारी एक सरकारी भूमि से अतिक्रमण हटाने गए थे। ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें पहले से कोई सूचना नहीं दी गई थी और अधिकारी सुबह बुलडोजर लेकर वहां पहुंच गए। बता दें कि घटना जिले के रूरा थाना इलाके के मड़ौली गांव की है। गांव में अवैध अतिक्रमण हटाने गए तहसील प्रशासन की कृष्ण गोपाल दीक्षित के परिजनों से नोकझोंक हो गई। झोपड़ी में जब कृष्ण गोपाल की पत्नी और बेटी उसके अंदर थीं, तभी प्रशासन ने बुलडोजर चलवा दिया। और जैसे ही बुलडोजर झोपड़ी को तहस-नहस करने लगा, वैसे ही वहां अचानक आग भड़क उठी। आग ने विकराल रूप ले लिया। इसमें कृष्ण गोपाल की पत्नी प्रमिला दीक्षित और उनकी 23 साल की बेटी नेहा दीक्षित की जिंदा जलकर मौत हो गई। धधकती आग को बुझाने में कृष्ण गोपाल बुरी तरह से झुलस गए । मृतका के बेटे शिवम दीक्षित ने आरोप लगाया कि जब वे लोग अपने घर में थे तब आग लगा दी गई और मंदिर भी तोड़ दिए। उन्होंने जिला मजिस्ट्रेट पर भी आरोप लगाया कि वे वहीं मौजूद थे, लेकिन उन्होंने भी कुछ नहीं किया। शिवम ने बताया कि वे लोग किसी तरह वहां से निकलने में सफल हुए, लेकिन उनकी मां नहीं बच सकीं। पुलिस ने दावा किया है कि महिला और उनकी बेटी ने खुद अपने आप को आग लगाई थी। एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि थाना प्रभारी दिनेश गौतम और प्रमिला के पति गेंदन लाल पीड़ितों को बचाने की कोशिश कर रहे थे, जिसमें वे भी झुलस गए। घटना के बाद गांव में जबरदस्त तनाव का माहौल है। पीड़ित ने कानपुर देहात के मैथा तहसील में तैनात एसडीएम ज्ञानेश्वर प्रसाद और रूरा थाना प्रभारी दिनेश कुमार गौतम समीर लेखपाल अशोक सिंह को आरोपी बताया है। पीड़ित परिवार का आरोप यह है कि कब्जे को ध्वस्त करने के चलते प्रशासनिक अधिकारियों ने मिलकर कृष्ण गोपाल दीक्षित के परिवार को झोपड़ी में जबरन कैद कर उस पर आग लगा दिया। इसके चलते झोपड़ी के अंदर फंसी मां-बेटी को आग ने अपनी चपेट में ले लिया और दोनों की झुलस कर मौत हो गई। इसके बाद कानपुर देहात के मंडोली गांव में पुलिस और प्रशासन पर ग्रामीणों और परिजनों ने हमला कर दिया। घटना की जानकारी मिलते ही कानपुर रेंज के आईजी और एडीजी सहित मंडलायुक्त राजशेखर भी मौके पर पहुंचे। वहीं कानपुर देहात पुलिस ने 11 नामजद लोगों के साथ-साथ एक कई अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया है। इस मुकदमे में कानपुर देहात के मैथा तहसील के एसडीएम ज्ञानेश्वर प्रसाद लूंगा, थाना प्रभारी दिनेश गौतम और लेखपाल अशोक सिंह को मुख्य आरोपी बनाकर 307, 302 जैसी गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर दिया है। सपा, कांग्रेस से लेकर सभी विपक्षी दल इस घटना के बाद सरकार को घेरने की तैयारी कर रहे हैं। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव ने ट्वीट कर लिखा कि- कानपुर में अतिक्रमण हटाने पहुंचे प्रशासन के सामने ही मां-बेटी ने आग लगाकर जान दे दी और पुलिस तमाशा देखती रही। अतिक्रमण हटाने व बुलडोजर के जोश में प्रशासन आखिर अपना होश क्यों खो रहा है। क्या ‘महिला सशक्तिकरण’ व ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ की बात केवल कागजी नीति है। वहीं कांग्रेस पार्टी ने इस घटना की निंदा करते हुए ट्वीट कर एक वीडियो जारी किया है। कांग्रेस पार्टी ने ट्वीट कर लिखा, कानपुर में अतिक्रमण हटाने पहुंची प्रशासन की टीम के सामने ही मां-बेटी ने आग लगाकर जान दे दी और पुलिस तमाशबीन बनी रही। अतिक्रमण हटाने का यह कौन-सा तरीका है कि लोग दुनिया से ही हट जाएं? बाबा! अपनी बुलडोजर नीति को अब भी सम्भालिए या इस खूबसूरत धरती को श्मसान बना कर ही मानेंगे?