उत्तराखंड में हरियाली, प्राकृतिक, सुंदरता और पहाड़ों का मनोहारी दृश्य के साथ कई धार्मिक पर्यटन स्थल सैलानियों का मन मोह लेते हैं। इस राज्य को देवभूमि भी कहा जाता है, यानी देवताओं की भूमि। लेकिन उत्तराखंड में कई वर्षों से जंगलों में आग लगने की घटनाएं हमेशा से राज्य सरकारों के लिए परेशानी बनती रही है। इन दिनों भी प्रदेश में जंगलों में आग लगने की घटनाएं जारी है। जिससे राज्य संपदा को भारी नुकसान पहुंचता है इसके साथ ही आसपास रहने वाले लोगों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसी को लेकर सोमवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राजधानी देहरादून के सचिवालय में वनाग्नि (जंगल में आग लगने की घटना) रोकथाम के लिए समीक्षा बैठक की। बैठक में सीएम धामी ने शीतला खेत ‘अल्मोड़ा मॉडल’ को अपनाने के सभी अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। अब आपको बताते हैं यह अल्मोड़ा मॉडल क्या है। अल्मोड़ा जिले के शीतला खेत के लोगों ने जंगलों और वन संपदा को आग से बचाने के शपथ ली। उन्होंने संकल्प लिया कि वे पूरे फायर सीजन में वे अपने खेतों में कूड़ा और कृषि अवशेष नहीं जलाएंगे। इस क्षेत्र में ग्रामीणों महिला मंगल दल और युवक मंगल दल ने ओण दिवस के रूप में जंगल बचाओ, पर्यावरण बचाओ की शपथ ली।इस मौके मुख्यमंत्री धामी ने निर्देश दिए कि वनाग्नि को रोकने के लिए जनपदों में वन विभाग के उच्चाधिकारियों को नोडल अधिकारी बनाया जाए। अनुसंधान से जुड़े संस्थानों एवं विश्वविद्यालयों के सहयोग से वनाग्नि की घटनाओं को रोकने के लिए दीर्घकालिक योजना बनाई जाए।
next post