आज संविधान दिवस देश में मनाया जा रहा है। यह एक ऐसा दिवस है जिसमें पूरे देशवासी एक सूत्र में पिरोए हुए हैं। भारत की एक अरब 35 करोड़ आबादी के लिए संविधान के द्वारा बनाए गए नियम समान हैं। लेकिन इस मौके पर भी सियासत नहीं रुकी। 29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र के लिए विपक्ष ने अभी से तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। मौका था संविधान दिवस का। आज संविधान के 71वीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद भवन पर संबोधित किया। इस कार्यक्रम में विपक्ष पूरी तरह से नदारद रहा। प्रधानमंत्री ने इस बहाने कार्यक्रम का बहिष्कार करने पर कांग्रेस समेत 14 विपक्षी दलों पर तंज भी कसा । पीएम मोदी ने कहा कि यह कार्यक्रम किसी राजनैतिक दल का नहीं था। किसी प्रधानमंत्री का नहीं था। यह कार्यक्रम स्पीकर पद की गरिमा थी। हम संविधान की गरिमा बनाए रखें, कर्तव्य पथ पर चलते रहें। प्रधानमंत्री ने कहा कि विपक्ष के न पहुंचने पर संविधान की भावना को चोट पहुंची है। इसकी एक-एक धारा को चोट पहुंची है। राजनैतिक धर्म लोकतांत्रिक कैरेक्टर जो खो चुके हैं, वो लोकतंत्र की रक्षा कैसे कर सकते हैं। उन्होंने बिना नाम लिए कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि एक राजनीतिक दल, पार्टी- फॉर द फैमिली, पार्टी- बाय द फैमिली, आगे कहने की जरूरत नहीं लगती। बता दें कि आज संविधान दिवस है। 26 नवंबर 1949 को ही देश की संविधान सभा ने वर्तमान संविधान को विधिवत रूप से अपनाया था। हालांकि इसे 26 जनवरी, 1950 को लागू किया गया था। इस मौके पर पीएम मोदी ने बधाई देते हुए संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के भाषण का एक हिस्सा भी साझा किया। कोई भी संविधान चाहे वह कितना ही सुंदर, सुव्यवस्थित और सुदृढ़ क्यों न बनाया गया हो, यदि उसे चलाने वाले देश के सच्चे, निस्वार्थ सेवक न हों तो संविधान कुछ नहीं कर सकता। प्रधानमंत्री ने कहा कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद की यह भावना पथ-प्रदर्शक की तरह है। संसद भवन में संविधान दिवस के मौके राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू और लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने भी संबोधित किया।
26 नवंबर 1949 को देश में संविधान अपनाया गया, 26 जनवरी 1950 को हुआ था लागू–
आज देश के इतिहास में वह महत्वपूर्ण तारीख है जिस दिन संविधान अपनाया गया था। नवंबर को हर साल देश में संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो भारत के संविधान को अपनाने की याद दिलाता है। 26 नवंबर 1949 को संविधान को अपनाया गया और यह 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। बता दें कि साल 2015 में, केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्रालय ने नागरिकों के बीच संवैधानिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाने के केंद्र के फैसले को अधिसूचित किया था। उल्लेखनीय है कि भारत का संविधान भारत को संप्रभु, धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी, लोकतांत्रिक गणतंत्र घोषित करता है और अपने नागरिकों के लिए समानता, स्वतंत्रता और न्याय की गारंटी देता है।कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक फैले विशाल भारत देश में सैकड़ों भाषाएं, बोली, पहनावे, खान-पान और अन्य विविधताएं देखने को मिलती हैं। ऐसे में संविधान ही वह एक कड़ी है जो हर भारतवासी को एक साथ पिरोती है। संविधान देश को हर नागरिक को एक समान अधिकार देता है और एक समान नियमों में बाध्यता भी है। संविधान किसी देश में शासन के लिए आधार प्रदान करता है, जो यह सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है कि सभी के हितों और जरूरतों को ध्यान में रखा जाए। भारत एक विविधताओं का देश है। अब सवाल यह उठता है कि 26 नवंबर 1949 को संविधान अपनाया गया तो दो महीने बाद 26 जनवरी को लागू क्यों हुआ? इन दो महीनों का वक्त क्यों लिया गया? बताया जाता है कि इन दो महीनों के दौरान संविधान का पाठ किया गया और इसे अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद किया गया था। संविधान को पूरी तरह अपनाए जाने से पहले संविधान सभा ने दो साल 11 महीने और 18 दिन का समय लगा। भारत के पहले कानून मंत्री डॉ. भीमराव अंबेडकर को 1947 में संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया और उन्हें देश का नया संविधान लिखने की जिम्मेदारी दी गई। इस प्रारूप समिति में देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद भी थे।