प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार शाम को इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता से दिल्ली लौट आए हैं। पीएम मोदी बुधवार शाम को आसियान शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए इंडोनेशिया गए थे। पीएम मोदी का यह दौरा बेहद ही संक्षिप्त रहा। प्रधानमंत्री इंडोनेशिया में करीब 9 घंटे ही रहे। पीएम अब कुछ देर में जी-20 समिट की तैयारियों की समीक्षा के लिए काउंसिल ऑफ मिनिस्टर की बैठक ले रहे हैं। प्रधानमंत्री ने आसियान शिखर सम्मेलन में संपर्क, व्यापार और डिजिटल बदलाव जैसे क्षेत्रों में भारत-आसियान सहयोग को मजबूत करने के लिए गुरुवार को 12 सूत्री प्रस्ताव पेश किया।
आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में लिया हिस्सा–
इंडोनेशिया की राजधानी में आयोजित आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने दक्षिण-पूर्वी एशिया-भारत-पश्चिमी एशिया-यूरोप को जोड़ने वाले एक मल्टी-मॉडल संपर्क और आर्थिक गलियारे की स्थापना का आह्वान किया। साथ ही आसियान देशों के साथ भारत के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) को साझा करने की पेशकश की।
पीएम ने 12 सूत्री प्रस्ताव किया पेश
इस 12 सूत्री प्रस्ताव के तहत प्रधानमंत्री ने आतंकवाद, आतंकवाद के वित्तपोषण और साइबर दुष्प्रचार के खिलाफ सामूहिक लड़ाई और ग्लोबल साउथ की आवाज को बुलंद करने का भी आह्वान किया. भारत के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि शिखर सम्मेलन में समुद्री सहयोग और खाद्य सुरक्षा पर दो संयुक्त बयानों को भी स्वीकार किया गया।
सम्मेलन में अपने संबोधन में पीएम ने कहा, “मुक्त और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र की प्रगति और ग्लोबल साउथ की आवाज को बुलंद करना सभी के साझा हित में है। ग्लोबल साउथ एक ऐसा शब्द है जिसका इस्तेमाल अक्सर लैटिन अमेरिका, एशिया, अफ्रीका और ओशिनिया के क्षेत्रों की पहचान करने के लिए किया जाता है।
पीएम मोदी ने संबोधन में क्या कहा?
आसियान (दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का संगठन) को क्षेत्र में सबसे प्रभावशाली समूहों में से एक माना जाता है. भारत, अमेरिका, चीन, जापान और ऑस्ट्रेलिया सहित कई अन्य देश इसके संवाद भागीदार हैं. अपने आरंभिक संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि आसियान भारत की हिंद-प्रशांत पहल में एक प्रमुख स्थान रखता है। और नई दिल्ली इसके साथ ‘कंधे से कंधा’ मिलाकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।