उत्तराखंड हुआ 21 साल का, जटिल रास्तों से निकल विकास के मार्ग पर तेजी से हो रहा अग्रसर - Daily Lok Manch PM Modi USA Visit New York Yoga Day
October 18, 2024
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उत्तराखंड राष्ट्रीय

उत्तराखंड हुआ 21 साल का, जटिल रास्तों से निकल विकास के मार्ग पर तेजी से हो रहा अग्रसर

जय उत्तराखंड। इस राज्य की माटी की वीरता, साहस और पराक्रम के लिए नमन। आज देवभूमि उत्तराखंड के लिए गौरव का दिन है । देवभूमि को अलग राज्य बनाने के लिए लंबे संघर्षों के बाद आखिरकार यह  अपने अस्तित्व में आ सका । आज 9 नवंबर है। ठीक 21 साल पहले इस प्रदेश को आजादी मिली। अपनी स्थापना के 21 साल उत्तराखंड धूमधाम के साथ मना रहा है। देवभूमि का प्रत्येक नागरिक आजादी के जश्न में सराबोर है। बता दें कि पृथक उत्तराखंड की मांग को लेकर कई वर्षों तक चले आंदोलन के बाद आखिरकार 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड को 27वें राज्य के रूप में भारत गणराज्य में शामिल किया गया। उत्तराखंड को उत्तर प्रदेश के उत्तर पश्चिमी के कई जिलों को जोड़कर बनाया गया। इसके अलावा हिमालय माउंटेन रेंज के कुछ हिस्से को भी उत्तराखंड के निर्माण को बनाने में जोड़ा गया। वर्ष 2000 से 2006 तक इसे उत्तरांचल के नाम से जाना जाता था, लेकिन जनवरी 2007 में स्थानीय लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए इसका आधिकारिक नाम बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया। उत्तर प्रदेश का हिस्सा रहे उत्तराखंड की सीमाएं उत्तर में तिब्बत और पूर्व में नेपाल से लगी हैं। पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में उत्तर प्रदेश इसकी सीमा से लगे राज्य हैं। हिन्दी और संस्कृत में उत्तराखंड का अर्थ उत्तरी क्षेत्र या भाग होता है। उत्तराखंड को देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि कई प्राचीन धार्मिक स्थलों के साथ ही यह राज्य हिन्दू धर्म में सबसे पवित्र मानी जाने वाली देश की सबसे बड़ी नदियों गंगा और यमुना का उद्गम स्थल है। धामी सरकार ने राज्य की स्थापना दिवस को उत्तराखंड महोत्सव के रूप में मनाने का एलान किया है। राज्य स्थापना दिवस को उत्तराखंड महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। एक सप्ताह तक आयोजित होने वाले इस महोत्सव के दौरान राजधानी देहरादून से लेकर न्याय पंचायत स्तर तक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। यह आयोजन  15 नवंबर तक चलेंगे। यही नहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस साल गौरव पुरस्कार की भी शुरुआत करने की घोषणा की है। स्थापना दिवस को लेकर राजधानी देहरादून में पुलिस लाइन स्थापना दिवस पर खास कार्यक्रम होगा, रितिक परेड और सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, राज्यपाल गुरमीत सिंह इस कार्यक्रम में होंगे शामिल। वहीं कचहरी शहीद स्मारक पर भी संस्कृति विभाग की तरफ से कार्यक्रम का आयोजन हो रहे हैं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश वासियों को राज्य स्थापना दिवस की शुभकामनाएं दी हैं। राज्यपाल गुरमीत सिंह ने भी उत्तराखंड की स्थापना दिवस पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी उत्तराखंड दिवस की शुभकामनाएं और बधाई दी है। ऐसे ही पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत ने भी इस अवसर पर प्रदेश की जनता को शुभकामनाएं दी हैं। 


कई विकास योजनाओं पर तेजी के साथ हो रहा है काम–


हाल के वर्षों में उत्तराखंड तेजी के साथ विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है। लेकिन अभी भी कई समस्याएं ऐसी हैं जो पूरी नहीं हो सकी हैं। जैसे पलायन, रोजगार और स्थायी राजधानी का मुद्दा समय-समय पर सियासी रंग भी ले लेता है। राज्य ने पिछले 21 सालों में तमाम उतार-चढ़ाव और प्राकृतिक आपदाओं का सामना किया और उसके बावजूद आज राज्य विकास के नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। शिक्षा से लेकर चिकित्सा सुविधाएं, और रोजगार को लेकर भी प्रदेश ने तरक्की की है। ऐसे ही ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन पर जोरों पर काम चल रहा है और ये प्रोजेक्ट 2024-25 तक पूरा हो जाएगा और इसके साथ ही राज्य में टनकपुर-बागेश्वर परियोजना पर भी काम चल रहा है। चारधाम ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट पर काफी काम हो चुका है और उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जहां उड़ान योजना के तहत हेली सेवाएं शुरू की गई हैं। जल्द ही हेमकुंड साहिब को भी रोपवे से जोड़ा जाएगा और केबल कार केदारनाथ तक चलेगी। उन्होंने कहा कि इससे प्रदेश को पर्यटन के क्षेत्र में काफी फायदा होगा। ऐसे ही राजधानी देहरादून से दिल्ली तक एक्सप्रेस-वे का भी तेजी के साथ निर्माण हो रहा है।  यही नहीं पिछले दिनों केदारनाथ दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी राज्य के विकास को लेकर कार्य योजना तैयार की है। इसी प्रकार राज्य स्थापना के 21 साल बाद भी उत्तराखंड को स्थायी राजधानी नहीं मिल सकी है। देहरादून आज भी अस्थायी राजधानी है और गैरसैंण को बीजेपी सरकार के कार्यकाल में ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया गया। जबकि राज्य आंदोलन से जुड़े लोग गैरसैंण को जनभावनाओं की स्थायी राजधानी के रूप में देखते हैं। इसके अलावा राज्य से अभी भी पलायन नहीं रुक सका है। हालांकि राज्य सरकार इस दिशा में तेजी के साथ काम कर रही है।

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