(Valley of flower🌺) इन दिनों पूरे देश में गर्मियों की छुट्टी चल रही है अगर आप लोगों का घूमने का कार्यक्रम बन रहा है तो चलिए आज हम आपको बताते हैं ऐसी जगह जहां खूबसूरत वादियों के साथ फूलों के विभिन्न रंगों की प्रजातियां भी देखने को मिलेगी। हम बात कर रहे हैं देवभूमि यानी उत्तराखंड की वैसे तो यह राज्य अपने धार्मिक, आध्यात्मिक के साथ शांति के लिए भी सैलानियों की पहली पसंद माना जाता है। इस समय चार धाम बाबा केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री में हजारों श्रद्धालुओं रोज दर्शन करने के लिए पहुंच रहे हैं। लेकिन आज से पर्यटकों के लिए उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी के दरवाजे भी खोल दिए गए हैं। अब सैलानी अक्टूबर तक फूलों की घाटी का दीदार कर सकेंगे।
बता दें कि फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान एक फूलों की घाटी का नाम है, जिसे अंग्रेजी में Valley of Flowers कहते हैं। यह स्थल नन्दा देवी अभयारण्य नन्दा देवी राष्ट्रीय उद्यान का एक भाग है।
अक्टूबर से शुरू होने वाले शेष छह महीनों के लिए बर्फ की चादर में ढंकी रहती है।यह चारों तरफ से हिमालय से घिरी हुई है। यह एक राष्ट्रीय उद्यान है, जिसे ‘फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान’ भी कहा जाता है। पूरी घाटी दुर्लभ और विदेशी हिमालयी वनस्पतियों से समृद्ध है। यहां फूलों की 300 से अधिक प्रजातियां पाईं जाती हैं, जिनमें एनीमोन, जेरेनियम, प्राइमुलस, ब्लू पोस्पी और ब्लूबेल शामिल हैं। यहां देखने के लिए सबसे खूबसूरत फूल ‘ब्रह्म कमल’ है, जिसे उत्तराखंड का राज्य फूल भी कहा जाता है। बता दें कि फूलों की घाटी में 17 किलोमीटर लंबा ट्रेक है, जो 10,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित घांघरिया से शुरू होता है।
फूलों की घाटी जाने के लिए पर्यटक इस रास्ते से पहुंच सकते हैं–
जोशीमठ के पास एक छोटी सी बस्ती गोविंदघाट से ट्रेक के जरिये पहुंचा जा सकता है। फूलों की घाटी में प्रवेश करने के लिए नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान की ओर से ऑफलाइन माध्यम से अनुमति दी जाती है। फूलों की घाटी वो जगह है, जहां रिसर्च, आध्यात्म, शांति और प्रकृति को करीब से जानने का अद्भुत अवसर मिलता है। यहां घूमने का सही समय जुलाई के मध्य से अगस्त के मध्य तक है। इस दौरान मानसून की पहली बारिश के बाद यहां के फूल पूरी तरह खिल उठते हैं। फूलों की घाटी सिर्फ जून की शुरुआत से अक्टूबर तक सैलानियों के लिए खुली रहती है। बता दें कि फूलों की घाटी ब्रिटिश पर्वतारोही और वनस्पति शास्त्री, फ्रैंक एस स्मिथ ने 1931 में आकस्मिक खोज की थी। इसे यूनेस्को ने 2005 में विश्व धरोहर घोषित किया था। फूलों की घाटी की यात्रा ऋषिकेश से बदरीनाथ हाईवे पर गोविंदघाट पहुंचकर शुरू होती है। पर्यटकों को घाटी के बेस कैंप घांघरिया तक 14 किमी पैदल दूरी तय करनी पड़ती है। प्रवेश के लिए दोपहर तक ही पर्यटकों के लिए इजाजत होती है।