कुछ हादसे ऐसी होते हैं जिसके लिए हम तैयार नहीं रहते हैं। ऐसे हादसे अचानक घटने के बाद राहत-बचाव कार्य जटिल और मुश्किल हो जाता है। हम बात कर रहे हैं रविवार शाम को हुए झारखंड के देवघर स्थित त्रिकुट पहाड़ पर रोपवे हादसे की । तीन दिनों से सेना और एनडीआरएफ की टीमें ढाई हजार फिट ऊंचाई पर अटकी जिंदगियों को बचाने के लिए जद्दोजहद कर रही हैं। रेस्क्यू में जुटे तमाम सेना और एनडीआरएफ के एक्सपर्ट ने बताया कि ऐसे घटना पहली बार हुई है। सभी लोगों को बचाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इसके बावजूद भी हमारे बहादुर जवान और एनडीआरएफ के सदस्य दिन-रात तार में फंसे लोगों को बचाने के लिए जुटे हुए हैं। अभी तक 42 लोगों को सकुशल हेलीकॉप्टरों से बचाया गया है। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि आखिर इतना बड़ा हादसा हो कैसे गया। जिन ट्रॉलियों पर ये हादसा हुआ है, इन ट्रॉलियों के जरिए हर रोज सैकड़ों श्रद्धालु झारखंड की धार्मिक नगरी देवघर के पहाड़ पर बने मंदिरों तक पहुंचते हैं। रविवार को एक साथ कई ट्रॉलियों को श्रद्धालुओं के साथ रवाना कर दिया गया। अचानक रोप-वे के केबल पर लोड बढ़ गया और एक रोलर टूट गया। रोलर टूटते ही तीन ट्रॉलियां पहाड़ से टकरा गईं-और उनमें से दो ट्रॉलियां लुढ़कर नीचे जा गिरी । रोप-वे हादसे के बाद झारखंड सरकार के पर्यटन मंत्री का कहना है कि रोप-वे चलाने वाली एजेंसी को ब्लैक लिस्टेड किया जाएगा और पूरे मामले की जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। तीसरे दिन ढाई घंटे के ऑपरेशन में 14 लोगों में से 6 काे निकाल लिया गया है। इसमें दो बच्चियां हैं। अब सिर्फ 8 लोग रेस्क्यू के लिए रह गए हैं। सोमवार शाम को एक जवान ट्रॉली में फंस गया था, जिसे सुबह निकाला गया। सेना, वायुसेना, आईटीबीपी और एनडीआरएफ की टीमों ने सोमवार को 12 घंटे के ऑपरेशन के बाद 33 लोगों को तीन हेलिकॉप्टर और रस्सी के सहारे बचाया गया था। रेस्क्यू के दौरान सेफ्टी बेल्ट टूटने से एक व्यक्ति की हेलिकॉप्टर से नीचे गिर कर मौत हो गई। अंधेरा होने की वजह से ऑपरेशन बंद कर दिया गया था। अब तक तीन लोगों की मौत हुई है। इस हादसे में अभी तक 42 लोगों को सुरक्षित बचा लिया गया है।
previous post