आज बात करेंगे हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार में खेल मंत्री और पूर्व अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी संदीप सिंह की। साल की शुरुआत यानी आज 1 जनवरी को संदीप सिंह के लिए अच्छा नहीं रहा। “नहीं इसे हम यह नहीं कहेंगे कि अच्छा नहीं रहा” बल्कि उन्होंने जो कर्म किए उसकी सजा मिली है। सरकार में कैबिनेट मंत्री होने के बाद भी उन्होंने राजधर्म का पालन नहीं किया। अब यह बदनामी का दाग जीवन भर नहीं धुलेगा। मनोहर लाल खट्टर सरकार में खेल मंत्री बनने से पहले संदीप सिंह के साख देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया भर में थी। संदीप सिंह को एक शानदार हॉकी प्लेयर के रूप में भी देशवासी याद करते हैं। लेकिन उन्होंने अपने पैरों पर ही कुल्हाड़ी मार ली। एक गलती ने उनसे मंत्री पद छीन लिया है। उन पर छेड़छाड़ के आरोप लगाए गए थे । जिसके बाद संदीप सिंह ने आज मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। संदीप सिंह के खिलाफ महिला कोच की शिकायत पर केस दर्ज किया गया है।
इसके साथ ही डीजीपी ने इस मामले में जांच के लिए एसआईटी का गठन भी कर दिया है। एक महिला आईपीएस समेत तीन सदस्यीय कमेटी इस केस की जांच करेगी। हरियाणा के खेल मंत्री और पूर्व हॉकी खिलाड़ी संदीप सिंह के खिलाफ महिला कोच की शिकायत पर केस दर्ज किया गया है। चंडीगढ़ के सेक्टर 26 पुलिस स्टेशन में खेल मंत्री के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है।बता दें कि महिला कोच ने खेल मंत्री संदीप सिंह पर आरोप लगाया था कि उसे मंत्री ने चंडीगढ़ में अपनी कोठी पर बुलाकर छेड़छाड़ की थी। कुछ महीने पहले ही उसकी ज्वाइनिंग (JOINING) खेल विभाग में जूनियर कोच के तौर पर हुई थी। मंत्री ने उसका तबादला झज्जर में कर दिया था। इसी सिलेसिले में वो बातचीत करने के लिए मंत्री के पास गई थी। जहां उससे छेड़छाड़ की गई। महिला कोच ने इनेलो नेता अभय चौटाला के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर खेल मंत्री के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। अब आइए जान लेते हैं कौन है संदीप सिंह। राष्ट्रमंडल खेलों के रजत पदक विजेता, दो बार के ओलंपियन और दुनिया के बेहतरीन ड्रैग फ्लिकर में से एक संदीप सिंह भारतीय हॉकी के एक दिग्गज खिलाड़ी हैं। इसके साथ ही वह सबसे प्रेरणादायक कप्तानों में से एक हैं।
27 फरवरी 1986 को हरियाणा के कुरुक्षेत्र के शाहाबाद शहर में जन्मे संदीप सिंह ने न चाहते हुए भी हॉकी में कदम रखा।
उनके बड़े भाई बिक्रमजीत सिंह बचपन में एक होनहार हॉकी खिलाड़ी थे और युवा संदीप सिंह बिक्रमजीत की किट और हॉकी गियर देखकर ईर्ष्या करते थे। दरअसल, वह अपने लिए भी एक सेट चाहते थे और उनकी मां दलजीत कौर ने उन्हें आश्वासन दिया कि अगर वह इस खेल को चुनते हैं तो उन्हें यह मिल जाएगी।
संदीप सिंह को हॉकी खेलने के लिए बस इतनी ही प्रेरणा की जरूरत थी और जल्द ही उनकी प्रतिभा नज़र आने लगी। वह युवा स्तर पर पूरी तरह से छा गए और उन्होंने अपने शक्तिशाली ड्रैग-फ्लिक्स के लिए एक अच्छी पहचान अर्जित की, जिसे बाद में दुनिया में सर्वश्रेष्ठ में से एक माना गया।
संदीप सिंह के शानदार प्रदर्शन की वजह से जल्द ही 2004 के सुल्तान अजलान शाह कप के लिए उन्हें भारतीय हॉकी टीम की ओर से बुलावा आ गया। टीम की ओर से उन्होंने ही एक अकेला गोल किया और भारत इस टूर्नामेंट में अंतिम स्थान पर रहा। लेकिन उनकी ड्रैग-फ्लिक की क्षमता और हॉकी स्टिक के साथ बेहतरीन प्रतिभा कौशल ने राष्ट्रीय चयनकर्ताओं को काफी प्रभावित किया।