प्रकाश पर्व यानी दीपावली पूरे देश भर में धूमधाम के साथ मनाई जा रही है। घरों से लेकर बाजारों तक रौनक छाई हुई है। हर साल दिवाली कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है। दिवाली पांच दिवसीय महोत्सव है जो कि 23 अक्टूबर को धनतेरस से प्रारंभ होती है और भैया दूज के साथ खत्म होती है। दिवाली को दीप उत्सव भी कहा जाता है। दिवाली का त्योहार अंधकार पर प्रकाश की विजय को दर्शाता है। दिवाली के दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा विधि विधान से की जाती है। इससे मां लक्ष्मी भक्तों पर अति प्रसन्न होती हैं और भक्तों को धन-वैभव एवं सुख-संपदा तथा समृद्धि में बढ़ोत्तरी के आशीर्वाद प्रदान करती हैं। वहीं इस बार दीपावली बहुत ही शुभ संयोग के साथ मनाई जाएगी। 2000 साल बाद दीपावली पर बुध, गुरु, शुक्र और शनि खुद की राशि में रहेंगे। साथ ही लक्ष्मी पूजा के समय पांच राजयोग भी रहेंगे। ये ग्रह योग सुख-समृद्धि और लाभ का संकेत दे रहे हैं। इसलिए इस बार दिवाली बहुत शुभ रहेगी। आइये जानें दिवाली के दिन मां लक्ष्मी और गणेश भगवान की पूजा के लिए सबसे उत्तम मुहूर्त। इस बार दीपावली पर दिन में पूजा के मुहूर्त नहीं है। 24 अक्टूबर को शाम 5 बजे के बाद से ही लक्ष्मी पूजा की जा सकेगी। क्योंकि कार्तिक अमावस्या इसी शाम को शुरू होगी और अगले दिन शाम 5 बजे तक रहेगी। लेकिन 25 को सूर्य ग्रहण रहेगा। इसलिए लक्ष्मी पूजा के मुहूर्त शाम और रात में ही रहेंगे।
दीपावली की रात सबसे ज्यादा अंधेरी होती है। ऐसा कहते हैं कि दिवाली की रात महालक्ष्मी पृथ्वी का भ्रमण करती हैं। इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा से पूरे साल धन और समृद्धि प्राप्त होती है। दीपावली के दिन किसी भी प्रकार की दरिद्रता दूर की जा सकती है। इस दिन महालक्ष्मी, धन के देवता कुबेर की पूजा करने का विधान है। इस बाद दिवाली पर ग्रहों के विशेष संयोग बन रहे हैं, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। आपको बता दें कि इस दिन चंद्रमा बुध के साथ कन्या राशि में स्थित होंगे। साथ ही सूर्य और शुक्र तुला राशि में विराजमान रहेंगे। ऐसे में इस बार मां लक्ष्मी का पूजन सुख- समृद्धि देने वाला साबित हो सकता है। पूजन विशेष होता है। इसमें कुछ विशेष सामग्री भी होती हैं। जिसमें एक पूजा की चौकी मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा, रोली, कुमुकम, अक्षत (चावल), पान, सुपारी, नारियल, लौंग, इलायची, धूप, कपूर, अगरबत्तियां, मिट्टी, दीपक, रूई, कलावा, शहद, दही, गंगाजल, गुड़ कमल गट्टा, चांदी का सिक्का, फल और भोग के लिए मिठाई आदि। वहीं पूजन में इस बात का विशेष ध्यान रखें कि मां लक्ष्मी की मूर्ति खंडित नहीं होनी चाहिए। साथ ही चित्र भी कटा- फटा नहीं होना चाहिए।अमावस्या तिथि 24 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 28 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 25 अक्टूबर मंगलवार शाम को 4 बजकर 19 मिनट खत्म होगी। पंचांग के मुताबिक, आज 24 अक्टूबर सोमवार को दिवाली का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 54 मिनट से रात 8 बजकर 16 मिनट तक है।
दिवाली पूजा का शुभ मुहूर्त—
लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल मुहूर्त (शाम): 24 अक्टूबर को शाम 07 बजकर 2 मिनट- 08 बजकर 23 मिनट तक
लक्ष्मी पूजा निशिता काल मुहूर्त (मध्यरात्रि) : 24 अक्टूबर 2022 को रात 11 बजकर 46 मिनट से – 25 अक्टूबर 2022 को 12 बजकर 37 मिनट तक है।
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