सिक्किम सरकार ने घर में रहने वाली मां को सशक्त बनाने के लिए रविवार (5 मार्च) को एक नई योजना की शुरुआत की है। इस योजना के जरिए हर मां के नाम पर एक ‘बचत खाता खोला जाएगा। योजना का उद्देश्य उन महिलाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करना है, जो विवाहित हैं और जिनके बच्चे हैं, लेकिन उनके पास कोई रोजगार नहीं है। राज्य में लगभग 32 निर्वाचन क्षेत्रों से 14,000 लाभार्थी महिलाएं हैं। जिनमें 18 वर्ष और उससे अधिक आयु की विवाहित महिलाएं शामिल हैं, जो घर से बाहर काम नहीं करती हैं और जिनके परिवार के सदस्य कोई नियमित सरकारी नौकरी नहीं करते। उन्हें इस योजना के तहत कवर किया गया है। इस योजना का नाम ‘आमा सशक्तिकरण योजना (Aama Sasaktikaran Yojana)’ रखा गया है। मुख्यमंत्री पीएस तमांग ने पूर्वी सिक्किम के रंगपो में 14,000 लाभार्थियों को चेक दिया। योजना के जरिए सालाना 20,000 रुपये की राशि मिलेगी। यह योजना राज्य में ऐसी सभी माताओं को कवर करती है जो गैर-कामकाजी, अकेली, तलाकशुदा, यौन शोषण की शिकार, अविवाहित और विधवा हैं। सरकार का मानना है कि इससे महिलाओं में आत्मनिर्भरता और स्वायत्तता को बढ़ावा मिलेगा।मुख्यमंत्री पीएस तमांग ने कहा कि साल 2023 के लिए हमने इस योजना के लिए 100 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। जिसका मुख्य उद्देश्य माताओं को घर में आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है। 20,000 रुपये की राशि उनके खातों में जाएगी। जिससे वो अपना खर्च वहन कर सकेंगी। इसके अलावा मुख्यमंत्री ने कहा कि जो माताएं गृहिणी भी हैं, उन्हें समाज में नज़रअंदाज़ किया जाता है। सिक्किम सरकार ऐसी महिलाओं पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है। सिक्किम सरकार का दावा है कि सिक्किम देश का पहला राज्य है, जिसने महिलाओं को लेकर एक कल्याणकारी योजना की शुरुआत की है। योजना न केवल समाज में माताओं की स्थिरता सुनिश्चित करेंगी, बल्कि उन्हें अपने परिवारों के जीवन को बदलने के लिए मजबूती प्रदान करेगी। राज्य सरकार ने दावा किया कि यह महिलाओं को अपने बच्चों की शैक्षिक आवश्यकताओं को पूरा करने, परिवार की आय बढ़ाने और अन्य आवश्यकताओं के लिए धन का उपयोग करने का अवसर भी देगी। इस कार्यक्रम के माध्यम से राज्य सरकार का कहना है कि यह गैर-कामकाजी माताओं को पैसे बचाने की परंपरा को बढ़ावा देगी।