राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) सुप्रीमो शरद पवार के दिमाग में क्या चल रहा है कोई नहीं जानता है। अपने 60 साल के सियासी करियर में शरद पवार ने कई फैसलों से चौंकाया भी है। साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर विपक्षी पार्टियों ने “इंडिया” नाम से नया गठबंधन बनाया है। इस गठबंधन में आगे की रणनीति बनाने में शरद पवार की महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। विपक्षी नेताओं की पहली मीटिंग 23 जून को बिहार की राजधानी पटना में हुई थी। दूसरी मीटिंग 17 और 18 जुलाई को कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में आयोजित की गई। विपक्ष की इन दोनों बैठकों में पवार पहली पंक्ति में मंच पर बैठे नजर आए।
पिछले महीने भतीजे और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने चाचा से बगावत करके एनडीए में शामिल हो गए। इसके बावजूद चाचा शरद पवार ने हार नहीं मानी और एक बार फिर से सियासी मैदान में आक्रामक अंदाज में साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गए। केंद्र से मोदी सरकार को हटाने की तैयारी में जुटा इंडिया गठबंधन की रणनीति बनाने में शरद पवार की महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। लेकिन मंगलवार 1 अगस्त को एक ऐसी तस्वीर आई जो विपक्षी नेताओं को निराश कर गई। कांग्रेस समेत कई विपक्षी नेताओं के मना करने के बावजूद भी शरद पवार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच पर पहुंचकर हाथ मिलाया और फोटो खिंचा कर चले आए। आइए जानते हैं पूरा घटनाक्रम।
1 अगस्त मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महाराष्ट्र के पुणे शहर गए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुणे में विभिन्न विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखेंगे। इस दौरान उन्हें पुणे में लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रमुख शरद पवार की मौजूदगी में पुणे के एसपी कॉलेज ग्राउंड में आयोजित कार्यक्रम में पीएम मोदी को लोकमान्य तिलक पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पुणे पहुंचने के बाद पीएम ने सबसे पहले दगडूशेठ मंदिर में पूजा-अर्चना की।
खास बात ये है कि चर्चा की वजह पीएम मोदी नहीं बल्कि एनसीपी चीफ शरद पवार हैं। महाराष्ट्र में मची राजनीतिक उथल-पुथल के बीच शरद पवार ने पीएम मोदी के साथ मंच साझा किया और उन्हें लोकमान्य तिलक पुरस्कार से सम्मानित भी किया। इवेंट की जो तस्वीरें सामने आई हैं उन्हें लेकर विपक्षी खेमे में हलचल तेज हो गई है। पीएम मोदी जब मंच पर आए, तो शरद पवार वहां मौजूद थे। पीएम मोदी, शरद पवार के पास पहुंचे और उनसे हाथ मिलाया। इस दौरान दोनों के चेहरे पर मुस्कान थी। पीएम मोदी ने कुछ कहा, तो शरद पवार हंसे और पीएम मोदी की पीठ थपथपाई। ये पूरा दृश्य देखकर ऐसा लग ही नहीं रहा था कि ये वही, शरद पवार हैं, जो अगामी लोकसभा चुनाव के लिए मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने में जुटे हुए हैं। सहयोगियों की अपील को दरकिनार कर शरद पवार ने पीएम मोदी के साथ मंच साझा किया। दरअसल, तिलक स्मारक के इस पुरस्कार की घोषणा के बाद से कांग्रेस नाखुश है। इसके बावजूद शरद पवार विपक्षी एकता के एजेंडे से अलग चलते दिखे। विपक्षी दलों की दो बार की हुई बैठक के बाद जहां एक नाम I.N.D.I.A तय हुआ है और सभी इसके बैनर तले आए हैं, तो वहीं शरद पवार ताजा बने इस संगठन की मूल भावना से परे जाकर उस समारोह का हिस्सा बने, जिसमें पीएम मोदी को सम्मानित किया गया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह में जिस तरह नरेंद्र मोदी और शरद पवार ने हंसी-ठिठोली की, वह शिवसेना (यूटीजी) प्रमुख उद्धव ठाकरे को रास नहीं आई। उद्धव ठाकरे अब अपने गठबंधन के सूत्रधार रहे शरद पवार से नाराज बताए जा रहे हैं। बताया जाता है कि शरद पवार जिस तरह नरेंद्र मोदी का मंच पर इंतजार करते रहे, वह उद्धव को नागवार गुजरी है। महाराष्ट्र में एमवीए के दो अन्य सहयोगी दलों शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस की तरफ से भी शरद पवार के पीएम मोदी से मुलाकात को लेकर रिएक्शन सामने आया। जहां शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए कहा कि शरद पवार को इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होना चाहिए था और ऐसा करके वो शंकाओं को दूर कर सकते थे, वहीं कांग्रेस ने कहा कि समारोह में शामिल होना शरद पवार का निजी फैसला था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पवार की एक मंच पर मुलाकात को लेकर एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने भी इसे लेकर तंज कसा है। असदुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमंत्री मोदी और शरद पवार की पुणे में आयोजित कार्यक्रम की एक तस्वीर शेयर करते हुए ट्वीट किया। जिसमें उन्होंने कहा कि जहां एक तरफ तमाम विपक्षी दल मणिपुर मामले को लेकर सरकार का विरोध कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ शरद पवार पीएम मोदी के साथ मंच पर दिख रहे हैं। ओवैसी ने लिखा, लोकसभा में एनसीपी और अन्य विपक्षी दल मणिपुर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, वहीं शरद पवार खुशी-खुशी पुणे में नरेंद्र मोदी के साथ मंच साझा कर रहे हैं। ये क्या पाखंड है? उधर बीजेपी संसद में खुशी-खुशी बिना चर्चा के बिल पास करा रही है।

बता दें कि शरद पवार ने मोदी के साथ मंच साझा न करने के विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ के अनुरोध को स्वीकार नहीं किया था। ‘इंडिया’ के सदस्यों का मानना है कि ऐसे वक्त में जब बीजेपी के खिलाफ एकजुट होकर एक मोर्चा बनाया जा रहा है तो पवार का इस कार्यक्रम में शामिल होना विपक्ष के लिए अच्छा नहीं होगा। यह पहला ऐसा मौका है, जब अजित पवार की बगावत के बाद शरद पवार और पीएम मोदी किसी कार्यक्रम में एक साथ मंच साझा किया। पहले अटकलें थीं कि शरद पवार इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे। हालांकि, शरद पवार ने कार्यक्रम में आने के लिए हामी भरी थी।
इस कार्यक्रम में पीएम मोदी, शरद पवार के अलावा महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस, सीएम एकनाथ शिंदे, डिप्टी सीएम देवेन्द्र फड़नवीस, डिप्टी सीएम अजित पवार, पूर्व गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे मौजूद रहे। यानी कि चाचा से बगावत के बाद किसी सार्वजनिक कार्यक्रम के मंच पर पहली बार शरद पवार और अजित पवार आमने-सामने आए। हालांकि, अजित पवार ने शरद पवार से नजरें नहीं मिलाईं। वे शरद पवार के पीछे-पीछे चलते नजर आए। अब आगे देखते हैं शरद पवार का अगला सियासी दांव क्या रहता है।