Kedarnath Tragedy VIDEO : 11 साल बाद फिर केदारघाटी में तबाही का सैलाब, हजारों श्रद्धालुओं को डरा गया खौफनाक मंजर, मौत के मुंह से निकले तीर्थयात्री 
October 18, 2024
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Kedarnath Tragedy VIDEO : 11 साल बाद फिर केदारघाटी में तबाही का सैलाब, हजारों श्रद्धालुओं को डरा गया खौफनाक मंजर, मौत के मुंह से निकले तीर्थयात्री

(2013 में उत्तराखंड के केदारनाथ में आई भीषण प्राकृतिक आपदा की एक बार फिर यादें ताजा हो गई। उत्तराखंड में भारी बारिश और बादल फटने से तबाही मची है। टिहरी से लेकर केदारनाथ तक हर जगह तबाही के निशान देखे जा सकते हैं। केदारनाथ में बादल फटने के बाद हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहाड़ों के बीच फंस गए । भारी बारिश से हुए भूस्खलन के चलते रास्ते बंद हो चुके हैं। इस विपत्ति की घड़ी में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक बार फिर मोर्चा संभाला। मुख्यमंत्री धामी ने भारी बारिश से पैदा हुए गंभीर हालात में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एक बार फिर ग्राउंड जीरो पर नजर आए। अतिवृष्टि से प्रभावित लोगों और केदारनाथ धाम का मार्ग अवरुद्ध हो जाने के कारण फंसे श्रद्धालुओं के बीच जब मुख्यमंत्री पहुंचे तो वे सुकून महसूस करते दिखे।रिपोर्ट्स के मुताबिक करीब 15 लोगों की मौत हुई है और अभी भी कई लापता बताए जा रहे हैं। केदारनाथ पैदल मार्ग पर फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए अभी भी रेस्क्यू अभियान जारी है।)

11 साल पहले 2013 में उत्तराखंड के केदारनाथ में आई भीषण प्राकृतिक आपदा की एक बार फिर यादें ताजा हो गई। गनीमत रही कि इस बार ज्यादा जान-माल का ज्यादा नुकसान नहीं हुआ। लेकिन भयानक मौत का मंजर हजारों श्रद्धालुओं को डरा गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक करीब 15 लोगों की मौत हुई है और अभी भी कई लापता बताए जा रहे हैं। उत्तराखंड में भारी बारिश और बादल फटने से तबाही मची है। टिहरी से लेकर केदारनाथ तक हर जगह तबाही के निशान देखे जा सकते हैं। केदारनाथ में बादल फटने के बाद हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहाड़ों के बीच फंस गए । भारी बारिश से हुए भूस्खलन के चलते रास्ते बंद हो चुके हैं। बुधवार रात करीब साढ़े नौ बजे लिनचोली के समीप जंगलचट्टी में बादल फटने से गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल रास्ते पर भारी बारिश के बाद भीमबली में 20-25 मीटर का मार्ग बह गया तथा पहाड़ों से बड़े-बड़े पत्थर आ गए। इसके बाद रामबाड़ा, भीमबली लिनचोली का रास्ता पूरी तरह से बंद हो गया।

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बादल फटने से केदारनाथ यात्रा रूट पर 30 मीटर की सड़क मंदाकिनी नदी में समा गई है। भारी बारिश के बाद केदारनाथ यात्रा रोक दी गई है और बड़ी संख्या में ज्यादा लोग फंसे हैं। इस विपत्ति की घड़ी में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक बार फिर मोर्चा संभाला। सीएम रात भर दूरभाष पर सचिव आपदा प्रबंधन विनोद कुमार सुमन और जिलाधिकारियों से हालात का अपडेट लेते रहे। सीएम के देर रात तक एक्शन में होने के साथ ही सीएम कार्यालय, पुलिस, जिला प्रशासन और आपदा प्रबंधन की टीम भी पूरी सजगता के साथ जुट गई। मुख्यमंत्री धामी ने भारी बारिश से पैदा हुए गंभीर हालात में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एक बार फिर ग्राउंड जीरो पर नजर आए। अतिवृष्टि से प्रभावित लोगों और केदारनाथ धाम का मार्ग अवरुद्ध हो जाने के कारण फंसे श्रद्धालुओं के बीच जब मुख्यमंत्री पहुंचे तो वे सुकून महसूस करते दिखे। वहीं दूसरी ओर ताजा स्थिति और राहत बचाव को लेकर राजधानी दिल्ली भी मुख्यमंत्री के लिए फोन घनघनाते रहे। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ ने मिलकर रेस्क्यू अभियान चलाया।

अभी तक हेलिकॉप्टर और पैदल चलाए गए रेस्क्यू अभियान में 4000 से अधिक भक्तों को सुरक्षित निकाला जा चुका है। टिहरी से लेकर केदारनाथ तक हर जगह तबाही के निशान देखे जा सकते हैं। टिहरी के जिस नौताड़ इलाके और केदारनाथ में भी बादल फटने से भारी नुकसान हुआ है। इसके साथ ही पूरे केदारनाथ धाम में लोग अलग-अलग पड़ाव पर फंसे हुए हैं। वहीं दूसरी ओर कई लोग लापता हैं। अपनों की तलाश में केदारनाथ पैदल मार्गों पर परिजन भटक रहे हैं। केदारनाथ में राहत बचाव कार्य के लिए केंद्र सरकार ने एमआई-17 और चिनूक हेलीकॉप्टर उत्तराखंड भेजे गए ।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पीएम मोदी से इसके लिए अनुरोध किया था। इसके बाद केंद्र सरकार ने रेस्क्यू ऑपरेशन में तेजी के लिए दोनों हेलीकॉप्टर भेजे हैं। विभिन्‍न पड़ावों पर फंसे 4000 से अधिक तीर्थयात्रियों को एनडीआरएफ, एसडीआरएफ व पुलिस ने निकालकर सुरक्षित स्‍थानों पर पहुंचाया गया। इनमें से 700 का हेलीकॉप्‍टर रेस्‍क्‍यू किया गया। बाकी फंसे यात्रियों को रेस्‍क्‍यू किया जा रहा है। केंद्रीय गृह अमित शाह ने मुख्‍यमंत्री पुष्‍कर सिंह धामी से फोन पर प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर आई आपदा के विषय में जानकारी ली। इस दौरान उन्हें प्रभावित क्षेत्रों में युद्ध स्तर पर चल रहे राहत एवं बचाव कार्यों के बारे में विस्तृत जानकारी दी।

उन्‍होंने प्रदेशवासियों व श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए हर संभव सहायता का आश्वासन दिया।फिलहाल केदारनाथ पैदल यात्रा मार्ग जगह-जगह बंद है और यात्रा भी फिलहाल रोकी गई है। बारिश से हालात अस्त-व्यस्त हैं, जिससे लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उत्तराखंड में लगातार हो रही बारिश लोगों पर कहर बनकर टूट रही है। भारी बारिश से कई संपर्क मार्ग बाधित हो गए हैं। वहीं भारी बारिश को देखते हुए प्रशासन ने लोगों को सतर्क रहने की अपील की है।

शनिवार को सीएम धामी ने मुख्यमंत्री आवास में उच्च स्तरीय बैठक की। बैठक के दौरान सीएम ने शासन के अधिकारियों को प्रभावित क्षेत्रों में राहत बचाव कार्यों का लगातार मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिये। साथ ही जिलों के जिलाधिकारियों की ओर से राहत और बचाव कार्यों के लिए जो भी सहायता मांगी जा रही है उसे पर तत्काल कार्रवाई करते हुए सहयोग देने की बात कही‌ । सीएम ने सचिव आपदा प्रबंधन, सचिव लोक निर्माण विभाग और ऊर्जा विभाग के आला अधिकारियों को निर्देश दिए कि तत्काल रुद्रप्रयाग जिले का दौरा करते हुए रेस्क्यू और आधारभूत संरचनाओं को व्यवस्थित करने की दिशा में कार्य करें।

सीएम ने रुद्रप्रयाग जिले के जिलाधिकारी से वर्चुअल माध्यम से बातचीत कर निर्देश दिये कि केदारनाथ पैदल मार्ग पर आवागमन को जल्द से जल्द शुरू करने का प्रयास करें। पैदल यात्रा मार्ग पर फंसे यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर रोका जाए। उनके लिए भोजन की व्यवस्था की जाये। श्रद्धालुओं के परिजनों को उनके सुरक्षित होने की जानकारी का अपडेट भी देते रहें। जारी किये गये हेल्पलाईन नम्बरों का भी व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार किया जाये। साथ ही मौसम बेहतर होने की स्थिति में श्रद्धालुओं को जल्द-जल्द रेस्क्यू किया जाए। सीएम ने निर्देश दिये कि गौरीकुंड और सोनप्रयाग के बीच के क्षतिग्रस्त 150 मीटर सड़क के निर्माण कार्य जल्द करवाया जाये।

श्रद्धालुओं के साथ पुलिस का व्यवहार अच्छा हो, साथ ही प्रभावित क्षेत्रों में विद्युत और पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था भी सुचारू रखने की बात सीएम धामी ने कही। रुद्रप्रयाग डीएम सौरभ गहरवार ने बताया केदारनाथ पैदल मार्ग पर जिन स्थानों पर मलबा आया है, उन पर कार्य चल रहा है। मौसम अनुकूल होने की स्थिति में इन रास्तों को अगले एक हफ्ते में ठीक करा लिया जायेगा। बता दें कि उत्तराखंड के केदारनाथ में बादल फटने से भारी तबाही हुई है। जिसके बाद से रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। अब तक 7 हजार से ज्यादा लोगों को रेस्क्यू किया गया है। अभी भी हजारों यात्री ऊपर फसे हैं जिनको निकालने की कवायद चल रही है। केदारनाथ में फंसे तीर्थयात्रियों को शुक्रवार को वायुसेना के चिनूक और एमआई-17 हेलीकॉप्टरों से गौचर हेलीपैड पहुंचाया गया। उत्तराखंड में कई नदियों के उफान पर होने के कारण अचानक आई बाढ़ और एक मकान ढहने से कुछ लोगों की मौत हो गई तथा कई घायल हो गए।भारी बारिश के कारण केदार घाटी में रास्ते क्षतिग्रस्त होने के चलते विभिन्न पड़ावों पर फंसे हुए तीर्थ यात्रियों एवं स्थानीय लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू करने के लिए जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन सहित अन्य सुरक्षा बल लगातार कार्य कर रहे हैं।

प्राकृतिक आपदा ने वायनाड को दिए गहरे जख्म, 361 लोगों की मौत–

दक्षिण भारतीय राज्य का खूबसूरत जिला वायनाड सोमवार देर रात आई प्राकृतिक आपदा के बाद देश भर में सुर्खियों में है। बारिश और भूस्खलन से अब तक मरने वालों की संख्या 361 पहुंच गई है। कई लोग लापता हैं। करीब 22 हजार की आबादी वाले 4 गांव सिर्फ 4 घंटे में पूरी तरह तबाह हो गए हैं। चारों तरफ बर्बादी ने इन गांवों की खूबसूरती को उजाड़ दिया है। घर दफन हो गए और सैकड़ों लोग मलबे में दब गए। हादसे के बाद वायरल हुई तस्वीरें पूरे देश को झकझोर गई। लापता हुए लोगों की खोजबीन के लिए रेस्क्यू अभियान चलाया जा रहा है। साल 2019 से पहले केरल के वायनाड के बारे में लोग ज्यादा परिचित नहीं थे।

पिछले लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी यहीं से लोकसभा चुनाव लड़े और जीते। इस बार भी लोकसभा चुनाव राहुल गांधी रायबरेली के साथ वायनाड से भी लड़े। हालांकि बाद में उन्होंने वायनाड सीट छोड़ दी। सोमवार देर रात जब वायनाड में बारिश और लैंडस्लाइड ने तबाही मचाई तब यह जिला खबरों में बना हुआ है। बता दें कि वायनाड, केरल के नॉर्थ-ईस्ट में है। यह केरल का एकमात्र पठारी इलाका है। यानी मिट्टी, पत्थर और उसके ऊपर उगे पेड़-पौधों के ऊंचे-नीचे टीलों वाला इलाका। केरल का 43% इलाका लैंडस्लाइड प्रभावित है। वायनाड की 51% जमीन पहाड़ी ढलाने हैं। यहां लैंडस्लाइड का खतरा बना रहता है। केरल का यह पहाड़ी क्षेत्र बारिश के सीजन में हमेशा संवेदनशील रहा है। 5 साल पहले 2019 में भी भारी बारिश की वजह से इन्हीं गांवों में लैंडस्लाइड हुई थी, जिसमें 17 लोगों की मौत हुई थी। 5 लोगों का आज तक पता नहीं चला। 52 घर तबाह हुए थे।

इससे पहले केरल में अगस्त 2018 में आई प्राकृतिक आपदा में 483 लोगों की मौत हो गई थी। इस आपदा को राज्य की ‘सदी की बाढ़’ कहा गया था। त्रासदी में ना सिर्फ लोगों की जान गईं, बल्कि संपत्ति और आजीविका भी नष्ट हो गई थी। केंद्र सरकार ने 2018 की बाढ़ को ‘डिजास्टर ऑफ सीरियस नेचर’ घोषित किया था। अक्टूबर 2021 में फिर लगातार बारिश के कारण भूस्खलन हुआ, जिससे राज्य के इडुक्की और कोट्टायम जिलों में 35 लोगों की मौत हो गई थी। 2021 में भारी बारिश और बाढ़ से संबंधित घटनाओं ने केरल में 53 लोगों की जान ले ली थी। केरल में वायनाड को पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है। ये समुद्र तल से 2100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और यहां हरी-भरी वनस्पतियां, धुंध से ढकी पहाड़ियां और शुद्ध हवा इलाके को स्वर्ग बना देती हैं। लेकिन, आज हालात अलग हैं। चारों तरफ मलबा पसरा है और जगह-जगह सड़कें धंसी हैं। दरअसल, सोमवार-मंगलवार की दरम्यानी रात वायनाड में जबरदस्त बारिश आफत बन गई। रात एक बजे से 5 बजे के बीच तीन बार लैंडस्लाइड हुई और इससे पहाड़ के नीचे चेलियार नदी के कैचमेंट में बसे चार खूबसूरत गांव चूरलमाला, अट्टामाला, नूलपुझा और मुंडक्कई में तबाही आ गई। बड़े-बड़े पत्थर और मलबे में गांव के गांव चपेट में आ गए।

कुछ ही देर में सैकड़ों घर मलबे का ढेर बन गए। दो दिन के दौरे पर पहुंचे राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने शुक्रवार को वायनाड में जिला प्रशासन और पंचायत के अधिकारियों के साथ बैठक की। वायनाड दौरे पर पहुंचे राहुल गांधी ने भूस्खलन त्रासदी के पीड़ितों से मिलने के बाद एलान किया कि कांग्रेस यहां 100 से अधिक घर बनाएगी। उन्होंने कहा कि यह राज्य में एक क्षेत्र में हुई अब तक की सबसे बड़ी घटना है और इससे अलग तरीके से निपटना चाहिए।

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