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November 20, 2025
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कोर्ट में सरेंडर करने के बजाय विधायक बन गए “कानून मंत्री”, अब नीतीश ने कहा, हमको इसकी जानकारी नहीं थी, भाजपा मिनिस्टर की बर्खास्तगी के पीछे पड़ी

भाजपा से नाता तोड़ने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के साथ बिहार में अपनी सरकार बनाई है। एक दिन पहले 16 अगस्त को नीतीश सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार हुआ। इसमें 31 विधायकों को मंत्री बनाया गया। शपथ लेने वाले मंत्रियों में लालू यादव की पार्टी आरजेडी के विधायक कार्तिकेय सिंह भी शामिल हैं, जिन्हें नीतीश कुमार की नई सरकार में “कानून मंत्री” बनाया गया है। शपथ लेने के साथ ही कार्तिकेय सिंह विवादों में घिर गए। दरअसल, जिस दिन कार्तिकेय मंत्री पद की शपथ ले रहे थे, उन्हें उसी दिन कोर्ट में सरेंडर करना था। बिहार की नई सरकार में 33 मंत्रियों में 72% यानी 23 ने अपने ऊपर आपराधिक मामले दर्ज होने की जानकारी दी है। इतना ही नहीं इनमें से 53% यानी 17 पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें राजद विधायक कार्तिकेय सिंह भी शामिल हैं, जिन्होंने कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली है। उन्हें 16 अगस्त को कोर्ट में सरेंडर करने का वारंट जारी किया गया था, लेकिन सरेंडर की बजाय उन्होंने 16 अगस्त को कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली। कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह के बारे में जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हमको इसकी जानकारी नहीं है। वहीं बीजेपी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि बिहार के मंत्री ही कानून से खिलवाड़ कर रहे हैं। जो जंगलराज की ओर इशारा करता है। “वहीं नीतीश कुमार ने कहा है कि उन्हें कार्तिकेय सिंह पर दर्ज मामले को लेकर जानकारी नहीं है”। रविशंकर प्रसाद ने इसे जंगलराज बताते हुए कहा, यह केस बहुत गंभीर है अपहरण का, जिसमें आजीवन कारावास की सजा हो सकती है। नीतीश कुमार जी मैं आपसे उम्मीद करूंगा कि थोड़ी तो हिम्मत दिखाइए। भाजपा का साथ छोड़ने में तो बहुत जल्दी हिम्मत दिखा देते हैं, बिना बताए। वहीं भाजपा सांसद और बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा था कि अगर कार्तिकेय सिंह के खिलाफ वारंट था, तो उन्हें आत्मसमर्पण करना चाहिए था। सुशील कुमार मोदी ने कहा, उन्होंने कानून मंत्री के रूप में शपथ ली है। मैं नीतीश से पूछता हूं, क्या वह बिहार को लालू राज में वापस ले जाने की कोशिश कर रहे हैं? कार्तिकेय सिंह को बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए। बता दें कि बिहार के मोकामा के रहने वाले कार्तिकेय सिंह मंत्री बनने से पहले शिक्षक भी रह चुके हैं। समर्थकों के बीच वो ‘कार्तिकेय मास्टर’ के नाम से मशहूर हैं। पूर्व बाहुबली विधायक अनंत सिंह के करीबी होने का नाते उनकी ठेकेदारी प्रथा में निखार आ गई। वर्ष 2005 के बिहार विधानसभा चुनाव के बाद कार्तिक मास्टर और अनंत सिंह की दोस्ती परवान चढ़ी थी। अनंत सिंह के लिए सभी राजनीतिक दांव-पेंच पर्दे के पीछे से कार्तिकेय की मदद से ही अनंत सिंह संभालते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक करीब सात साल पहले दानापुर थाना क्षेत्र के बिहटा इलाके में राजू सिंह का अपहरण हुआ था। जिसमें जांच के दौरान कार्तिकेय सिंह का भी नाम जुड़ गया था। जिसको लेकर दानापुर कोर्ट ने सम्मन जारी किया था। लेकिन उसी दिन कार्तिकेय नीतीश सरकार में कानून मंत्री की शपथ ले रहे थे।

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