उत्तर प्रदेश में नगर निगम चुनाव को लेकर कई दिनों से प्रदेशवासियों को इसका बेसब्री से इंतजार था। योगी सरकार समेत प्रदेश की जनता हाईकोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे थे। आखिरकार इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने मंगलवार 27 दिसंबर को बड़ा फैसला सुनाते हुए। ओबीसी आरक्षण को रद करते हुए तत्काल चुनाव कराने का आदेश दिया है। कोर्ट ने सरकार की दलीलों को नहीं माना। कोर्ट में सुनवाई चलते रहने के कारण राज्य निर्वाचन आयोग के अधिसूचना जारी करने पर रोक लगा दी गई थी। कोर्ट ने कहा है कि जब तक ट्रिपल टेस्ट न हो तब तक ओबीसी आरक्षण नहीं होगा। कोर्ट ने बिना आरक्षण के तत्काल चुनाव कराने के निर्देश दिए। अब लखनऊ हाई कोर्ट की बेंच के इस आदेश के बाद माना जा रहा है कभी भी यूपी निकाय चुनाव के लिए अधिसूचना जारी हो सकती है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले का पालन किए बिना ओबीसी आरक्षण के मसौदे को तैयार करने को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं के बाद यह फैसला आया है। मामले पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने मंगलवार को 70 पेजों का फैसला सुनाया है। फैसले के बाद ओबीसी के लिए आरक्षित सभी सीटें अब जनरल (सामान्य) मानी जाएंगी। हाईकोर्ट ने इस फैसले के साथ ही तत्काल निकाय चुनाव कराने का निर्देश दिया है। लखनऊ पीठ ने मंगलवार को शहरी स्थानीय निकाय चुनावों पर राज्य सरकार की मसौदा अधिसूचना को रद्द कर दिया और ओबीसी के लिए आरक्षण के बिना चुनाव कराने का आदेश दिया है। यह फैसला जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस सौरव लवानिया की खंडपीठ ने सुनाया।