Bhagat Singh kosyari Come back Uttrakhand : उत्तराखंड लौटे पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी, मार्गदर्शक बनेंगे या सियासी पावर सेंटर ? शुरू हुई सियासी अटकलें - Daily Lok Manch PM Modi USA Visit New York Yoga Day
February 4, 2025
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Bhagat Singh kosyari Come back Uttrakhand : उत्तराखंड लौटे पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी, मार्गदर्शक बनेंगे या सियासी पावर सेंटर ? शुरू हुई सियासी अटकलें


शुक्रवार को उत्तराखंड भाजपा खेमे में एक नई सियासी हलचल शुरू हो गई। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट समेत तमाम पार्टी के बड़े दिग्गज नेता हाथ में गुलदस्ता लिए हुए देहरादून जौली ग्रांट एयरपोर्ट पर पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का स्वागत करने पहुंचे । उत्तराखंड की राजनीति में भगत सिंह कोश्यारी को भगतदा के नाम से भी जाना जाता है। ‌महाराष्ट्र के राज्यपाल के पद से इस्तीफा देकर कोश्यारी शुक्रवार शाम को अपने राज्य में लौट आए हैं। उनके स्वागत करने के लिए भाजपा के तमाम बड़े नेता मौजूद रहे । बता दें कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपनी सियासत कोश्यारी के मार्गदर्शन से ही शुरू की थी। सीएम धामी कोश्यारी को राजनीतिक गुरु मानते हैं। ‌मुख्यमंत्री धामी को कोश्यारी का करीबी माना जाता है। जब भगत सिंह कोश्यारी मुख्यमंत्री थे तो पुष्कर धामी उनके ओएसडी हुआ करते थे। पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाने में कोश्यारी का भी बड़ा हाथ रहा है। अब राज्यपाल के पद से रिटायर होने के बाद गुरु कोश्यारी शिष्य सीएम धामी के करीब आ गए हैं। हालांकि बढ़ती उम्र में भगत सिंह कोश्यारी ने सक्रिय राजनीति में शामिल होने के संकेत तो नहीं दिए हैं लेकिन उनका उत्साह और बयान बता रहा है कि वह धामी सरकार और राज्य भाजपा में मार्गदर्शक के साथ राजनीति में सक्रिय भी हो सकते हैं। भाजपा हाईकमान को अगले साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए भगत सिंह कोश्यारी के सियासी अनुभव का भी लाभ लेना चाहेगी। बता दें कि भगतदा उत्तराखंड में भाजपा के उन बड़े नेताओं में शामिल हैं, जिनकी छवि कुशल प्रशासक की रही है। उन्हें कुशल सांगठनिक क्षमता वाला राजनेता भी माना जाता है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उनके शिष्य हैं तो उन्हें उनका मार्गदर्शन मिलना स्वाभाविक है।

पिछले दिनों राजधानी देहरादून में भर्ती परीक्षाओं में सीबीआई जांच को लेकर हजारों की संख्या में नवयुवक सड़कों पर उतरे थे। अचानक हजारों की संख्या में युवकों का विरोध प्रदर्शन धामी सरकार के लिए भी मुसीबत खड़ी कर गया। वहीं दूसरी ओर कई राज्य में कई भाजपा नेताओं ने छात्र-छात्राओं पर पुलिस लाठी चार्ज का विरोध भी दर्ज कराया। जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शुक्रवार को अपने श्रीनगर दौरे पर युवकों पर हुए लाठीचार्ज की कड़ी निंदा भी की है। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कई बयान पार्टी को असहज करते रहते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने भी पिछले दिनों अपने मन की टीस निकाली थी। प्रदेश अध्यक्ष ने दिल्ली पहुंचकर केंद्रीय कमान के सामने उन्हें बैठाकर इस तरह के सार्वजनिक बयान देने से बचने को कहा। आगामी लोकसभा चुनावों में ऐसी स्थितियों को भाजपा के लिए सहज नहीं माना जा रहा। धामी मंत्रिमंडल के कद्दावर मंत्री भी खुद की उपेक्षा को लेकर पार्टी फोरम पर बात रख रहे हैं। उनका कहना है कि ब्यूरोक्रेसी मंत्रियों को इस तरह से अनसुना करती है, मानो मुख्यमंत्री ने ही उन्हें ऐसा करने को कहा हो। इसके अलावा कई ऐसे पार्टी के नेता हैं जो बेरोजगार युवकों के समर्थन में ही खड़े नजर आ रहे हैं।राज्य में सीएम धामी के प्रतिद्वंदियों और असंतुष्टों की संख्या भी बढ़ रही है। हालांकि उन्होंने अभी तक चुप्पी साध रखी है लेकिन आने वाले समय में कहीं न कहीं वह सीएम धामी के लिए मुसीबत भी बन सकते हैं। इन सब को ध्यान में रखते हुए सीएम धामी को भी भगत सिंह कोश्यारी की जरूरत भी है। ऐसा नहीं है कि महाराष्ट्र के राज्यपाल बनने के बाद भगत सिंह कोश्यारी उत्तराखंड की राजनीति में सक्रिय नहीं रहे। जब त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटाने की बात चल रही थी, तब पुष्कर सिंह धामी के लिए पूरी की पूरी लॉबिंग भगत सिंह कोश्यारी ने ही की थी। भगत सिंह कोश्यारी जब उत्तराखंड के मुख्यमंत्री थे। उस वक्त पुष्कर सिंह धामी उनके ओएसडी हुआ करते थे। परिवार जैसा संबंध और गुरु का दर्जा देने वाले पुष्कर सिंह धामी विधायक बनने के बाद लगातार कोश्यारी के संपर्क में रहे। मुख्यमंत्री बनने के बाद पुष्कर सिंह धामी कई बार दिल्ली और देहरादून आगमन पर भगत सिंह कोश्यारी से आशीर्वाद लेने भी पहुंचे थे। भगतदा के लौटने के बाद भाजपा के साथ उत्तराखंड की राजनीति में भी अटकलें बढ़ गई हैं। कोश्यारी एकांतवास में जाकर अध्ययन में जीवन बिताएंगे या फिर सियासत में एक पावर सेंटर की तरह अपने समर्थकों की मुराद पूरी करने का माध्यम बनेंगे ? उत्तराखंड की सियासत में भगत सिंह कोश्यारी की वापसी से क्या उनके शिष्य सीएम पुष्कर सिंह धामी को ताकत मिलेगी? कोश्यारी को धामी पिता तुल्य मानते हैं। धामी के सीएम की कुर्सी तक पहुंचने में कोश्यारी की अहम भूमिका रही है। ऐसे में कोश्यारी की चाणक्य नीति क्या अपने शिष्य की राजनीतिक यात्रा को और सहज बनाने में मददगार साबित होगी या कोश्यारी एक अलग शक्ति ध्रुव बनकर अपने शिष्य की चुनौती को और कड़ा बना देंगे। भगतदा को जानते हैं, उन्हें मालूम है कि वह राजनीति से शायद ही दूर रह पाएंगे। हालांकि अभी यह तय नहीं है कि उनका अगला कदम क्या होगा। भगतदा अपना अगला ठिकाना पिथौरागढ़ को बनाते हैं या देहरादून के डिफेंस कालोनी में अपने किराये के घर को अपना निवास स्थान बनाते हैं, ये सब आने वाला वक्त तय करेगा। मालूम हो कि पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंबई दौरे के दौरान कहा था कि कोश्यारी को वे तब से जानते हैं, जब उत्तराखंड के पार्टी प्रभारी बने थे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कोश्यारी के चेले ही माने जाते हैं। गुरु के आने पर राज्य में दो पावर सेंटर बनने की भी संभावना है। कोश्यारी के देहरादून पहुंचने के बाद उनकी क्या भूमिका होगी इसको लेकर अटकलें शुरू हो गई हैं।



कोश्यारी के उत्तराखंड पहुंचने पर प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट समेत कई पार्टी के नेताओं ने किया स्वागत–



बता दें कि शुक्रवार शाम को भगत सिंह कोश्यारी जौलीग्रांट एयरपोर्ट पहुंचे। जहां प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट समेत कई पार्टी पदाधिकारी उनके स्वागत को पहुंचे। गर्मजोशी के साथ उनका स्वागत किया गया। ढोल-नगाड़ों की थाप और पुष्पवर्षा के बीच भगत का काफिला आगे बढ़ा। विभिन्न स्थानों पर कार्यकर्ताओं ने उनका स्वागत किया। इसके बाद भगत सिंह कोश्यारी डिफेंस कालोनी स्थित आवास पहुंचे, जहां उन्हें पुलिस कर्मियों ने गार्ड आफ आनर दिया। एयरपोर्ट पर स्वागत के दौरान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट, विधायक आदेश चौहान, प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी, महिला मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष आशा नौटियाल, जिला अध्यक्ष कविता शाह, ऋषिकेश जिला महामंत्री राजेंद्र तड़ियाल, विशाल क्षेत्री शामिल रहे।
बता दें कि जब कोश्यारी महाराष्ट्र के राज्यपाल थे तब उन्होंने कई ऐसे बयान दिए जिस पर काफी विवाद की स्थिति बनी। ये उनके इस्तीफे का एक बड़ा कारण भी माना जा रहा है। कभी उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज को गुजरे जमाने के आइकॉन बताया था तो सावित्रीबाई फुले के बाल विवाह को लेकर भी विवादित बयान दिया था। यही नहीं, कोश्यारी ने गुजराती और राजस्थानियों को लेकर कहा था कि अगर महाराष्ट्र से ये दोनों चले जाए तो राज्य कंगाल हो जाएगा। ये तो रही बयानों की बात लेकिन अपने कुछ फैसलों की वजह से भी कोश्यारी विवादों में रहे थे। इसमें सबसे प्रमुख था रातों-रात देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाना। ये साल 2019 की घटना थी।


भगत सिंह कोश्यारी ने उत्तराखंड में दूसरे मुख्यमंत्री के रूप में संभाली थी कमान–


बता दें कि साल 2000 में उत्तराखंड बनने के बाद कोश्यारी सीएम नित्यानंद स्वामी की पहली सरकार में मंत्री रहे। इसके बाद साल 2001 में वो उत्तराखंड के दूसरे मुख्यमंत्री बने। हालांकि, उनका मुख्यमंत्री का कार्यकाल ज्यादा वक्त नहीं रहा। साल 2002 में हुए राज्य के पहले चुनाव में कांग्रेस सत्ता में आई। तब कोश्यारी ने नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी निभाई। 2007 तक वो उत्तराखंड बीजेपी के अध्यक्ष रहे। साल 2008 से 2014 तक राज्यसभा सांसद रहे। फिर 2014 लोकसभा चुनाव में नैनीताल सीट से जीत दर्जकर लोकसभा पहुंचे‌। 5 सितंबर 2019 को कोश्यारी ने महाराष्ट्र के 19वें राज्यपाल के रूप में मराठी में शपथ ली थी। बता दें कि कुछ समय पहले भगत सिंह कोश्यारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से राज्यपाल का पद छोड़ने के लिए आग्रह किया था। उसके बाद उन्होंने अपने पद से त्याग पत्र दे दिया था। उनका इस्तीफा बीती 12 फरवरी को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूर कर लिया था। इससे एक दिन पहले भगत सिंह कोश्यारी को राजभवन में गार्ड ऑफ ऑनर के साथ विदाई दी गई। जिसके बाद वो शुक्रवार शाम को विशेष विमान से मुंबई से देहरादून पहुंचे। महाराष्ट्र के नए राज्यपाल रमेश बैस ने शनिवार को शपथ ग्रहण की।

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