यहां देखें वीडियो 👇
करीब एक दशक पहले आकाश में उड़ते हुए गिद्ध नजर आते थे। लेकिन हाल के वर्षों में धीरे धीरे गिद्ध अब बहुत कम ही दिखाई पड़ते हैं। पिछले एक दशक के दौरान भारत, नेपाल और पाकिस्तान में उनकी तादात में 95 प्रतिशत तक की कमी आई है और ऐसे ही रुझान पूरे अफ्रीका में देखे गए हैं। रामायण में भी गिद्ध पक्षी (जटायु) का उल्लेख मिलता है। ये कत्थई और काले रंग के भारी कद के पक्षी हैं, जिनकी दृष्टि बहुत तेज होती है। शिकारी पक्षियों की तरह इनकी चोंच भी टेढ़ी और मजबूत होती है, लेकिन इनके पंजे और नाखून उनके जैसे तेज और मजबूत नहीं होते। ये झुंडों में रहने वाले मुर्दाखेर पक्षी हैं जिनसे कोई भी गंदी और घिनौनी चीज खाने से नहीं बचती। लेकिन रविवार से एक भारी-भरकम सफेद रंग का गिद्ध पूरे देश भर में चर्चा में बना हुआ है।

“आज यह बातें हम इसलिए कह रहे हैं कि उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में रविवार को एक बेहद ही दुर्लभ प्रजाति का विशालकाय गिद्ध पाया गया है”। इसे कर्नलगंज स्थित ईदगाह कब्रिस्तान से रविवार को पकड़ा गया। इसे देखकर आसपास लोगों की भारी भीड़ लग गई। स्थानीय लोगों ने इसे वन विभाग को सौंप दिया है। बता दें कि यह गिद्ध अब लगभग विलुप्त हो चुका है या विलुप्त होने की कगार पर है। यह हिमालय के पहाड़ी इलाकों में पाया जाता है। काफी संख्या में लोग इसे देखने के लिए इकट्ठे हो गए। उसे पकड़कर कानपुर चिड़ियाघर में रखा गया है। पकड़े गए गिद्ध के पंख 4-5 फीट लंबे हैं। इसके पंजे भी बहुत लंबे हैं। इसका वजह करीब 8 किलो बताया जा रहा है।यह हिमालय पर करीब 12000 फीट की ऊंचाई पर पाया जाने वाला दुर्लभ प्रजाति का गिद्ध है। लंबी उम्र इसकी खूबी है।

बता दें कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पशु पक्षियों के प्रेम के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने गोरखपुर में गाय, नंदी, बंदर समेत तमाम जानवरों का पालन करने के लिए दिशा निर्देश दिए हुए हैं। वहीं जटायु (गिद्ध) संरक्षण एवं प्रजनन केन्द्र का शिलान्यास 7 अक्टूबर 2020 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ही किया था, कार्यक्रम में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के मंत्री दारा सिंह चौहान सहित स्थानीय जनप्रतिनिधि उपस्थित थे। गौरतलब है कि देश में 9 गिद्ध संरक्षण एवं प्रजनन केन्द्र हैं, जिनमें से 3 का संचालन प्रत्यक्ष तौर पर बॉम्बे नैचुरल हिस्ट्री सोसायटी के द्वारा किया जाता है। इन केंद्रों में गिद्धों की 3 प्रजातियों व्हाइट बैक्ड, लॉन्ग बिल्ड, स्लेंडर बिल्ड का संरक्षण किया जा रहा है।