हमारे देश की महिलाएं समर्पण और त्याग के लिए पूरी दुनिया में जानी जाती हैं। अपने घर की खुशहाली के लिए अपना सुख छोड़कर पति और बच्चों की सेवा में पूरा जीवन समर्पित कर देतीं हैं। यही नहीं सदियों से चली आ रही परंपरा का वह आज भी पूरी तरह से पालन कर रहीं हैं। आज अहोई अष्टमी पर एक बार फिर मां ने अपनी संतान के लिए व्रत रखा हुआ है। यह व्रत करवा चौथ के 4 दिन बाद और दीपावली से 8 दिन पहले होता है। कार्तिक मास की आठवीं तिथि को पड़ने के कारण इसे ‘अहोई आठे’ भी कहा जाता है। इस दिन महिलाएं अहोई माता का व्रत रखती हैं और विधि , विधान से उनकी पूजा-अर्चना करती हैं। इस दिन माताएं संतान की उन्नति, सुख-समृद्धि और लंबी उम्र के लिए निर्जला उपवास करती हैं। शाम को तारों को अर्घ्य देकर इस व्रत का समापन होता है। इस बार अहोई अष्टमी की पूजा पर गुरु-पुष्य योग बन रहा है। ये योग पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। बता दें कि 28 अक्टूबर को अष्टमी तिथि 12 बजकर 51 मिनट पर लगेगी। इस दिन गुरु-पुष्य योग बन रहा है, जो पूजा और शुभ कार्यों के लिए शुभ फलदायी होता है। अहोई अष्टमी पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 40 मिनट से रात 8 बजकर 50 मिनट तक है। वहीं शाम 5 बजकर 03 मिनट से 6 बजकर 39 मिनट तक मेष लग्न रहेगी जिसे चर लग्न कहते हैं, इसमें पूजा करना शुभ नहीं माना जाता है। व्रत के दिन प्रात: उठ कर स्नान किया जाता है और पूजा के समय ही संकल्प लिया जाता है कि ‘‘हे अहोई माता, मैं अपने पुत्र की लंबी आयु एवं सुखमय जीवन हेतु अहोई व्रत कर रही हूं। अहोई माता मेरे पुत्रों को दीर्घायु, स्वस्थ एवं सुखी रखें। शाम को माताएं आकाश में तारों को देखने के बाद ही उपवास खोलती हैं।