अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को प्रमोशन में आरक्षण के मामले में देश की सर्वोच्च अदालत ने 4 महीने बाद आखिरकार अपना महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। आज अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से आरक्षण के मानकों में हस्तक्षेप करने से मना कर दिया। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि पहले के फैसलों में जो आरक्षण के पैमाने तय किए हैं, उनमें हम छेड़छाड़ नहीं कर सकते हैं। इसके साथ सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा समय समय पर सरकार को यह रिव्यू करना चाहिए कि प्रमोशन में आरक्षण के दौरान दलितों को उचित प्रतिनिधित्व मिला है या नहीं। जस्टिस नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने कहा, पहले के फैसलों में तय आरक्षण के प्रावधानों और पैमानों को हल्के नहीं किए जाएंगे। बता दें कि अनसूचित जाति और जनजाति को प्रमोशन में आरक्षण के मामले में 26 अक्तूबर 2021 को जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने मामले में अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) बलबीर सिंह और विभिन्न राज्यों के लिए उपस्थित अन्य वरिष्ठ वकीलों सहित सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।