मुंबई हमले का आरोपी तहव्वुर राणा गुरुवार को भारत पहुंच गया। राष्ट्रीय जांच एजेंसी की एक टीम उसे विशेष विमान के जरिए लेकर दिल्ली आई। दिल्ली एयरपोर्ट के पास सुरक्षा बेहद कड़ी की गई है। एयरपोर्ट से ही उसे NIA मुख्यालय लाया जा रहा है। एयरपोर्ट से लेकर एनआईए मुख्यालय तक ग्रीम कॉरिडोर बनाया गया है। साथ ही रास्ते में चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाकर्मी तैनात हैं। दिल्ली में उसे तिहाड़ जेल में कड़ी सुरक्षा के बीच स्पेशल सेल में रखा जाएगा। राणा का प्रत्यर्पण भारत के कूटनीति की एक बड़ी जीत है। एनआईए की टीम राणा को हिरासत में लेकर उससे मुंबई हमलों और उसकी साजिश के बारे में पूछताछ करेगी। इस पूछताछ में राणा अहम जानकारी दे सकता है। राणा पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है। राणा के खिलाफ मुकदमा चलाने की आधिकारिक मंजूरी राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को मिल गई है। यह मंजूरी कानून मंत्रालय से मिली है। एनआईए राणा से पूछताछ कर अपना चार्जशीट दाखिल करेगी। एनआईए को मुकदमा चलाने की अनुमति गुरुवार शाम साढ़े चार बजे मिली। खास बात यह है कि मुकदमे की कार्यवाही को आगे बढ़ाने और एनआईए को कानूनी सहायता देने के लिए दो पुलिस महानिरीक्षक, उप महानिरीक्षक और एक पुलिस अधीधक जांच एजेसी का सहयोग करेंगे।
पाकिस्तानी मूल के 64 वर्षीय कनाडाई नागरिक राणा को लॉस एंजिलिस के ‘मेट्रोपोलिटन डिटेंशन सेंटर’ में रखा गया था। प्रत्यर्पण से बचने के राणा के आखिरी प्रयास के विफल होने के बाद उसे भारत लाया जा रहा है, क्योंकि अमेरिकी उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों ने उसके आवेदन को खारिज कर दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘आप सभी जानते हैं कि अमेरिकी उच्चतम न्यायालय ने उसकी याचिका खारिज कर दी है। जहां तक राणा के प्रत्यर्पण का सवाल है, इस समय मेरे पास कोई जानकारी नहीं है।’ बता दें कि मुंबई में 26 नवंबर 2008 को हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को दहला दिया था। इस हमले में 10 आतंकवादी समुद्र के रास्ते मुंबई में घुसे और फिर रेलवे स्टेशन, दो बड़े होटल और एक यहूदी सेंटर में हमला कर दिया। इस धमाके में 166 लोगों की जान चली गई, कइयों का घर उजड़ गया, कई अनाथ हो गए तो कई जिंदगी भर के लिए अपाहिज हो गए। करीब 60 घंटे तक पूरी मुंबई दहशत में डूबी रही। इस हमले में इकलौता जिंदा बचे अजमल कसाब को 2012 में पुणे के यरवदा जेल में फांसी पर चढ़ा दिया गया था। इतने बड़े हमले की सजा कसाब को तो मिल गई थी, पर तहव्वुर राणा जैसे गुनहगार आजाद घूम रहे थे।
अब भारत को आखिरकार राणा मिल गया है, तो मुंबई हमले के पीड़ितों को इंसाफ की उम्मीद है। वहीं
पाक विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता शफकत अली खान ने कहा कि तहव्वुर राणा ने पिछले दो दशकों से अपने पाकिस्तानी दस्तावेजों को रिन्यू नहीं कराया है। उसके पास कनाडा का नागरिकता है। गौरतलब है कि पाकिस्तान अपने उन नागरिकों को दोहरी नागरिकता रखने की अनुमति देता है जो कनाडा में जाकर बस गए हैं। तहव्वुर राणा को 2009 में एफबीआई ने गिरफ्तार किया था। राणा को अमेरिका में लश्कर-ए-तैयबा का समर्थन करने के लिए दोषी ठहराया गया था। अब तक वह लॉस एंजिल्स के एक डिटेंशन सेंटर में बंद था। राणा को भारत लाने को लेकर बुधवार को होम मिनिस्ट्री में गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने मीटिंग की।
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