(Bihar CM Nitish Kumar alliance BJP end) : देश की सियासत में अब उलटफेर होना आम बात हो गया है। “मौजूदा राजनीति में यही बदलाव है”। पिछले दिनों महाराष्ट्र की राजनीति में उलटफेर हुआ था। एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे से बगावत कर भाजपा के सहयोग से सरकार बनाई। अभी महाराष्ट्र की सियासी हलचल पूरी तरह खत्म नहीं हुई थी कि बिहार में अब नीतीश कुमार ने भाजपा से रिश्ता तोड़ लिया है। बिहार में 5 साल बाद फिर से नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू और भाजपा के बीच गठबंधन टूट गया है। वहीं सोमवार को गृह मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से फोन से बात की थी, लेकिन बात नहीं बनी । मुख्यमंत्री आवास पर जेडीयू के सांसदों और विधायकों की मीटिंग में इसकी घोषणा की गई है। इधर, नीतीश ने राज्यपाल फागू सिंह चौहान से मिलने का समय मांगा है। बता दें कि जेडीयू और बीजेपी ने 2020 का बिहार विधानसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ा था। कम सीटें मिलने के बाद भी नीतीश कुमार को बीजेपी ने सीएम बनाया था। तब से ही दोनों दलों के बीच खटपट चली आ रही थी। कई मुद्दों पर दोनों पार्टी के नेता अलग-अलग बयानबाजी भी करते दिखे थे। अब बीजेपी से जेडीयू का गठबंधन टूट गया है। नीतीश कैबिनेट में वर्तमान में भाजपा कोटे के 16 मंत्री है, जिसमें 2 डिप्टी सीएम भी है। भाजपा कोटे के सभी मंत्री जल्द ही इस्तीफा दे सकते हैं। बताया जा रहा है कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार चार बजे राज्यपाल से मुलाकात करेंगे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब भाजपा का साथ छोड़कर फिर से आरजेडी के साथ सरकार बनाने की तैयारी में हैं। इस सियासी संकट में एक प्रमुख भूमिका आरसीपी सिंह की है, जिन्होंने शनिवार शाम नीतीश कुमार की पार्टी छोड़ दी थी। पूर्व राज्यसभा सांसद आरसीपी सिंह और सीएम नीतीश कुमार कभी बेहद करीबी थे। पार्टी ने उन्हें इस बार राज्यसभा भेजने से इनकार कर दिया गया था, जिसके बाद उन्हें केंद्रीय मंत्री के रूप में इस्तीफा देना पड़ा था। पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह पर उनकी ही पार्टी जदयू द्वारा बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप भी लगाया गया है।