आज 14 नवंबर है। यह तारीख भारत में दुनिया भर में मधुमेह यानी डायबिटीज के लिए भी जानी जाती है। यह ऐसी बीमारी है जो हाल के वर्षों में सबसे ज्यादा लोगों को परेशान किए हुए हैं। लेकिन डायबिटीज से किसी भी व्यक्ति को घबराने की और डरने की जरूरत नहीं है।
अगर कोई मधुमेह की चपेट में आ गया है तो उसे कुछ आसान उपाय करने होंगे। यह उपाय हम आपको बताने जा रहे हैं। लेकिन उससे पहले जान लेते हैं भारत समेत विश्व भर में हर साल 14 नवंबर को “वर्ल्ड डायबिटीज डे” (विश्व मधुमेह दिवस) मनाया जाता है। अब बात को आगे बढ़ाते हैं। सबसे पहले आज के युवाओं और लोगों को भी अपनी दिनचर्या ठीक करनी होगी। अगर किसी की दिनचर्या ठीक है तो अच्छी बात है। अगर दिनचर्या बिगड़ी हुई है तो आइए जानते हैं क्या करना होगा। सबसे पहले आप सर्दियों में सुबह 5 और 6 के बीच सोकर उठिए। उसके बाद दिशा मैदान जाकर कम से कम 40 मिनट वॉकिंग यानी घूमने के लिए जाइए। घर लौट कर कम से कम 30 मिनट योग करिए। इसके साथ करेला का जूस और मेथी दाना भी सुबह के समय ले सकते हैं। शाम को दुकान, ऑफिस या किसी भी प्रतिष्ठान से वापस आने पर 30 से 40 मिनट वॉकिंग करिए। इसके साथ ताजा भोजन करना चाहिए। बता दें कि डायबिटीज यानी मधुमेह एक ऐसी बीमारी है जो शरीर में तमाम बीमारियों का कारण बनती है। इस बीमारी में डायबिटीज मरीज को सावधान और जागरूक रहना होता है। अगर आप इसके प्रति हमेशा जागरूक हैं तो यह बीमारी हावी नहीं हो पाएगी। एक या 2 महीने के अंदर डॉक्टर से परामर्श बहुत जरूरी है। इसके साथ योग और वॉकिंग को अपनी दिनचर्या में अवश्य शामिल करें। अपने शरीर में बढ़ते और घटते वजन को लेकर भी सचेत रहें। भारत समेत तमाम देशों में डायबिटीज के लिए खोजें हो रही हैं। डायबिटीज को नियंत्रण रखने के लिए नई-नई जानकारियां भी मरीजों को जानते रहना चाहिए। अगर देश की बात करें तो दो दशक में सबसे अधिक डायबिटीज मरीजों की संख्या बढ़ी है। डायबिटीज एक खतरनाक बीमारी है, जो कुछ स्थितियों में जानलेवा बन जाती है।

हर साल वैश्विक स्तर पर लोगों को जागरूक करने के लिए वर्ल्ड डायबिटीज डे मनाया जाता है। शरीर में इंसुलिन का बैलेंस बिगड़ने से डायबिटीज की बीमारी होती है। इस हेल्थ समस्या को शुगर या मधुमेह भी कहा जाता है। अब बच्चों में भी मधुमेह की बीमारी सामने आने लगी है। डायबिटीज डे को मनाना इसके बारे में जागरूकता फैलाने के लिए जरूरी है, ताकि सब लोगों को इसके लक्षणों और कब से उपचार करवाना शुरू करना है, इस बारे में पता चल सके। इस समय लोगों के पास डायबिटीज से लड़ने के लिए हेल्थ केयर सुविधा है या नहीं, इस बारे में भी जानकारी दी जाती है। मधुमेह से पीड़ित लोगों को बार-बार प्यास लगना, बार-बार पेशाब आना, पेट दर्द होना, कमजोरी महसूस करना, बार-बर यूटीआई की समस्या होती है। डायबिटीज में लिवर प्रभावित होता है। यह बहुत खतरनाक बीमारी होती है। इसके लक्षण मिलने पर अनदेखा न करें। बल्कि गंभीरता से लेते हुए विशेषज्ञ चिकित्स से परामर्श लें। बता दें कि इस गंभीर बीमारी से बचने के लिए आपको अपने खानपान के साथ-साथ, रहन-सहन आदि पर विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। जिम जाएं या योग करें, अपने वजन को काबू में रखें अपने रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल स्तर को नियंत्रण में रखें, धूम्रपान और शराब से दूर ही रहें, दिन भर में कम से कम 20 मिनट तक पैदल चलें, हमेशा ताजा भोजन ही लें और सक्रिय बने रहें।

विश्व मधुमेह दिवस साल को 1991 से मनाने की हुई थी शुरुआत–
बता दें कि 14 नवंबर को फ्रेडरिक बैटिंग का जन्म हुआ था। फ्रेडरिक बैटिंग ने साल 1922 में चाल्स बैट के साथ मिलकर इंसुलिन का आविष्कार किया था। फ्रेडरिक बैटिंग को सम्मानित करने के उद्देश्य से इस दिन विश्व मधुमेह दिवस मनाया जाता है। इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन हर साल वर्ल्ड डायबिटीज डे को मनाने के लिए एक खास थीम रखता है । इस साल की वर्ल्ड डायबिटीज डे की थीम ‘देखभाल तक पहुंच के बड़े बहु-वर्षीय विषय के तहत मधुमेह शिक्षा तक पहुंच’ रखी गई है। इसका उद्देश्य है कि लोगों को सही समय पर सही इलाज और इसकी सही जानकारी मिले। इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने लोगों के बीच मधुमेह के बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से इस दिन को मनाने की शुरुआत की थी। बता दें कि वर्ल्ड डायबिटीज डे पहली बार साल 1991 में मनाया गया था। इसकी घोषणा अंतर्राष्ट्रीय मधुमेह महासंघ और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने की थी। यह दुनिया का सबसे बड़ा मधुमेह के प्रति जागरूक करने का अभियान है। इस अभियान के जरिए 160 से अधिक देशों में वैश्विक स्तर पर 1 बिलियन से अधिक लोगों को डायबिटीज के प्रति जागरूक किया जाता है। बदलते खानपान और लाइफस्टाइल की वजह से डायबिटीज एक आम समस्या हो गई है। यह स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक है। इसलिए डब्लूएचओ डायबिटीज के प्रति लोगों को हर वर्ष जागरूक करता है और इससे होने वाले नुकसान, इसके सही इलाज और सावधानी को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाता है।