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आज बात करेंगे झारखंड के खूबसूरत शहरों में शुमार धनबाद की। धनबाद एक ऐसा शहर है जो अपनी इंजीनियरिंग कॉलेज (आईआईटी) के लिए देश दुनिया में विख्यात है। इसके साथ यह जिला कोयला खदानों के लिए भी जाना जाता है। लेकिन धनबाद शहर में गुरुवार शाम एक ऐसा खौफनाक हादसा हुआ, जिसने भी देखा वह सहम गया। धनबाद में कई दिनों से ग्लाइडर (हवा में उड़ने वाला छोटा प्लेन) उड़ान के दौरान हादसे का शिकार होकर एक घर में जा गिरा। यहां के बिरसा मुंडा पार्क के पास एक घर से टकराने के बाद ग्लाइडर क्रैश हो गया। इस हादसे में पायलट समेत दो लोग घायल हुए हैं। हादसे के बाद जोरदार धमाका हुआ। पहले लोगों ने वहां समझा कोई विस्फोट हुआ है। मौके पर लोगों की भारी भीड़ जुट गई। सूचना पाकर पहुंची पुलिस ने घायल पायलट और किशोर यात्री को अस्पताल में भर्ती कराया।
स्थानीय लोगों ने बताया कि निजी जॉयराइडर ग्लाइडर धनबाद शहर में लोगों को हवाई भ्रमण कराता था। गुरुवार को भी ग्लाइडर एक यात्री को हवाई भ्रमण कराने के लिए उड़ना भरा था। इस दौरान हादसा हो गया। बता दें कि एक ग्लाइडर विमान में केवल दो व्यक्ति ही बैठ सकते हैं, जिसमे एक पायलट होता है और एक यात्री। बता दें कि ग्लाइडर में 80 एचपी का सिंगल इंजन लगा है। 1200 किमी तक की उड़ान भर सकता है। 14 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकता है। इसमें पायलट के साथ एक पैसेंजर के बैठने की जगह होती है। इसे उड़ाने के लिए एक्सपर्ट्स भी मौजूद रहते हैं। पुलिस ने बताया कि बिरसा मुंडा पार्क के पास निजी जॉयराइड ग्लाइडर एक इमारत से टकरा गया। जिससे पायलट और उसमें सवार यात्री घायल हो गए। दोनों की हालत गंभीर है। दुर्घटना के कारणों का अभी तक पता नहीं चला है । पुलिस मामले की जांच कर रही हैं। अब आइए जानते हैं धनबाद जिले के बारे में।
झारखंड के दूसरे सबसे बड़े शहर धनबाद का रोचक इतिहास, कोयला खदानों और आईआईटी के लिए जाना जाता है—
धनबाद का इतिहास बड़ा ही रोचक है। धनबाद भारत के झारखंड राज्य में स्थति प्रसिद्ध जिला है। झारखंड का यह जिला कभी धान की खेती के लिए अबाद था।धनबाद को पहले धनबैद (धान की भूमि) के रूप में जाना जाता है जो धन (धान) और बुरे (भूमि) शब्द से लिया गया है। 1956 में, धनबाद जिले का गठन किया गया और 24 अक्टूबर 1956 को राज्य संगठन आयोग की अधिसूचना 1911 के लिए एक जिले की घोषणा की गई। पूर्व में, धनबाद 1928-1956 के अविभाजित बिहार के मानभूम जिले में था। यह 24 अक्टूबर 1956 से 14 नवंबर 2000 तक बिहार में रहा। इसके बाद, यह 15 नवंबर 2000 को नवगठित राज्य झारखंड के अंतर्गत आया और वर्तमान में यह झारखंड झारखंड के 24 नेटवर्क में से एक है। लेकिन अब यह कोयले के खान के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है। झारखंड का औद्योगिक जिला धनबाद आर्थिक दृष्टिकोण से बहुत ही समृद्ध कहलाता है। यहां कई ख्याति प्राप्त औद्योगिक तथा अन्य संस्थान अवस्थित हैं।
भारत के झारखंड राज्य में स्थित धनबाद को ब्लैक डायमंड सिटी यह काला हीरा भी कहते हैं। यहाँ पाए जाने वाले विशाल कोयले का भंडार इस क्षेत्र को समृद्ध बनाते हैं। कोयले के मायनिग के लिए। यहां 100 से भी ज्यादा बड़े-बड़े मायनिंग केंद्र हैं। इस केंद्र से प्रचुर मात्रा में कोयले का खनन किया जाता है। जिसे देश के कोने-कोने में निर्यात किया जाता है। धनबाद जिला, झारखंड राज्य के चौबीस जिलों में सबसे महत्वपूर्ण जिला है। इस जिले का प्रशासनिक मुख्यालय भी धनबाद शहर में स्थित है। यह रांची के बाद झारखंड का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला जिला कहलाता है। जिले में व्यापक कोयला खनन उद्योग के कारण धनबाद को भारत की कोयला राजधानी के रूप में भी जाना जाता है। धनबाद में गैंगवार का खूनी इतिहास भी रहा है जहां वर्चस्व को लेकर झड़प भी होती रही है। भौगोलिक रूप से यह उत्तर से दक्षिण तक 24 किमी चौड़ाई और 16 चौड़ाई में पूर्व से पश्चिम तक फैला हुआ है। यह पश्चिम में गिरिडीह और बोकारो विशिष्ट, उत्तर में दुमका जिले और पूर्व और दक्षिण में पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले से घेरा है। धनबाद छोटानागपुर में स्थित है। पढ़ाई के मामले में भी धनबाद देश दुनिया में प्रसिद्ध रहा है। धनबाद में स्थित है आईआईटी से हजारों विद्यार्थी पास आउट होकर देश-विदेश में बड़े-बड़े पदों पर विराजमान हैं।