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भैया दूज पर आज विश्व प्रसिद्ध बाबा केदारनाथ धाम के कपाट भी पूरे विधि विधान के साथ शीतकालीन (6 महीने) के लिए सुबह करीब 8:30 बजे बंद किए गए। इस मौके पर करीब 4 हजार श्रद्धालु मौजूद रहे। जब मंदिर के कपाट बंद किए जा रहे थे उस समय श्रद्धालुओं ने बाबा केदारनाथ के जयकारे लगाए। जयकारों से पूरी केदारघाटी गूंज उठी। इस दौरान धाम में बाबा केदार के दर्शन के लिए भक्तों का तांता लगा रहा। बता दें कि बुधवार को मां गंगोत्री धाम के कपाट बंद किए गए थे। वहीं आज ही यमुनोत्री धाम के कपाट बंद किए जाएंगे। आज प्रात: तीन बजे केदारनाथ मंदिर खुल गया था और चार बजे से कपाट बंद करने की समाधि पूजन प्रक्रिया शुरू हो गई थी।
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पुजारी टी गंगाधर लिंग द्वारा भगवान केदारनाथ के स्यंभू ज्योर्तिलिंग को श्रृंगार रूप से समाधि रूप दिया गया। ज्योर्तिलिंग को बाघांबर, भृंगराज फूल, भस्म, स्थानीय शुष्क फूल-पत्तों आदि से ढंक दिया गया। इसके बाद पौराणिक विधि विधान के साथ मंदिर के मुख्य कपाट के साथ ही पीछ के कपाट को बंद कर सील कर दिए गए। धाम से बाबा की चल विग्रह डोली अपने शीतकालीन स्थान के लिए रवाना हो गई। पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली आज रात्रि प्रवास को रामपुर पहुंचेगी। पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली 29 अक्टूबर को शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में विराजमान होगी। केदारनाथ धाम में खिली चटक धूप के बीच भक्त बाबा केदारनाथ की भक्ति में डूब दिखाई दिए। केदारनाथ के कपाट बंद होने के समय हर हर महादेव और भगवान शिव के जयकारों से केदारघाटी गूंज उठी। बता दें कि बदरीनाथ के कपाट 19 नवंबर को बंद होंगे। सर्दियों में बर्फबारी और भीषण ठंड की चपेट में रहने के कारण चारधामों के कपाट हर साल अक्टूबर-नवंबर में श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए जाते हैं, जो अगले साल अप्रैल-मई में फिर खोल दिए जाते हैं। चारधाम यात्रा के दौरान इस बार रिकार्ड तोड़ श्रद्धालु पहुंचे हैं। केदारनाथ धाम में अब तक 15.55 लाख से अधिक यात्री पहुंचे।