उत्तराखंड के चमोली में माणा गांव के पास शुक्रवार सुबह ऐसा बर्फीला तूफान आया कि सड़क निर्माण कार्य में जुटे 55 मजदूर इसकी चपेट में आए गए। बर्फ के नीचे दब मजदूरों में से अब तक 50 को बाहर निकाला जा चुका है।उनमें से 4 की मौत हो गई है। वहीं फंसे हुए 5 मजदूर की तलाश अभी भी जारी है। इन सभी को बचाने में बहादुर जवानों ने अपनी जान की बाजी लगा दी।
आमतौर पर उत्तराखंड को एक शांत प्रदेश के रूप में जाना जाता है। लेकिन फरवरी के महीने में राज्य में खेल और राजनीतिक गतिविधियां सुर्खियों में रही । अगर कहें तो फरवरी धामी सरकार के लिए उपलब्धियों से भरा रहा। 14 फरवरी को पहली बार राष्ट्रीय खेलों का शानदार समापन आयोजित किया गया। उसके बाद उत्तराखंड बजट सत्र के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य के विकास के लिए भारी भरकम बजट का पिटारा खोला। इसी बजट सत्र में धामी सरकार ने राज्य में भू कानून भी पारित किया। हालांकि इस दौरान राज्य में क्षेत्रवाद का मुद्दा भी गर्माया रहा। फरवरी अन्य महीनों की अपेक्षा छोटा होता है। 27 फरवरी तक राज्य में सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था महीने को खत्म होने में अब केवल एक दिन रह गया था । मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी फरवरी में लिए गए फैसलों से खूब उत्साहित भी थे । लेकिन फरवरी भी कहां शांत रहने वाली थी। महीने के आखिरी दिन 28 फरवरी की सुबह एक बार फिर उत्तराखंड में आपदा का पहाड़ टूट पड़ा। देश के प्रथम गांव माणा में ग्लेशियर टूटने से 55 मजदूर दब गए। यह सभी मजदूर सीमा सड़क संगठन से जुड़े हुए थे और सड़क बनाने का काम कर रहे थे।

घटना बद्रीनाथ से 3 किलोमीटर दूर चमोली के माणा गांव में हुई है। 14 महीने पहले (12 नवंबर साल 2023) उत्तरकाशी की सिल्क्यारा-डंडालगांव टनल में 41 मजदूर दब गए थे। (हालांकि टनल से सभी 41 मजदूरों को कड़े रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद बचा लिया गया था। लेकिन 18 दिनों तक यह मजदूर जिंदगी और मौत के बीच जूझते रहे । यह कठिन रेस्क्यू भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर में सुर्खियों में रहा था।) इसी खौफनाक हादसे की फिर यादें ताजा हो गई। शुक्रवार सुबह 7 बजे उत्तराखंड के चमोली में हुए हिमस्खलन में माणा गांव में 55 मजदूर फंस गए । हालांकि यह राज्य प्राकृतिक आपदाओं से मुकाबला करने के लिए आदी भी हो चुका है। राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बर्फ में दबे सभी मजदूरों को निकालने के लिए बिना देर किए हुए कमान संभाल ली । हालांकि घटनास्थल पर सेना के जवानों ने भी देर न करते हुए तुरंत राहत बचाव शुरू किया। उधर राजधानी देहरादून में मुख्यमंत्री धामी सेना के रेस्क्यू अभियान पर नजर रखे हुए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गृहमंत्री अमित शाह ने सीएम धामी को फोन करके हालातों की जानकारी ली। सभी मजदूरों को सकुशल बचाना मुख्यमंत्री के लिए चुनौती भी थी। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य डिजास्टर कंट्रोल रूम में राज्य के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक की और चमोली में माणा के पास हिमस्खलन की चपेट में आए मजदूरों को बचाने के लिए चल रहे अभियान की प्रगति की समीक्षा की। शनिवार को मुख्यमंत्री धामी हेलीकॉप्टर से मौके पर पहुंचे और हालातों का जायजा लिया।
उधर सेना, आइटीबीपी, बीआरओ, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ के जवानों ने एक बार फिर दिखा दिया वह हर कठिन से कठिन मुश्किलों का सामना करने के लिए तैयार है। बेहद खराब मौसम के बावजूद जवानों ने अपनी जान की बाजी लगाकर 55 में से 50 मजदूरों का रेस्क्यू कर लिया गया । हालांकि, रेस्क्यू किए गए 50 में से चार मजूदरों की मौत हो गई। वहीं, फंसे हुए 5 मजदूरों को बचाने के लिए रेस्क्यू अभियान जारी है। इन सभी मजदूरों को बचाने के लिए छह हेलीकॉप्टरों को लोगों को निकालने के लिए तैनात किया गया है। हेलीकॉप्टरों में भारतीय सेना विमानन के 3 चीता हेलीकॉप्टर, भारतीय वायु सेना के 2 चीता हेलीकॉप्टर और भारतीय सेना द्वारा किराए पर लिया गया एक नागरिक हेलीकॉप्टर शामिल है। बर्फ में फंसे 55 मजदूरों में बिहार के 11, उत्तर प्रदेश के 11, उत्तराखंड के 11, हिमाचल प्रदेश के 7, जम्मू-कश्मीर के 1 और पंजाब के 1 मजदूर शामिल हैं। 13 मजदूरों का पता और मोबाइल नंबर नहीं है। उत्तराखंड सरकार ने इस पूरे हादसे की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही, भविष्य में ऐसे हादसों से बचने के लिए सुरक्षा मानकों की समीक्षा करने के निर्देश भी दिए गए हैं। रेस्क्यू टीमों का पूरा फोकस अब लापता मजदूरों को तलाशने पर है। प्रशासन को उम्मीद है कि जल्द से जल्द इन पांच मजदूरों को भी सुरक्षित बाहर निकाल लिया जाएगा।