गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे सभी छह आरोपियों को रिहा करने के आदेश जारी किए।
कोर्ट ने साफ कर दिया है कि अगर इन दोषियों पर कोई अन्य मामला नहीं है, तो इन्हें रिहा कर दिया जाए।
इन दोषियों में नलिनी, रविचंद्रन, मुरुगन, संथन, जयकुमार, और रॉबर्ट पॉयस का नाम शामिल है। इससे पहले 17 मई को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पेरारिवलन को रिहा किया था बाकी दोषियों ने भी पेरारिवलन की रिहाई का हवाला देकर रिहाई की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोषी 30 साल से ज्यादा का समय जेल में गुजार चुके है और जेल में उनका व्यवहार अच्छा रहा है। रॉबर्ट पॉयस ने कई बीमारियों से जूझते हुए डिग्री हासिल की। जयकुमार ने भी जेल में पढ़ाई की। संथन ने कई बीमारियों से जूझते हुए आर्टिकल लिखे, जिनके चलते उसे इनाम भी मिला. नलिनी, रविचंद्रन , मुरुगन का भी जेल में व्यवहार अच्छा रहा रहा है। तीस साल से ज्यादा वक्त वो जेल में है और इस बीच उन्होंने पढ़ाई की, साथ ही सभी का व्यवहार अच्छा था।21 मई 1991 को एक चुनावी रैली के दौरान तमिलनाडु में एक आत्मघाती हमले में राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी। उन्हें एक महिला ने माला पहनाई थी, इसके बाद धमाका हो गया। इस हादसे में 18 लोगों की मौत हुई थी। इस मामले में कुल 41 लोगों को आरोपी बनाया गया था। 12 लोगों की मौत हो चुकी थी और तीन फरार हो गए थे। बाकी 26 पकड़े गए थे। इसमें श्रीलंकाई और भारतीय नागरिक थे। फरार आरोपियों में प्रभाकरण, पोट्टू ओम्मान और अकीला थे। आरोपियों पर टाडा कानून के तहत कार्रवाई की गई। सात साल तक चली कानूनी कार्यवाही के बाद 28 जनवरी 1998 को टाडा कोर्ट ने हजार पन्नों का फैसला सुनाया। इसमें सभी 26 आरोपियों को मौत की सजा सुनाई गई।