पिछले दिनों उत्तराखंड की धामी सरकार ने कैबिनेट की बैठक में प्रदेश में नई आबकारी नीति को मंजूरी दी थी। इसके बाद विपक्ष कांग्रेस ने उत्तराखंड सरकार की इस नीति के विरोध में मोर्चा खोल रखा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बुधवार 29 मार्च को नई आबकारी नीति के विरोध में धामी सरकार पर तंज कसते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है। हुए हरीश रावत ने लिखा है कि उत्तराखंड सरकार की इस साल की आबकारी नीति बहुत ही दिलचस्प है। एक तरफ सरकार ने प्रयास किया है कि यूपी, पंजाब, चंडीगढ़ और हरियाणा की शराब उत्तराखंड में न बिक सके सके। इसीलिए उत्तराखंड में शराब को सस्ती की गई है। ये अच्छी बात लगती है, लेकिन इसका दूसरा छिपा हुआ लक्ष्य ये भी है कि शराब की खपत बढ़ेगी। प्रदेश में शराब की ज्यादा बिक्री होगी तो राजस्व भी ज्यादा आयेगा। हरीश रावत ने लिखा कि नई आबकारी नीति में शराब टेट्रा पैक में बिकेगी और कोई भी व्यक्ति 70 लीटर तक शराब अपने घर पर रख सकेगा। इसका अर्थ कि छोटे-मोटे बार या वेंडर गांव-गांव में होंगे। क्योंकि उन्हें कानून का संरक्षण होगा, उपलब्धता नजदीक होगी और शराब सस्ती होगी तो फिर शराब पीने वालों की संख्या भी बढ़ेगी। नौकरी भले ही न दे सको, मगर शराब बेचने का रोजगार तो बहुतों को मिल जाएगा और फिर गांव-गांव में टेट्रा पैक के खाली कंटेनर या पैक जो तबाही मचाएंगे, पहले एक बार गांव के हर रास्ते में प्लास्टिक की थैलियां-थैलियां दिखाई देती थीं। अब टेट्रा पैक ही दिखाई देंगे, वाह! पर्यावरण के अच्छे पर्यावरण मित्र है सरकार और उसकी पॉलिसी। वहीं, विपक्ष के आरोपों पर मुख्य सचिव एसएस संधू और आबकारी आयुक्त हरीश चंद्र सेमवाल का भी जवाब आया है। उनका कहना है कि नई आबकारी नीति लाने का उद्देश्य प्रदेश में शराब की तस्करी को रोकना है। क्योंकि यहां पर बड़ी मात्रा में बाहरी प्रदेशों से शराब तस्करी कर लाई जा रही थी। इस प्रदेश के राजस्व को बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा था। वहीं सरकार के पक्ष रखते हुए बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट का कहना है कि आज विपक्ष भले आरोप लगाने का काम कर रहा है, लेकिन जैसे ही सरकार की इन जनहित की नीतियों के सफल परिणाम आने लगेंगे, उससे बाद विपक्षी दल भी सरकार की तारीफ करते हुए नजर आएंगे।