धार्मिक परंपरा, भैया दूज पर भाई-बहन मथुरा के विश्राम घाट पर डुबकी लगा करते हैं एक दूसरे की दीर्घायु की कामना - Daily Lok Manch PM Modi USA Visit New York Yoga Day
December 3, 2024
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धर्म/अध्यात्म

धार्मिक परंपरा, भैया दूज पर भाई-बहन मथुरा के विश्राम घाट पर डुबकी लगा करते हैं एक दूसरे की दीर्घायु की कामना

आज देश में भाई-बहन के प्रेम और विश्वास का पवित्र पर्व भैया दूज धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। यह त्योहार उत्तर प्रदेश, बिहार, हिमाचल, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली समेत अन्य राज्यों में भी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। सबसे अधिक इसकी रौनक पश्चिम उत्तर प्रदेश के ब्रज क्षेत्र में दिखाई पड़ती है। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को यह पर्व मनाया जाता है। बता दें कि पांच दिवसीय दीपावली पर्व के अंतिम दिन भैया दूज होती है। इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक कर उनकी लंबी आयु की कामना के लिए पूजा करती हैं। भाई अपनी बहन को उपहार भेंट करते हैं। वहीं बहनें इस दिन अपने भाई को गरी का गोला (नारियल) भी भेंट करती है। मान्यता के अनुसार जो भाई इस दिन बहन के घर जाकर भोजन ग्रहण करता है और तिलक करवाता है, उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती है । उत्तर प्रदेश के मथुरा में गोवर्धन पूजा के बाद भैया दूज का विशेष महत्व होता है। कहा जाता है कि कृष्ण के जन्म के समय सूर्य पुत्री यमुना और पुत्र यमराज भगवान कृष्‍ण के दर्शन को आए थे। दोनों भाई-बहन यमुना किनारे विश्राम घाट पर यम द्वितीया के दिन ही एक दूसरे से मिले थे। इसीलिए इस त्योहार को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। तब यमराज ने प्रसन्न होकर उन्हें यह वर दिया था कि जो व्यक्ति इस दिन यमुना में स्नान करके यम का पूजन करेगा, मृत्यु के पश्चात उसे यमलोक में नहीं जाना पड़ेगा। यम द्वितीया के दिन यमुना नदी में स्नान करने और वहीं यमुना और यमराज की पूजा करने का बड़ा माहात्म्य माना जाता है। भैया दूज के दिन देश के कोने-कोने से लाखों की संख्या में भाई-बहन यहां आते हैं और यमुना में एक दूसरे का हाथ पकड़कर डुबकी लगाते हैं। फिर यमुना घाट पर ही स्थित मंदिर में विशेष पूजा कर एक दूसरे की लंबी आयु की कामना करते हैं। 

मथुरा के विश्राम घाट स्थित यमुना के तट पर यमराज का मंदिर भी स्थापित है—

बता दें कि यमुना को भगवान श्रीकृष्ण की पटरानी और यमराज को यमुना का भाई कहा जाता है। मथुरा में यमुना के तट पर विश्राम घाट पर यमुना और यमराज का मंदिर भी स्थापित है। यम द्वितीया के दिन स्नान के बाद भक्तजन मां यमुना और यमराज के दर्शन और पूजा-अर्चना करते हैं। माना जाता है कि इस दिन का यमुना के विश्राम घाट पर नहाने से यम फांस (जन्म-मरण) से मुक्ति मिल जाती है । धार्मिक मान्यता है कि यमुना के कई बार अपने घर बुलाने के बाद यमराज इस दिन उनके घर गए थे। अपने भाई के आने की खुशी में यमुना ने यमराज को विभिन्न प्रकार के पकवानों का भोजन कराया और तिलक लगाकर उनके खुशहाल जीवन की कामना की। प्रसन्न होकर यमराज ने यमुना से कोई वरदान मांगने को कहा तो ऐसे में यमुना ने कहा कि आप हर साल इसी दिन यानी कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मेरे घर आना और जो बहन इस दिन अपने भाई को तिलक करेगी उसे तुम्हारा भय नहीं रहेगा। तभी से कहा जाता है भाई-बहन के पवित्र प्रेम और विश्वास का पर्व भाई दूज की शुरुआत हुई। भाई दूज पर तिलक करने का शुभ मुहूर्त, दोपहर 1:10 मिनट से शाम 3:21 बजे तक रहेगा।

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