हमारे देश में चला आ रहा बेटियों की शादी का 18 साल आयु का कानून को अब केंद्र सरकार ने खत्म करने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए मोदी सरकार एक साल से प्लानिंग करने में जुटी हुई थी। पिछले साल 15 अगस्त को देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि लड़कियों की शादी की उम्र को लेकर सरकार समीक्षा कर रही है। उन्होंने कहा कि लड़कियों की शादी की सही उम्र क्या हो, इसके लिए कमेटी बनाई गई है। तभी से देश में लड़कियों की शादी के लिए बना कानून को बदलने की तैयारी शुरू हो गई थी। नीति आयोग में जया जेटली की अध्यक्षता में बने टास्क फोर्स ने इसकी सिफारिश की थी। इसी सिफारिश के आधार पर मोदी सरकार ने बुधवार को कैबिनेट की मंजूरी भी दे दी है। इसके बाद सरकार बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 में संशोधन का कानून लाएगी और इसके साथ ही स्पेशल मैरिज एक्ट और पर्सनल लॉ जैसे हिंदू मैरिज एक्ट 1955 में भी संशोधन होगा। यहां हम आपको बता दें कि मौजूदा कानून के मुताबिक, देश में पुरुषों की विवाह की न्यूनतम उम्र 21 और महिलाओं की 18 साल है। अब सरकार बाल विवाह निषेध कानून, स्पेशल मैरिज एक्ट और हिंदू मैरिज एक्ट में संशोधन करेगी। इसके बाद लड़कियों की शादी 18 से बढ़ाकर 21 साल हो जाएगी।
भारत में लड़कियों की शादी करने के लिए कानून के हिसाब से ये है आयु–
बता दें कि इंडियन क्रिश्चियन मैरिज एक्ट 1872, पारसी मैरिज एंड डिवोर्स एक्ट 1936, स्पेशल मैरिज एक्ट 1954, और हिन्दू मैरिज एक्ट 1955, सभी के अनुसार शादी करने के लिए लड़के की उम्र 21 वर्ष और लड़की की 18 वर्ष होनी चाहिए। इसमें धर्म के हिसाब से कोई बदलाव या छूट नहीं दी गई है। फिलहाल बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 लागू है। जिसके मुताबिक 21 और 18 से पहले की शादी को बाल विवाह माना जाएगा। ऐसा करने और करवाने पर 2 साल की जेल और एक लाख तक का जुर्माना हो सकता है। अब केंद्र सरकार बेटियों की 18 साल आयु का कानून खत्म कर 21 साल करने जा रही है।