Pope Francis Death: ईसाई धर्म सर्वोच्च गुरु पोप फ्रांसिस का सोमवार को निधन हो गया है। पोप फ्रांसिस हाल ही में अस्पताल से डिस्चार्ज होकर आए थे। पोप फ्रांसिस कई गंभीर बीमारियों से पीड़ित थे, जिसके कारण उन्हें अस्पताल में एडमिट करना पड़ गया था। जहां से वो ठीक होकर कुछ दिनों पहले ही डिस्चार्ज हुए थे। पोप फ्रांसिस, जिनका असली नाम जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो था, 17 दिसंबर 1936 को अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में जन्मे थे। वे 13 मार्च 2013 को कैथोलिक चर्च के 266वें पोप के रूप में चुने गए थे।
कार्डिनल केविन फारेल ने पोप फ्रांसिस के निधन की घोषणा की जो वेटिकन ‘कैमरलेंगो’ हैं। कैमरलेंगो की पदवी उन कार्डिनल या उच्चस्तरीय पादरी को दी जाती है जो पोप के निधन या उनके इस्तीफे की घोषणा के लिए अधिकृत होते हैं। फारेल ने कहा- ‘‘रोम के बिशप, पोप फ्रांसिस आज सुबह 7.35 बजे यीशू के घर लौट गए। उनका पूरा जीवन यीशू और उनके चर्च की सेवा के लिए समर्पित था।’’
बर्गोग्लियो का जन्म एक इतालवी आप्रवासी परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ब्यूनस आयर्स में प्राप्त की और बाद में रसायन विज्ञान में डिप्लोमा किया। 1958 में, उन्होंने सेंट जोसफ कॉलेज में दर्शनशास्त्र की पढ़ाई शुरू की और 1969 में पादरी के रूप में अभिषेकित हुए।बर्गोग्लियो ने 1958 में यीशु धर्म संघ में प्रवेश किया और 1973 से 1979 तक अर्जेंटीना में इसके प्रांतीय प्रमुख रहे। इसके बाद, वे ब्यूनस आयर्स के सहायक बिशप, फिर महाधर्माध्यक्ष और 2001 में कार्डिनल नियुक्त हुए। पोप बेनेडिक्ट सोलहवें के 2013 में इस्तीफा देने के बाद, बर्गोग्लियो को पोप चुना गया। उन्होंने सेंट फ्रांसिस ऑफ अस्सीसी के सम्मान में ‘फ्रांसिस’ नाम अपनाया। वे पहले येसुयी, पहले लैटिन अमेरिकी और पहले गैर-यूरोपीय पोप थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पोप फ्रांसिस को श्रद्धांजलि दी है। उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘पोप फ्रांसिस के निधन से बहुत दुख हुआ। दुख की इस घड़ी में वैश्विक कैथोलिक समुदाय के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना। पोप फ्रांसिस को हमेशा दुनिया भर के लाखों लोगों द्वारा करुणा, विनम्रता और आध्यात्मिक साहस के प्रतीक के रूप में याद किया जाएगा। छोटी उम्र से ही उन्होंने प्रभु मसीह के आदर्शों को साकार करने के लिए खुद को समर्पित कर दिया। उन्होंने गरीबों और वंचितों की लगन से सेवा की। जो लोग पीड़ित थे, उनके लिए उन्होंने आशा की भावना जगाई। मैं उनके साथ अपनी मुलाकातों को याद करता हूं और समावेशी और सर्वांगीण विकास के प्रति उनकी प्रतिबद्धता से बहुत प्रेरित हुआ। भारत के लोगों के प्रति उनका स्नेह हमेशा संजोया जाएगा। उनकी आत्मा को ईश्वर की गोद में शांति मिले।’