राजस्थान की सियासत में एक बार फिर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए कांग्रेस के नेता सचिन पायलट ने मुश्किलें बढ़ा दी हैं। पिछले काफी समय से सचिन पायलट शांत बने हुए थे तब समझा जा रहा था कि इसी साल 6 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में दोनों नेता साथ में मिलकर चुनाव लड़ेंगे? लेकिन एक बात की सचिन पायलट के बगावती तेवरों से राजस्थान कांग्रेस खेमा भी दो गुटों में बंटता हुआ दिखाई दे रहा है। सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार पर राजस्थान में बीजेपी शासन के दौरान हुए कथित भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करने में विफल रहने का आरोप लगाया है। साथ ही कार्रवाई का दबाव बनाने के लिए एक दिन के अनशन की घोषणा की है।राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम पायलट ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके वसुंधरा राजे के मुख्यमंत्री रहते हुए घोटालों पर कार्रवाई नहीं होने को मुद्दा बनाकर अनशन की घोषणा की थी। आपको बता दें कि राज्य की अशोक गहलोत सरकार ने उन तमाम भ्रष्टाचार के मुद्दों पर साढ़े चार साल में कोई कार्रवाई नहीं की जिनके आधार पर प्रदेश में कांग्रेस सत्ता में आई थी। इनमें प्रमुख रूप से तत्कालीन वसुंधरा राजे सरकार के समय हुआ खान घोटाला और बजरी माफियाओं के मामले शामिल हैं। सचिन पायलट के इस धरने को लेकर सियासी हलचल भी बढ़ गई है। सचिन पायलट अपने कार्यकर्ताओं के साथ मंगलवार को 10 बजे से जयपुर के शहीद स्मारक पर दिन भर के लिए अनशन पर बैठ रहे हैं। पायलट अनशन में समर्थक मंत्रियों और विधायकों की जगह आम समर्थकों को साथ रखेंगे। अनशन सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक चलेगा।सचिन 11 से 4 बजे तक उपवास पर बैठेंगे सचिन, उपवास के बाद मीडिया से बात करेंगे । उपवास स्थल पर गांधी जी की तस्वीर लगी हुई है। मंच पर लगे बैनर पर गांधी जी की तस्वीर के साथ लिखा है “वसुंधरा सरकार में हुए भ्रष्टाचार के विरुद्ध अनशन” उपवास में केवल समर्थक आएंगे, सचिन ने अपने गुट के विधायकों, मंत्रियों को भी आमंत्रित नहीं किया है
पायलट के धरने पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि उसकी मौजूदा सरकार के खिलाफ ऐसे किसी भी विरोध प्रदर्शन को पार्टी विरोधी गतिविधि माना जाएगा। कांग्रेस के राजस्थान मामलों के प्रभारी महासचिव सुखजिंदर रंधावा ने कहा कि उन्होंने पायलट से बात की है और उनसे अपनी ही सरकार के खिलाफ जनता के बीच जाने के बजाय पार्टी के मंच पर मुद्दों को उठाने के लिए कहा है।बीजेपी नेता राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि सरकार का कलह चरम पर है. सचिन पायलट को यह सब बात विधानसभा में बोलना चाहिए था. सचिन पायलट का कहीं पर निगाह और कहीं पर निशाना हैं। सचिन पायलट कांग्रेस नेतृत्व को चुनौती दे रहे हैं। 4 साल से सचिन पायलट चुप क्यों थे। खनन आवंटन तो बीजेपी के सरकार के समय ही खत्म हो गया था। उनको पीड़ा है अपने अपमान की । कांग्रेस विघटन की और आगे जा रही है। किसी तरह मुख्यमंत्री जी अपनी कुर्सी बचा रहे हैं। सचिन पायलट के उपवास पर छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्री और कांग्रेस नेता टीएस सिंह देव ने कहा कि चुनाव के समय सचिन जी को जवाब देना होगा। पार्टी विरोधी गतिविधि नहीं है। सचिन पायलट ने लक्ष्मण रेखा पार नहीं की। सरकार के खिलाफ इसे बगावत के तौर पर न देखा जाए। यह वसुंधरा के खिलाफ प्रर्दशन है. कोई चुप कब तक बैठ सकता हैै। सचिन पायलट एक सीनियर नेता है।