मंगलवार दोपहर को दिल्ली–एनसीआर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब और उत्तराखंड तेज भूकंप झटकों से दहल उठा। एक के बाद एक महसूस किए गए भूकंप के झटकों का असर काफी देर तक रहा। इसका केंद्र नेपाल के बझांग जिले में था। लखनऊ समेत उत्तर भारत के बड़े इलाके में मंगलवार की दोपहर में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। भूकंप के झटके इतने तेज थे कि नोएडा-गाजियाबाद, फरीदाबाद समेत दिल्ली-एनसीआर से लेकर भूकंप प्रभावित तमाम इलाकों में लोग घबराकर अपने घरों और दफ्तरों से बाहर निकल आए।
दोपहर 2 बजकर 50 मिनट पर अचानक धरती हिलनी शुरू हुई। उसके बाद कुछ सेकेंड तक कंपन लगातार जारी रहा। लोग इस दौरान अपने अपने घरों से बाहर निकलकर सुरक्षित जगहों की तरफ जाते दिखे।
खबरों के मुताबिक भूकंप के झटके सारे उत्तर भारत में महसूस किए गए। उत्तराखंड के साथ उत्तर प्रदेश में भी लोग सुरक्षित जगहों पर भागते दिखे। यूपी के लखनऊ, कानपुर, आगरा, नोएडा, मेरठ, मुरादाबाद, गाजियाबाद, अयोध्या, अलीगढ़, हापुड़, अमरोहा में भूकंप के झटके महसूस किए गए। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में भी झटके आए। दिल्ली में जिस समय भूकंप आया, तब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया निर्माण भवन में थे। झटके महसूस होते ही वह अपने स्टाफ के साथ बाहर निकल आए। राजस्थान के जयपुर, अलवर में करीब 6 से 7 सेकेंड में तीन-चार झटके महसूस किए गए। मेट्रोलॉजी के मुताबिक रिएक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 6.2 आंकी गई है। बताया गया कि भूकंप के दो झटके एक के बाद एक करके महसूस हुए। पहला झटका दोपहर 2.25 बजे पर आया। जबकि दूसरा 2.50 मिनट के आसपास। पहला झटका दूसरे से कुछ कम तीव्रता का था। उसकी तीव्रता 4.6 थी वहीं दूसरे की तीव्रता 6.2 रही। महकमे का कहना है कि भूकंप का केंद्र नेपाल के कांडा में था। एक रिपोर्ट के मुताबिक नेपाल के बाझंग जिले मेें भूकंप की वजह से कुछ भवनों को नुकसान भी पहुंचा।एएनआई की खबर के मुताबिक नेपाल में आए भूकंप की वजह से दिल्ली एनसीआर में झटके लगे। 2.25 बजे नेपाल में 6.2 तीव्रता का भूकंप आया था। उसके बाद दिल्ली एनसीआर में तेज झटके लगे। भूकंप इतना तीखा था कि घरों में लोगों को चीजें हिलती दिखीं। उसके बाद लोग घर से बाहर की तरफ भागे।
बता दें कि धरती की ऊपरी सतह सात टेक्टोनिक प्लेटों से मिल कर बनी है। जहां भी ये प्लेटें एक दूसरे से टकराती हैं वहां भूकंप का खतरा पैदा हो जाता है। भूकंप तब आता है जब इन प्लेट्स एक दूसरे के क्षेत्र में घुसने की कोशिश करती हैं, प्लेट्स एक दूसरे से रगड़ खाती हैं, उससे अपार ऊर्जा निकलती है, और उस घर्षण या फ्रिक्शन से ऊपर की धरती डोलने लगती है, कई बार धरती फट तक जाती है, कई बार हफ्तों तो कई बार कई महीनों तक ये ऊर्जा रह-रहकर बाहर निकलती है और भूकंप आते रहते हैं, इन्हें आफ्टरशॉक कहते हैं। गौरतलब है कि नीदरलैंड के एक साइंटिस्ट फ्रैंक हूगरबीट्स ने सोमवार (2 अक्टूबर) को भविष्यवाणी की थी कि पाकिस्तान में भूकंप आ सकता है लेकिन भारत में झटके महसूस किए गए हैं, ये लोगों को हैरत में डाल रहा है। फ्रैंक हूगरबीट्स ने ही इस साल की शुरुआत में तुर्किये और सीरिया में आए विनाशकारी भूकंपों की भविष्यवाणी की थी। बता दें कि दिल्ली भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील जोन-5 में माना जाता है।