आज भारत में सूर्य ग्रहण का जबरदस्त प्रभाव रहा। सूतक लगने के कारण देश के अधिकार धार्मिक स्थल के कपाट बंद रहे।
यह ग्रहण ग्रहण पूरे देश भर में देखा गया। साल के आखिरी सूर्य ग्रहण को देखने के लिए देश में करोड़ों लोगों की उत्सुकता देखी गई। बता दें कि इसके बाद 5 साल बाद यानी 2 अगस्त साल 2027 को भारत में सूर्य ग्रहण दिखाई देगा। अब सूर्य ग्रहण को देखने के लिए देशवासियों को 5 साल इंतजार करना होगा। यह आंशिक सूर्य ग्रहण यूरोप, उत्तर-पूर्वी अफ्रीका और पश्चिम एशिया के कुछ हिस्सों से दिखाई दिया। भारत में ये सूर्य ग्रहण अमृतसर, कुरुक्षेत्र, हरिद्वार, भुवनेश्वर, दिल्ली, बेंगलुरु, कोलकाता, चेन्नई, उज्जैन, वाराणसी, मथुरा, प्रयागराज, लखनऊ, हैदराबाद, पुणे, जम्मू, देहरादून, भोपाल, चंडीगढ़, नागपुर में दिखाई दिया। सूर्य ग्रहण भारतीय समय के अनुसार दोपहर 2 बजकर 29 मिनट पर आइसलैंड में शुरू हो गया है, जो सायंकाल 6 बजकर 20 मिनट पर अरब सागर में खत्म हुआ। वहीं भारत में यह सूर्य ग्रहण लगभग 4 बजकर 29 मिनट से शुरू होकर सायंकाल 6 बजकर 9 मिनट पर खत्म हुआ।
भारत में 4 बजकर 29 मिनट से सूर्य ग्रहण सूर्य ग्रहण शुरू हुआ। मुंबई में शाम 6.15 पर सूर्य ग्रहण दिखाई दिया। इस दुर्लभ नजारे को देश में करोड़ों लोगों ने देखा। भारत में सबसे पहले पंजाब के अमृतसर में सूर्य ग्रहण दिखाई दिया। वहीं दूसरी ओर उज्जैन, वाराणसी, प्रयागराज, हरिद्वार, कुरुक्षेत्र और मथुरा में ग्रहण के दौरान लाखों लोगों ने गंगा, सरोवर यमुना में स्नान किया। धार्मिक मान्यता है कि ग्रहण के दौरान स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है । इसके अलावा वैज्ञानिकों खगोल शास्त्रियों और ज्योतिषियों में सूर्यग्रहण को लेकर चैनलों में खूब डिबेट हुई। सभी लोगों ने सूर्यग्रहण को लेकर अपने-अपने तर्क दिए। वहीं दूसरी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में तारामंडल के सहयोग से खास चश्मा पहनकर सूर्य ग्रहण का दुर्लभ नजारा देखा को देखा। उसके बाद उन्होंने कहा कि ग्रहण देखना बहुत ही अद्भुत था। सीएम योगी ने कहा कि ब्रह्मांड में कई रहस्य छुपे हुए हैं इसे जानने की जरूरत है। भारत से पहले दुनिया के अलग-अलग देशों में सूर्य ग्रहण देखा गया। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के मुताबिक आज का सूर्य ग्रहण यूरोप, नॉर्थ-ईस्ट अफ्रीका, मिडिल ईस्ट और वेस्ट एशिया में दिखाई दिया। बता दें कि सूर्यग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के आंशिक रूप में आता है, जिससे पृथ्वी के स्थान विशेष से देखने पर सूर्य का आधा भाग ही नजर आता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ग्रहण का लगना एक खगोलीय घटनाक्रम है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के मध्य होकर गुजरता है।