अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ वॉर के बीच ग्लोबल पॉलिटिक्स बदलती दिख रही है। कभी भारत-चीन के रिश्तों में कड़वाहट होती थी वो अब धीरे-धीरे पटरी पर आ रहे हैं। पांच साल पहले लद्दाख में हुई झड़पों के बाद सीमा पर बढ़े तनाव के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के दौरे पर जा सकते हैं। उससे पहले वहां के विदेश मंत्री वांग यी एनएसए अजित डोभाल से मिलने के लिए भारत आ रहे हैं। अगले हफ्ते 18 अगस्त, 2025 को वांग यी भारत में अजित डोभाल से कई मुद्दों पर बातचीत करेंगे। वांग यी का ये भारत दौरा ऐसे समय पर हो रहा है, जब डोनाल्ड ट्रंप ने चीन और भारत दोनों पर ही हैवी टैरिफ लगाने की घोषणा की है।
बता दें कि चीन के विदेश मंत्री भारत दौरे पर आने वाले हैं। ऐसे में ड्रैगन ने भारतीय व्यापारियों के लिए ऐसा ऐलान कर दिया है जो एक्सपोर्ट को नई रफ्तार दे सकता है। भारत और चीन के बीच राजनीतिक तनाव कम होता जा रहा है। ऐसे में चीन के वाणिज्य मंत्रालय (MOFCOM) ने भारत से आयातित सिंगल-मोड ऑप्टिकल फाइबर पर लगाए गए एंटी-डंपिंग शुल्क की ‘सनसेट रिव्यू’ शुरू करने का ऐलान किया है। सनसेट रिव्यू वह प्रक्रिया होती है, जिसमें किसी देश द्वारा लगाए गए एंटी-डंपिंग या प्रोटेक्टिव शुल्क की अवधि खत्म होने से पहले उसकी आवश्यकता और जारी रखने पर रिव्यू किया जाता है।
बताया गया कि 14 अगस्त 2025 समीक्षा की शुरुआत होगी। इस दौरान यह तय होगा कि 7.4% से 30.6% तक के भारत पर लगाए गए भारी-भरकम शुल्क को हटाया जाए या घटाया जाए। भारत पर यह शुल्क साल 2014 से लगातार लगाया जा रहा है। आखिरी बार साल 2020 में इसे रिव्यू किया गया था। अगर यह शुल्क कम होता है तो भारतीय कंपनियों के लिए चीन का विशाल बाजार खुल जाएगा और एक्सपोर्ट में तेज़ उछाल आ सकता है।
पिछले एक दशक से ये ड्यूटी भारतीय निर्माताओं के लिए बड़ी दीवार बनी हुई थीं। 2020 में इसे पांच साल के लिए बढ़ा दिया गया था। ऑप्टिकल फाइबर टेलीकॉम, इंटरनेट इंफ्रास्ट्रक्चर और हाई-स्पीड डेटा नेटवर्क का अहम हिस्सा है और चीन इस क्षेत्र में दुनिया के सबसे बड़े उपभोक्ताओं में से एक है । ऐसे में टैरिफ में राहत मिलते ही भारत के टेक और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बड़ा ऑर्डर मिल सकता है।

