उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण (भराड़ीसैंण) में 19 अगस्त से शुरू हुआ विधानसभा का मानसून सत्र विपक्ष के भारी हंगामे की भेंट चढ़ गया। चार दिन के लिए प्रस्तावित यह सत्र दूसरे ही दिन यानी 20 अगस्त को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया।
सत्र के पहले दिन से ही विपक्ष ने सरकार को घेरने की रणनीति अपनाई और सदन में जमकर शोर-शराबा किया। दूसरे दिन भी कांग्रेस विधायकों ने अपनी मांगों को लेकर हंगामा जारी रखा। इसी अफरातफरी के बीच सरकार ने अहम विधायी कार्य निपटाते हुए 9 विधेयक पारित करवा लिए और ₹5,315.89 करोड़ का अनुपूरक बजट सदन से पास करा दिया।
भले ही मानसून सत्र का कार्यकाल चार दिन तय था, लेकिन विपक्षी हंगामे के चलते यह उत्तराखंड विधानसभा का सबसे छोटा सत्र साबित हुआ। महज कुछ घंटों की कार्यवाही में ही सरकार ने आवश्यक विधेयक और बजट पारित कराकर सत्र को समाप्त कर दिया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि आज विधानसभा में “उत्तराखण्ड अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक – 2025” पास कर दिया गया है। अभी तक अल्पसंख्यक संस्थानों की मान्यता केवल मुस्लिम समुदाय तक सीमित थी। वहीं मदरसा शिक्षा व्यवस्था में वर्षों से केंद्रीय छात्रवृत्ति वितरण में अनियमितताएं, मिड-डे मील में गड़बड़ियां और प्रबंधन में पारदर्शिता की कमी जैसी गंभीर समस्याएं सामने आई थी।
उन्होंने कहा कि इस विधेयक के लागू होने के साथ ही मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम तथा गैर-सरकारी अरबी और फारसी मदरसा मान्यता नियम 1 जुलाई 2026 से समाप्त हो जाएगा। अब सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध एवं पारसी समुदायों के शैक्षिक संस्थानों को भी पारदर्शी मान्यता प्राप्त होगी। यह न केवल शिक्षा की गुणवत्ता को सुदृढ़ करेगा बल्कि विद्यार्थियों के हितों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अब सरकार को अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थानों के संचालन की प्रभावी निगरानी एवं आवश्यक निर्देश जारी करने का अधिकार प्राप्त होगा। निश्चित तौर पर यह विधेयक शिक्षा को नई दिशा देने के साथ ही राज्य में शैक्षिक उत्कृष्टता और सामाजिक सद्भाव को भी और सुदृढ़ करेगा।
हंगामे के बीच सत्र स्थगन पर बोलीं विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी, विपक्ष ने रखीं ये मांगें
गैरसैंण में मानसून सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किए जाने पर विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी ने कहा कि सदन की गरिमा बनाए रखना सभी सदस्यों की जिम्मेदारी है। उन्होंने अफसोस जताया कि लगातार हंगामे की वजह से जनता से जुड़े अहम मुद्दों पर चर्चा नहीं हो पाई। अध्यक्ष ने सभी दलों से भविष्य में रचनात्मक सहयोग की अपील की।
वहीं कांग्रेस और विपक्षी दलों ने सरकार को घेरते हुए कई मुद्दे उठाए। विपक्ष की मुख्य मांगों में
बेरोजगारी और भर्ती घोटालों पर चर्चा,
विकास योजनाओं में पारदर्शिता,
आपदा प्रभावित क्षेत्रों में राहत और पुनर्वास,
तथा गैरसैंण को स्थायी राजधानी का दर्जा देने जैसे मुद्दे शामिल रहे।
इन मुद्दों पर जवाब न मिलने और चर्चा से बचने के आरोप लगाते हुए विपक्ष ने लगातार नारेबाजी की, जिसके चलते सदन की कार्यवाही बाधित होती रही और आखिरकार सत्र को समय से पहले ही समाप्त करना पड़ा।