संसद के शीतकालीन सत्र में 21 साल पहले दहशत भरा माहौल आज भी पूरा देश नहीं भुला सकता है, जान बचाने के लिए सांसद-मंत्री इधर-उधर भाग रहे थे, बहादुर जवानों ने आतंकियों के मंसूबे किए ढेर - Daily Lok Manch PM Modi USA Visit New York Yoga Day
July 4, 2025
Daily Lok Manch
राष्ट्रीय

संसद के शीतकालीन सत्र में 21 साल पहले दहशत भरा माहौल आज भी पूरा देश नहीं भुला सकता है, जान बचाने के लिए सांसद-मंत्री इधर-उधर भाग रहे थे, बहादुर जवानों ने आतंकियों के मंसूबे किए ढेर

सोमवार शाम को जब खबर आई कि अरुणाचल प्रदेश में चीनी सैनिकों और भारतीय जवानों के बीच झड़प हुई है। इसके बाद देशवासियों ने हमारे बहादुर जवानों के साहस को एक बार फिर नमन किया। ‌बता दें कि अरुणाचल प्रदेश के तवांग में 9 दिसंबर को चीनी और भारतीय जवानों के बीच झड़प में दोनों ओर से कई सैनिक घायल हो गए। ‌‌ इसके बावजूद जवानों ने चीनी सैनिकों को मुंह तोड़ जवाब दिया। यह पहली बार नहीं हुआ है जब देश के सैनिकों ने भारत की आन, बान,शान के लिए अपनी जान भी कुर्बान कर दी है। आज 13 दिसंबर को पूरा देश 21 साल पहले लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर में आतंकियों के हमले को कभी नहीं भूल सकता है। ‌ इन दिनों राजधानी दिल्ली में संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है। 21 साल पहले भी संसद में शीतकालीन सत्र आयोजित हो रहा था। केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी। ‌ 13 दिसंबर 2001 को संसद की कार्यवाही शुरू होते ही आतंकियों ने संसद भवन पर अटैक कर दिया था। इसके बाद वहां मौजूद सांसद मंत्री मंत्रियों में अफरा-तफरी मच गई और सब जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे चारों ओर गोलियों, विस्फोटों की आवाज से पूरा पार्लियामेंट थर्रा गया। ‌ उसी दौरान ड्यूटी पर मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने मोर्चा संभाला और आतंकियों का डटकर मुकाबला किया। लेकिन वह 5 घंटे संसद भवन में दहशत को आज भी पूरा देश भूल नहीं सकता है। आज उस घटना तो पूरे 21 साल हो गए हैं। आइए अब उस दिन क्या हुआ था सिलसिलेवार जानते हैं। देश में सबसे सुरक्षित और मजबूत मानी जाने वाली बिल्डिंग संसद भवन पर आतंकी हमला हुआ था। 13 दिसंबर, 2001 को जैश -ए-महम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के 5 आतंकी संसद भवन के परिसर तक पहुंचने में कामयाब रहे थे। उस दौरान संसद में शीतकालीन सत्र चल रहा था। संसद के विंटर सेशन में “महिला आरक्षण बिल” पर हंगामा जारी था। इस दिन भी इस बिल पर चर्चा होनी थी, लेकिन 11:02 बजे संसद को स्थगित कर दिया गया। इसके बाद उस समय के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और विपक्ष की नेता सोनिया गांधी संसद से जा चुके थे। तब के उपराष्ट्रपति कृष्णकांत का काफिला भी निकलने ही वाला था। करीब साढ़े ग्यारह बजे उपराष्ट्रपति के सिक्योरिटी गार्ड उनके बाहर आने का इंतजार कर रहे थे और तभी सफेद एंबेसडर में सवार 5 आतंकी गेट नंबर-12 से संसद के अंदर घुस गए। उस समय सिक्योरिटी गार्ड निहत्थे हुआ करते थे। ये सब देखकर सिक्योरिटी गार्ड ने उस एंबेसडर कार के पीछे दौड़ लगा दी। तभी आनन-फानन में आतंकियों की कार उपराष्ट्रपति की कार से टकरा गई। घबराकर आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी।




बहादुर जवानों ने आतंकियों को मार गिराया था, कई सुरक्षाकर्मी भी हुए थे शहीद–





हमला होते ही सुरक्षाबलों ने मोर्चा संभाला। आतंकियों के पास एके-47 और हैंडग्रेनेड थे, जबकि सिक्योरिटी गार्ड निहत्थे थे। इस बीच एक आतंकी ने गेट नंबर-1 से सदन में घुसने की कोशिश की, लेकिन सिक्योरिटी फोर्सेस ने उसे वहीं मार गिराया। इसके बाद उसके शरीर पर लगे बम में भी ब्लास्ट हो गया। बाकी के 4 आतंकियों ने गेट नंबर-4 से सदन में घुसने की कोशिश की, लेकिन इनमें से 3 आतंकियों को वहीं पर मार दिया गया। इसके बाद बचे हुए आखिरी आतंकी ने गेट नंबर-5 की तरफ दौड़ लगाई, लेकिन वो भी जवानों की गोली का शिकार हो गया। जवानों और आतंकियों के बीच 11:30 बजे शुरू हुई ये मुठभेड़ शाम को 4 बजे खत्म हुई। मारे गये आतंकियों में हैदर उर्फ तुफैल, मोहम्मद राना, रणविजय और हमजा शामिल थे। इस हमले में 5 आतंकी समेत 14 लोग मारे गये थे। इस आतंकी हमले में सबसे पहले कांस्टेबल कमलेश कुमारी यादव शहीद हुई थीं। इसके अलावा संसद के एक माली, संसद भवन में सुरक्षा सेवा के दो कर्मचारी और दिल्ली पुलिस के 6 जवान शहीद हो गए थे। इस आतंकी हमले के पीछे मोहम्मद अफजल गुरु, एसए आर गिलानी और शौकत हुसैन सहित पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई शामिल थे। संसद हमले के 12 साल बाद अफजल गुरु को 9 फरवरी, 2013 को फांसी दी गई थी।

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