उत्तर प्रदेश में ऐसा पहली बार हुआ है जब स्वास्थ्य मंत्री की अनुपस्थिति में बड़े पैमाने में सरकारी डॉक्टरों के ट्रांसफर कर दिए गए। स्वास्थ्य मंत्री और उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक जब लौटे तब वह भी आवाक रह गए। बता दें कि पिछले शनिवार और रविवार को दो दिवसीय भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में आयोजित हुई थी। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रदेश के उप मंत्री बृजेश पाठक समेत पार्टी शीर्ष नेता भी शामिल हुए थे। कार्यकारणी की बैठक के बाद जब उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक राजधानी लखनऊ पहुंचे तब सरकारी डॉक्टरों के ट्रांसफर के आदेश जारी हो चुके थे। अब स्वास्थ्य मंत्री डिप्टी सीएम बृजेश पाठक में अपनी बिना अनुपस्थित के किए गए सरकारी डॉक्टरों पर कड़ा एक्शन लिया है। बता दें कि राजधानी लखनऊ समेत अन्य जिलों के अस्पतालों से बड़े पैमाने पर डॉक्टरों का ट्रांसफर हुआ है।

डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य एवं चिकित्सा से ट्रांसफर मामले में जवाब-तलब किया है। डिप्टी चीफ मिनिस्टर बृजेश पाठक ने अपर मुख्य सचिव अमित मोहन से तबादले को लेकर स्पष्टीकरण मांगा है। बृजेश पाठक ने बताया कि इस पूरी प्रक्रिया में ट्रांसफर नीति का पालन नहीं किया गया। वहीं दूसरी ओर विपक्ष के नेता अखिलेश यादव ने सरकारी डॉक्टरों के किए गए ट्रांसफर पर तंज कसा है। अखिलेश यादव ने यहां लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि योगी सरकार को 5 साल 100 दिन की उपलब्धि बतानी चाहिए थी। सबसे बड़ी उपलब्धि की पोल तो तब खुल गई जब उनके डिप्टी सीएम (ब्रजेश पाठक) लखनऊ छोड़कर के गए और जब वापस आए तब उन्हें पता चला कि उनसे बिना पूछे ही ट्रांसफर हो गए। 100 दिन की यही उपलब्धि है और ये वो डिप्टी सीएम हैं जिन्होंने सबसे ज्यादा छापे मारे।