–पं. शंभू नाथ गौतम
करीब ढाई महीने पहले कांग्रेस आलाकमान ने उत्तराखंड विधानसभा चुनाव को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को चुनाव प्रभारी बनाया था। अब चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है। चुनाव प्रभारी के रूप में हरीश रावत राज्य के कांग्रेसी नेताओं पर अपना प्रभाव जमा नहीं पा रहे हैं, या कहें चुनाव को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रीतम सिंह और प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल के साथ हरीश रावत का सामंजस्य नहीं बैठ पा रहा है। इसी को लेकर बुधवार को पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का भीतर छुपा हुआ गुबार बाहर आ गया। उत्तराखंड चुनाव से कांग्रेस आलाकमान और स्थानीय नेताओं के बीच तालमेल न बन पाने के कारण पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत दो दिनों से देवभूमि की सियासत की सुर्खियों में है। विधानसभा चुनाव को देखते हुए शुरू हुए टिकट बंटवारे और पार्टी हाईकमान की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा न घोषित करने पर हरीश ने बगावती तेवर अपना रखे हैं। इसी को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने एक दिन पहले सोशल मीडिया में कांग्रेस हाईकमान की शैली पर सवाल उठाए थे। उन्होंने सियासी हलकों में यह कहकर हड़कंप मचा दिया कि पार्टी संगठन उनके साथ कथित तौर पर सहयोग नहीं कर रहा है और उनका मन सब कुछ छोड़ने को कर रहा है। इसके बाद उत्तराखंड कांग्रेस में अफरा-तफरी का माहौल शुरू हो गया है। हरीश रावत की नाराजगी ने कांग्रेस हाईकमान की चिंता बढ़ा दी है। यह सच है कि उत्तराखंड में हरीश रावत कांग्रेस के सबसे अधिक लोकप्रिय नेता हैं। पार्टी विधानसभा चुनाव में सत्ता पर काबिज होने के लिए पूरा जोर लगाए हुए है, ऐसे में हरीश की नाराजगी हाईकमान को भारी पड़ सकती है। इस बीच रावत को दिल्ली तलब किया गया है। कल (शुक्रवार) राहुल गांधी हरीश रावत से मुलाकात कर सकते हैं। रावत के साथ प्रीतम सिंह, राज्य के कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल, पार्टी नेता यशपाल आर्य भी दिल्ली पहुंचेंगे। मुख्यमंत्री चेहरा बनाए जाने, टिकट बंटवारे में पर्याप्त भागीदारी को लेकर हरीश रावत आलाकमान पर दबाव बना रहे हैं। उत्तराखंड कांग्रेस के प्रभारी देवेंद्र यादव से भी उन्हें शिकायत है। चर्चा यह भी है कि बात नहीं बनी तो 5 जनवरी को हरीश रावत देहरादून में कोई बड़ा एलान कर सकते हैं। बता दें कि चंद महीनों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव से पहले हरीश रावत ने बुधवार को ट्वीट किया था, ‘है न अजीब सी बात, चुनाव रूपी समुद्र को तैरना है, संगठन का ढांचा अधिकांश स्थानों पर सहयोग का हाथ आगे बढ़ाने के बजाय या तो मुंह फेर करके खड़ा हो जा रहा है या नकारात्मक भूमिका निभा रहा है ।उन्होंने कहा था, ‘सत्ता ने वहां कई मगरमच्छ छोड़ रखे हैं और जिनके आदेश पर तैरना है, उनके नुमाइंदे मेरे हाथ-पांव बांध रहे हैं। मन में बहुत बार विचार आ रहा है कि हरीश रावत, अब बहुत हो गया, बहुत तैर लिए, अब विश्राम का समय है। दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री रावत के इस ट्वीट के बाद पंजाब के पूर्व सीएम अमरिंदर सिंह ने उन पर कटाक्ष किया। उन्होंने रावत को टैग करते हुए ट्वीट किया, ‘आप जो बोते हैं, वही काटते हैं। भविष्य की योजनाओं (यदि कोई हो तो) के लिए शुभकामनाएं हरीश रावत।