भारतीय सेना की कैप्टन शिवा चौहान पूरे देश भर में चर्चा में हैं। सोशल मीडिया पर शिवा चौहान के जज्बे को सभी सराहना कर रहे हैं। हम बात कर रहे हैं कश्मीर में स्थित दुनिया के सबसे कठिन और ऊंचे युद्ध क्षेत्र सियाचिन की। देश में पहली बार कोई महिला ऑफिसर यहां पर तैनात हुई है। सियाचिन का नाम सुनते ही बर्फीले तूफान और तेज ठंड का अहसास होने लगता है। यहां पर भारतीय सैनिकों के लिए ड्यूटी करना सबसे कठिन माना जाता है। इसका बड़ा कारण है कि हमारे सैनिकों को खराब मौसम और सरहद के उस पार दुश्मनों से भी संभल कर रहना होता है। सियाचिन में दिन में भी पारा -21 बना रहता है। रात में करीब 10 डिग्री सेल्सियस और बढ़ जाता है। बता दें कि कैप्टन शिवा चौहान यहां तैनात होने वाली वह पहली महिला अधिकारी बन गई हैं। उनकी इस उपलब्धि की चर्चा पूरे देश में हो रही है भारतीय सेना के फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से कैप्टन शिवा चौहान की इस सफलता के बारे में खुद जानकारी दी है। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट करते हुए शिवा चौहान को शुभकामनाएं दी हैं।
ट्वीट में लिखा गया है कि फायर एंड फ्यूरी सैपर्स की कैप्टन शिवा चौहान दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र कुमार पोस्ट में ऑपरेशनल रूप से तैनात होने वाली पहली महिला अधिकारी बन गई हैं, Kumar Post में पोस्टिंग से पहले कैप्टन शिवा को कठिन प्रशिक्षण से गुजरना पड़ा था। फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स (Fire and Fury Corps) की कैप्टन शिवा चौहान सियाचिन ग्लेशियर के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र में तैनात होने वाली पहली महिला अधिकारी बनीं हैं, कैप्टन शिवा चौहान की तैनाती दुनिया की सबसे ऊंची रण भूमि सियाचिन ग्लेशियर के कुमार पोस्ट पर हुई है, सियाचिन ग्लेशियर पृथ्वी पर सबसे ऊंचा युद्ध का मैदान है।
भारतीय सेना के मुताबिक, सियाचिन बैटल स्कूल में एक महीने के कड़े प्रशिक्षण के बाद कैप्टन शिवा चौहान को सियाचिन ग्लेशियर की सबसे ऊंची सीमा चौकी, कुमार पोस्ट पर तैनात किया गया है। कुमार पोस्ट साढ़े 14 हजार फीट पर है और 12 महीने बर्फ से ढकी रहती है।सियाचिन को 1984 में मिलिट्री बेस बनाया गया था। तब से लेकर 2015 तक 873 सैनिक सिर्फ खराब मौसम के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं। सियाचिन ग्लेशियर पर 3 हजार सैनिक हमेशा तैनात रहते हैं। इन तीन हजार जवानों की सुरक्षा भी बेहद जरूरी है। भारत सरकार सियाचिन पर मौजूद जवानों हर दिन करीब 5 करोड़ रुपये खर्च करती है। इसमें सैनिकों की वर्दी, जूते और स्लीपिंग बैग्स भी शामिल होते हैं। सियाचिन ग्लेशियर पर ज्यादातर समय शून्य से कई डिग्री नीचे तापमान रहता है।
एक अनुमान के मुताबिक भारत और पाकिस्तान के कुल मिलाकर 2500 जवानों को यहां अपनी जान गंवानी पड़ी है। 2012 में पाकिस्तान के गयारी बेस कैंप में हिमस्खलन के कारण 124 सैनिक और 11 नागरिकों की मौत हो गई थी। बता दें कि सियाचिन ग्लेशियर में स्थित कुमार पोस्ट 15632 फीट की ऊंचाई पर है। सियाचिन ग्लेशियर दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र है। भारत और पाकिस्तान के जवानों के बीच सियाचिन ग्लेशियर में कई बार टकराव भी देखने को मिला है। यहां पारा दिन में -21 डिग्री और रात में -31 डिग्री रहता है। बर्फबारी के चलते यहां सैनिकों को राशन-पानी या कोई दूसरी मदद पहुंचाना भी मुश्किल होता है।