एक बार फिर चाचा-भतीजे में दूरियां बढ़ती जा रही हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव और चाचा शिवपाल यादव को करीब लाने में पूरा जोर लगा दिया था। तब जाकर अखिलेश, शिवपाल एक साथ चुनावी रैली के दौरान मंच पर दिखाई दिए। दोनों ने कई चुनावी रैली संयुक्त रूप से भी की। लेकिन विधानसभा चुनाव में सपा की हार के बाद अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के बीच फिर मनमुटाव शुरू हो गए। जिसकी शुरुआत पिछले दिनों लखनऊ सपा मुख्यालय में अखिलेश यादव ने विधायक दल नेता चुनने के लिए बैठक बुलाई थी । बैठक में अखिलेश को पार्टी का नेता चुना गया। साथ ही विधान मंडल दल का नेता भी अखिलेश को ही चुना गया। बैठक में शिवपाल यादव को नहीं बुलाया गया। बैठक में न बुलाए पर शिवपाल यादव नाराजगी भी बाहर आई थी। आज शाम एक बार फिर से अखिलेश यादव ने लखनऊ सपा मुख्यालय में गठबंधन दलों की बैठक बुलाई। बैठक के लिए शिवपाल यादव, ओम प्रकाश राजभर, पल्लवी पटेल, राजपाल बालियान को आमंत्रित किया गया था। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर, आरएलडी विधायक दल के नेता राजपाल बालियान और अपना दल के राष्ट्रीय महासचिव पंकज निरंजन, पल्लवी पटेल की जगह सपा कार्यालय पहुंचे। लेकिन आमंत्रित करने के बाद भी शिवपाल नहीं पहुंचे। चाचा-भतीजे में एक बार फिर से खटास शुरू हो गई है। फिलहाल जो हालात बन रहे हैं वह संकेत दे रहे हैं कि अखिलेश चाचा शिवपाल को सपा में न शामिल करके गठबंधन दलों के साथ देखना चाहते हैं। यानी शिवपाल यादव अपनी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) में ही बने रहे।
