बुधवार 22 मार्च हिंदू धार्मिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है। कल से चैत्र नवरात्रि और हिंदू नव वर्ष नव संवत्सर की शुरुआत होने जा रही है। नवरात्रि और नए विक्रम संवत के आगमन को लेकर पूरे देश में उत्साह, उमंग छा गया है। नवरात्रि का पर्व सुख-समृद्धि के लिए भी जाना जाता है। इन नौ दिनों तक भक्त मां की भक्ति में डूबे रहते हैं। वैदिक पंचांग के अनुसार इस बार नवरात्रि पर शुक्ल योग और ब्रह्म योग का संयोग होगा। ब्रह्म योग 22 मार्च को सुबह 9 बजकर 17 मिनट से 23 मार्च सुबह 6 बजकर 15 मिनट तक रहेगा। वहीं शुक्ल योग 21 मार्च की रात 12 बजकर 41 मिनट से 22 मार्च की सुबह 9 बजकर 17 मिनट तक रहेगा। ज्योतिष में इन योगों को महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है इन योगों में की गई पूजा का दोगुना फल व्यक्ति को प्राप्त होता है। चैत्र मास की नवरात्रि 22 मार्च से शुरू हो रही हैं और 30 मार्च नवमी को समाप्त होगी। नवरात्रि हिंदुओं के लिए बहुत ही पवित्र पर्व माना जाता है। नवरात्रि मां दुर्गा की आराधना का दिन होता है इन नौ दिनों में देवी मां की विशेष पूजा अर्चना की जाती है । देश में हर जगह नवरात्रि का त्योहार पूरे नौ दिनों तक धूमधाम से मनाया जाता है । चैत्र नवरात्रि के नौवें दिन रामनवमी आती है जिसे भगवान राम के जन्मदिवस के रूप में मनाते है । नवरात्रि पर मां दुर्गा के साथ भगवान राम की पूजा भी की जाती है । नवरात्रि पर दुर्गा देवी को प्रसन्न करने के लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है साथ ही नवरात्रि में रामायण का पाठ करना भी बहुत फलदायक होता है । भक्त 9 दिनों तक व्रत रखकर मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करता है। मान्यता है कि दुर्गा मां धरती पर आकर अपने भक्तों को अपना आशीर्वाद देकर उनकी सभी इच्छाएं पूरा करती हैं। 9 दिन मां दुर्गा के स्वरूपों को समर्पित रहते हैं। भक्त मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा करते हैं। देशभर के दुर्गा मंदिरों को आकर्षक ढंग से सजाया गया है।
अष्टमी को नौ कन्याओं को मां का स्वरूप मानकर पूजा की जाती है। ज्योतिष के अनुसार इस बार मां दुर्गा का आगमन नाव यानी नौका पर हो रहा है। जबकि, नवरात्रि की समाप्ति पर मां हाथी पर सवार होकर देवलोक को वापस जाएंगी। 9 दिन धार्मिक कार्यों के लिए बहुत ही शुभ माने जाते हैं। जिसमें लोग ग्रह प्रवेश, जमीन खरीदना, किसी प्रतिष्ठान या दुकान का उद्घाटन करना शुभ मानते हैं। नवरात्रि का पर्व 22 मार्च से शुरू होकर 30 मार्च तक चलेगा। इन सभी नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की आराधना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि पर कलश स्थापना के साथ पूजा स्थल पर जौ बोया जाता है। ऐसी मान्यता है कि जौ के बोने के बाद नौ दिनों तक जैसे जैसे जौ की ग्रोथ होती है उसी एक अनुसार शुभ और अशुभ संकेत मिलता है। अगर इन नौ दिनों में जौ खूब हरा भरा और बड़ा होता है तो ऐसा माना जाता है मां दुर्गा का आशीर्वाद आपके ऊपर है और जीवन में सुख-समृद्धि आने वाली है।
चैत्र नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहूर्त में घटस्थापना का विधान है–
चैत्र नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहूर्त में घटस्थापना का विधान है। शुभ मुहूर्त में मां दुर्गा की पूजा-अर्चना से विशेष फल प्राप्त होता है। 22 मार्च को सुबह 6 बजकर 29 मिनट से सुबह 7 बजकर 39 मिनट तकर कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त है। घटस्थापना के लिए साधक को 1.10 मिनट का समय मिलेगा। चैत्र नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना करने से 9 दिन की पूजा पुण्य फलदायी होती है । नवरात्रि के पहले दिन हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर मां के पहले स्वरूप शैलपुत्री की पूजा और कलश स्थापना की जाती है। मां दुर्गा की पूजा-उपासना से जातक को हर मुश्किल से छुटकारा मिल जाता है। पुराणों में कलश या घट स्थापना को सुख-समृद्धि, वैभव, ऐश्वर्य और मंगल कामनाओं का प्रतीक माना गया है। मान्यता है कि कलश में सभी ग्रह,नक्षत्रों, तीर्थों, त्रिदेव, नदियों, 33 कोटि देवी-देवता का वास होता है। इस दौरान पुरुषार्थ सिद्धि के लिए दुर्गा पूजन के साथ-साथ सप्तशती का पाठ भी किया जाता है। 30 मार्च को भगवान श्री राम का जन्म यानी रामनवमी मनाई जाएगी। नवरात्रि का प्रारंभ गजकेसरी योग, बुधादित्य योग, हंस योग, शश योग, धर्मात्मा और राजलक्ष्मण योग के साथ-साथ उत्तराभाद्रपद नक्षत्र जिसके स्वामी स्वयं शनि है, के साथ हो रहा है, इस वजह से यह पर्व और भी ज्यादा शुभ प्रभाव देने वाला होगा।

- 1- नवरात्रि पहला दिन (22 मार्च 2023, बुधवार): मां शैलपुत्री पूजा (घटस्थापना)
- 2- नवरात्रि दूसरा दिन (23 मार्च 2023 दिन, गुरुवार): मां ब्रह्मचारिणी पूजा
- 3- नवरात्रि तीसरा दिन (24 मार्च 2023 दिन, शुक्रवार): मां चंद्रघंटा पूजा
- 4- नवरात्रि चौथा दिन (25 मार्च 2023 दिन, शनिवार) : मां कुष्मांडा पूजा
- 5- नवरात्रि पांचवां दिन (26 मार्च 2023 दिन, रविवार): मां स्कंदमाता पूजा
- 6- नवरात्रि छठवां दिन (27 मार्च 2023 दिन, सोमवार) : मां कात्यायनी पूजा
- 7- नवरात्रि सातवं दिन (28 मार्च 2023 दिन, मंगलवार): मां कालरात्रि पूजा
- 8- नवरात्रि आठवां दिन (29 मार्च 2023 दिन, बुधवार): मां महागौरी
- 9- नवरात्रि 9वां दिन (30 मार्च 2023 दिन, गुरुवार) : मां सिद्धिदात्री

हिंदू नव वर्ष विक्रम संवत 2080 की भी होगी शुरुआत–
कल से ही नव संवत्सर यानी हिंदू नववर्ष (विक्रम संवत 2080) की भी शुरुआत हो रही है। मान्यता है कि नवरात्रि के पर्व तथा नव संवत्सर के प्रारंभ की तिथि से ही सृष्टि की रचना का क्रम शुरू हुआ था। विक्रमादित्य पंचांग अर्थात विक्रम संवत भी चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से ही प्रारंभ हुआ था इसलिए नव संवत्सर की शुरुआत के तौर पर मनाया जाता है। ब्रह्म पुराण के अनुसार, ब्रह्मा जी ने सृष्टि का आरंभ इसी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन से किया था। महापराक्रमी सम्राट विक्रमादित्य ने अपने नाम से संवत्सर का प्रारंभ भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन से किया, इसलिए इस संवत्सर को विक्रमी संवत्सर भी कहा जाता है। इस तरह 2079 वर्ष पूरे हो चुके हैं और 22 मार्च से विक्रमी संवत 2080 शुरू हो जाएगा। नव संवत्सर को लेकर हिंदू संगठनों में उत्साह और उमंग छाया हुआ है। सोशल मीडिया पर हिंदू नव वर्ष को लेकर शुभकामनाएं देने का सिलसिला भी शुरू हो गया है।
इस बार किस पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा? जानें सवारी का शुभ संकेत…
हिन्दू धर्म में जितनी मान्यता देवी-देवताओं की है, उतनी ही मान्यता पशु-पक्षियों की भी है, क्योंकि पशु-पक्षी, जैसे – शेर, बैल, गरुड़ आदि, देवी-देवताओं के वाहन अर्थात सवारी हैं, जिन्हें लोग पूजते भी हैं। इसी कड़ी में है दुर्गा माता की सवारी, जिस पर सवार होकर माता, नवरात्रि में आकर अपने भक्तों को दर्शन देती हैं। माता रानी के भक्त पूरे तन, मन और धन से उनके आगमन की तैयारी में लग जाते हैं और पूरा वातावरण ‘जय माता दी!’ के जयकरों से गुंजायमान रहता है। साथ ही, मां भवानी के मंदिरों में भक्तों की लम्बी-लम्बी कतारें देखने को मिलती हैं।
चैत्र नवरात्रि, इस बार 22 मार्च 2023 से शुरू हो रही है, जिसका समापन 30 मार्च 2023 को होगा। नवरात्रि के साथ ही 22 मार्च 2023 से हिन्दू नववर्ष नव संवत्सर 2080 भी शुरू हो रहा है। नवरात्रि में पूरे 9 दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है।
हर साल, नवरात्रि पर माता रानी का आगमन विशेष वाहन पर होता है, जिसका खास महत्व माना जाता है। मान्यता है कि नवरात्रि के पहले दिन, मां दुर्गा, भगवान गणेश, भगवान कार्तिकेय और अन्य देवी-देवताओं के साथ पृथ्वी लोक पर आती हैं।
वाहन का महत्व
हिन्दू धर्म में माता रानी के वाहन को शुभ-अशुभ फल का सूचक माना जाता है। इसका प्रकृति से लेकर मानव जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है, इसलिए माता रानी के वाहन को महत्वपूर्ण माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, माता रानी इस बार नौका में सवार होकर आ रही हैं। आइए जानते हैं कि माता रानी के नौका में आने का क्या है अर्थ?….
गजे च जलदा देवी क्षत्र भंग स्तुरंगमे।
नौकायां सर्वसिद्धिस्या दोलायां मरणंधुवम्।।
इसका अर्थ है कि जब मां दुर्गा, हाथी पर सवार होकर आती हैं तो अधिक वर्षा होती है। घोड़े पर जब मां दुर्गा सवार होकर आती हैं तो युद्ध के हालात पैदा होने के संकेत मिलते हैं, डोली में सवार होकर आने से महामारी के संकेत मिलते हैं और नौका पर सवार होकर आना सर्वसिद्धिदायक होता है। इस तरह से मां दुर्गा की हर सवारी से कोई ना कोई शुभ फल, प्राकृतिक आपदा, युद्ध, महामारी आदि के संकेत मिलते हैं।
क्यों खास है नौका की सवारी?
इस साल, चैत्र नवरात्रि 2023 पर मां दुर्गा की सवारी नौका है। नौका, जल परिवहन का साधन होती है। ऐसा माना जाता है कि जब मां दुर्गा, नौका पर आती हैं तो यह अच्छी बारिश और अच्छी फसल का संकेत होता है। नौका वाहन के साथ मां दुर्गा के आगमन या प्रस्थान करने का अर्थ होता है कि माता रानी से भक्तों को वह सब कुछ प्राप्त होगा, जो उन्हें चाहिए।
वार से तय होती है माता रानी की सवारी-
कहते हैं कि नवरात्रि का आरंभ अगर सोमवार या रविवार के दिन से होता है तो मां दुर्गा का वाहन, हाथी होता है। नवरात्रि अगर शनिवार या मंगलवार से शुरू होती है तो माता रानी, घोड़े पर सवार होकर आती हैं। गुरुवार या शुक्रवार से नवरात्रि की शुरुआत होने पर मां का आगमन डोली में होता है। वहीं, बुधवार से अगर नवरात्रि शुरू होती है तो मां दुर्गा का वाहन, नौका होता है।
कहते हैं कि नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा जितनी महत्वपूर्ण होती है, उतना ही महत्वपूर्ण होती है मां दुर्गा के आगमन और गमन की सवारी। इस बार मां का आगमन और गमन, दोनों ही शुभ संकते दे रहे हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस बार मां की आराधना करने वालों के सभी कार्य सिद्ध होंगे। वहीं, इस वर्ष, देवी दुर्गा का गमन, गुरुवार को हो रहा है। गुरुवार को मां भगवती, मनुष्य की सवारी से जाती हैं, जिससे भक्तों के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।