केंद्रीय चुनाव आयोग ने उद्धव ठाकरे को झटका देते हुए बड़ा फैसला सुनाया है। आयोग ने शुक्रवार 17 फरवरी को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गुट को शिवसेना का नाम और चुनाव चिह्न तीर-धनुष सौंप दिया। यानी असली शिवसेना अब शिंदे के पास चली गई है। चुनाव आयोग ने बताया कि उसने शिंदे गुट के पक्ष में फैसला विधानसभा में कुल 67 विधायकों में से 40 एमएलए का समर्थन उनके पास होने के कारण दिया है। वहीं संसद में भी शिंदे गुट के पास अधिक सांसद हैं। आयोग ने कहा कि 13 सांसद शिंदे गुट के साथ हैं, तो वहीं 7 उद्धव ठाकरे के साथ। चुनाव आयोग (EC) ने अपने फैसले में कहा कि शिवसेना का 2018 में संशोधित किया गया संविधान आयोग के रिकॉर्ड में नहीं है। EC ने कहा कि साल 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शिवसेना के 55 जीते हुए उम्मीदवारों में से एकनाथ शिंदे का समर्थन करने वाले विधायकों के पक्ष में लगभग 76 फीसदी वोट पड़े थे। न्यूज एजेंसी ANI के अनुसार, ‘चुनाव आयोग ने देखा कि शिवसेना का वर्तमान संविधान अलोकतांत्रिक है। बिना किसी चुनाव के पदाधिकारियों के रूप में एक गुट के लोगों को अलोकतांत्रिक रूप से नियुक्त करने के लिए इसे विकृत कर दिया गया है।

इस तरह की पार्टी की संरचना विश्वास को प्रेरित करने में विफल रहती है। आयोग ने यह भी पाया कि शिवसेना के मूल संविधान में अलोकतांत्रिक तरीकों को गुपचुप तरीके से वापस लाया गया, जिससे पार्टी निजी जागीर के समान हो गई। इन तरीकों को चुनाव आयोग 1999 में नामंजूर कर चुका था। इसी के साथ महाराष्ट्र में शिवसेना से अब उद्धव गुट की दावेदारी खत्म मानी जा रही है। जून 2022 में जब एकनाथ शिंदे ने तख्तापलट किया तो पार्टी में दो गुट उभर आए। पार्टी उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के समर्थकों के बीच बंट गई। शिंदे के तख्तापलट के कारण महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी सरकार गिर गई थी और उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बाद एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली और देवेंद्र फडणवीस राज्य के उपमुख्यमंत्री बने।
