Uttarakhand approves stricter land law उत्तराखंड का मूल स्वरूप बचाने के लिए धामी सरकार का "सख्त भू-कानून" - Daily Lok Manch PM Modi USA Visit New York Yoga Day
February 22, 2025
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उत्तराखंड

Uttarakhand approves stricter land law उत्तराखंड का मूल स्वरूप बचाने के लिए धामी सरकार का “सख्त भू-कानून”


19 फरवरी को कैबिनेट की बैठक में धामी सरकार ने सख्त भू कानून विधेयक को मंजूरी दे दी है। 21 फरवरी को विधानसभा सदन में भू कानून संशोधन विधेयक पारित कर दिया गया। धामी सरकार के इस सख्त भू-कानून के बाद प्रदेश में लंबे समय से हो रही जमीनों की अंधाधुंध खरीद-फरोख्त में कमी आएगी। उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने के बाद सीएम धामी ने सख्त भू कानून पर बड़ा फैसला लिया। जिसके तहत दूसरे राज्यों के लोग वहां खेती-किसानी की जमीन नहीं खरीद सकेंगे। राज्य के बाहर के लोगों को घर बनाने के लिए निकाय क्षेत्रों से बाहर 250 वर्ग मीटर जमीन खरीदने की अनुमति होगी, लेकिन एक परिवार का एक सदस्य जीवन में एक बार ही भूमि खरीद सकेगा। भूमि खरीद के समय यह शपथपत्र देना अनिवार्य होगा कि उसके या उसके परिवार के किसी भी सदस्य ने भूमि नहीं खरीदी है। नगर निकाय सीमा के अंतर्गत आने वाली भूमि का उपयोग केवल निर्धारित भू उपयोग के अनुसार ही किया जा सकेगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा- देवभूमि की सांस्कृतिक विरासत, पर्यावरण संतुलन और आमजन के अधिकारों की रक्षा हेतु सख्त भू-कानून आवश्यक था।






कोई द्वेष भावना नहीं। सभी अपने हैं। चाहे पहाड़ के हों या बाहरी हों। लेकिन इसके साथ यह भी जरूरी है कि कहीं ऐसा न हो जाए कि हम अपनी ही भूमि (देवभूमि) में “किराएदार” बनकर रह जाएं । क्योंकि इस प्रदेश (उत्तराखंड) के निर्माण में लंबी लड़ाई के साथ कुर्बानियां भी दीं हैं। हाल के कुछ वर्षों में उत्तराखंड में नियमों को ताक पर रख भूमि बेची जा रही थी उससे प्रदेश का “अस्तित्व” ही संकट में आ गया था। इसे देखते हुए “भू कानून” लाना जरूरी था। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पिछले तीन दिनों (19 से 21 फरवरी) के बीच बजट सत्र के दौरान विधानसभा सदन में अपने संबोधन और सोशल मीडिया पर भू-कानून को लेकर ट्वीट करते हुए यही संदेश दिया है। मुख्यमंत्री का कहना है कि हम पहाड़ी, मैदानी या बाहरी लोगों के विरोधी नहीं है बल्कि भूमाफियाओं पर अंकुश लगाना है, जो प्रदेश का अस्तित्व खत्म करने में लगे हुए हैं। धामी सरकार के इस सख्त भू-कानून के बाद प्रदेश में लंबे समय से हो रही जमीनों की अंधाधुंध खरीद-फरोख्त में कमी आएगी। उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने के बाद सीएम धामी ने सख्त भू कानून पर बड़ा फैसला लिया।जिसके तहत दूसरे राज्यों के लोग वहां खेती-किसानी की जमीन नहीं खरीद सकेंगे। प्रदेश में सख्त भू कानून लाने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कई महीनों से तैयारी कर रहे थे। पिछले साल मुख्यमंत्री ने इस विधेयक को बजट सत्र के दौरान लाने की घोषणा भी की थी। 18 फरवरी से उत्तराखंड का बजट सत्र शुरू हुआ। 19 फरवरी को आयोजित कैबिनेट की बैठक में धामी सरकार ने सख्त भू कानून विधेयक को मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में सख्त भू-कानून विधेयक पर मुहर लगा दी है। 21 फरवरी को विधानसभा सदन में भू कानून संशोधन विधेयक पारित कर दिया गया। इस कानून को पारित करने के बाद धामी सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है। वहीं, विपक्ष भी विरोध नहीं कर रहा है। राज्य में इस भू-कानून के पारित होते ही भूमि खरीद से जुड़े नए नियम लागू हो जाएंगे। भू-कानून को मंजूरी मिलने के बाद वर्ष 2018 के सभी प्रावधान निरस्त हो जाएंगे। इसके साथ ही बाहरी व्यक्तियों की भूमि खरीद पर भी प्रतिबंध लग जाएगा। उत्तराखंड बनने के बाद से ही बाहरी लोगों द्वारा जमीनों की अंधाधुंध खरीद विवादित मुद्दा रहा है। इसे देखते हुए 2003 में नारायण दत्त तिवारी सरकार ने प्रदेश के बाहर के लोगों पर पर्वतीय क्षेत्रों में जमीन खरीदने पर 500 वर्गमीटर की सीमा लागू कर दी थी। साथ ही 12.5 एकड़ तक कृषि भूमि खरीद की अनुमति देने का अधिकार डीएम को दिया गया। वर्ष 2007 में भुवन चंद्र खंडूरी ने 500 वर्ग मीटर की सीमा को घटाकर 250 वर्गमीटर किया गया। लेकिन 2018 में त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार ने 250 वर्गमीटर की सीमा को समाप्त कर दिया था। सख्त भू कानून लागू होने के बाद अनियंत्रित भूमि खरीद बिक्री पर रोक लग जाएगी और राज्य के मूल स्वरूप भी सुरक्षित रहेंगे।



उत्तराखंड के 11 जिलों में बाहरी राज्यों के लोग खेती और बागवानी की भूमि नहीं खरीद सकेंगे—




उत्तराखंड के 11 जिलों में बाहरी राज्यों के लोग हॉर्टिकल्चर और एग्रीकल्चर की भूमि नहीं खरीद पाएंगे। संशोधित कानूनों के तहत, राज्य की राजधानी देहरादून के साथ-साथ पौडी गढ़वाल, टेहरी गढ़वाल, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली, नैनीताल, पिथौरागढ, चंपावत, अल्मोडा और बागेश्वर जिलों में कृषि भूमि खरीद पर पूर्ण प्रतिबंध लागू होगा। हालांकि, हरिद्वार और उधम सिंह नगर जिलों में कृषि/बागवानी भूमि की खरीद की अनुमति होगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड विधानसभा में भू-कानून को अधिक सशक्त करते हुए ऐतिहासिक संशोधन विधेयक पास किया गया। देवभूमि की सांस्कृतिक विरासत, पर्यावरण संतुलन और आमजन के अधिकारों की रक्षा हेतु सख्त भू-कानून नितांत आवश्यक था। उन्होंने कहा कि यह कानून प्रदेश के हितों को सर्वोपरि रखते हुए अनियंत्रित भूमि खरीद-बिक्री पर रोक लगाएगा और राज्य के मूल स्वरूप को सुरक्षित रखेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह महत्वपूर्ण निर्णय उत्तराखण्ड की जनता की भावनाओं और आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। हमारी सरकार देवभूमि के सम्मान, संस्कृति और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हम कभी भी उनके विश्वास को टूटने नहीं देंगे। सदन में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने विधेयक में अनेक खामियां बताते हुए विधेयक को जल्दबाजी में पारित करने की बजाय उसे प्रवर समिति को सौंपने और एक महीने में रिपोर्ट मांगने की मांग की। मंगलौर के कांग्रेस विधायक काजी निजामुद्दीन ने भी इस मांग का समर्थन किया और कहा कि इस विधेयक के कुछ प्रावधान भू-माफिया को ‘पिछले दरवाजे से प्रवेश’ का मौका दे सकते हैं। कांग्रेस सदस्यों की चिंताओं का जवाब देते हुए सीएम धामी ने कहा कि विधेयक को सभी हितधारकों के साथ विभिन्न स्तरों पर विचार विमर्श के बाद तैयार किया गया है और इसमें बेहतरी के लिए सुझावों की गुंजाइश भी है।




प्रदेश में अब भू-कानून लागू होने के बाद जमीन खरीदने के लिए होंगे कड़े नियम–




9 नवंबर साल 2000 को उत्तर प्रदेश से बंटकर अलग राज्य बनने तक उत्तराखंड में जमीन खरीदने पर कोई रोकटोक नहीं थी। यहां तक कि स्टेट बनने के बाद भी इसपर खास एतराज नहीं लिया गया। नतीजा ये हुआ कि बाहरी लोग यहां आने और सस्ती जमीनें खरीदकर अपने मुताबिक इस्तेमाल करने लगे। धीरे-धीरे पहाड़ों के लोग परेशान होने लगे। चूंकि यहां टूरिज्म बहुत ज्यादा है, लिहाजा बाहरी लोग फार्म हाउस, होटल और रिजॉर्ट्स बनाने लगे हालात ये हुए कि स्थानीय लोगों को खेती के लिए जमीन कम पड़ने लगी। प्रदेश में लंबे समय से भू-कानून को लेकर मांग उठ रही थी । पिछले साल ही सरकार ने नया कानून लाने का फैसला किया। इसके लिए एक हाई लेवल कमेटी बनाई गई, जिसका काम मौजूदा लैंड लॉ को देखना और नए सिरे से उस पर रिपोर्ट तैयार करना था। कमेटी की सिफारिश पर सरकार ने नया ड्राफ्ट बनाया, जिसमें कई बदलाव हुए जिससे राज्य में खेती की जमीनों को सुरक्षित रखा जा सके। इस बार उत्तराखंड बजट सत्र में धामी सरकार ने प्रदेश में भू कानून विधेयक विधानसभा से पारित कर दिया । ‌वहीं धामी सरकार ने
2018 में तत्कालीन त्रिवेंद्र सरकार के 12.50 एकड़ से अधिक भूमि खरीद के प्रावधान को भी समाप्त कर दिया। इस कानून के लागू होने के बाद राज्य से बाहर के लोग हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर जिले को छोड़ बाकी 11 जिलों में कृषि और बागवानी की भूमि नहीं खरीद पाएंगे।
भूमि खरीद की अनुमति में जिलाधिकारी के अधिकार को सीमित कर दिया है। अब जिलाधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से भूमि खरीद की अनुमति देने का अधिकार नहीं होगा। भूमि खरीद की अनुमति अब शासन ही देगा।
सभी मामलों में सरकार के बनाए गए पोर्टल के माध्यम से प्रक्रिया पूरी करनी होगी। राज्य के बाहर के लोगों को घर बनाने के लिए निकाय क्षेत्रों से बाहर 250 वर्ग मीटर जमीन खरीदने की अनुमति होगी, लेकिन एक परिवार का एक सदस्य जीवन में एक बार ही भूमि खरीद सकेगा।
भूमि खरीद के समय यह शपथपत्र देना अनिवार्य होगा कि उसके या उसके परिवार के किसी भी सदस्य ने भूमि नहीं खरीदी है। नगर निकाय सीमा के अंतर्गत आने वाली भूमि का उपयोग केवल निर्धारित भू उपयोग के अनुसार ही किया जा सकेगा। यदि किसी व्यक्ति ने नियमों के खिलाफ जमीन का उपयोग किया तो वह जमीन सरकार में निहित हो जाएगी। विधेयक में यह प्रावधान भी किया गया है कि सभी जिलाधिकारियों को राजस्व परिषद और शासन को नियमित रूप से भूमि खरीद से जुड़ी रिपोर्ट सौंपनी होगी।
कृषि भूमि का भू-उपयोग परिवर्तन तभी संभव होगा, जबकि सरकार इसकी अनुमति देगी। कृषि भूमि पर प्लॉटिंग करने वालों पर हो सकेगी कड़ी कार्रवाई।मुख्यमंत्री ने कहा कि बीते कुछ वर्षों में देखा जा रहा था कि प्रदेश में लोगों द्वारा विभिन्न उपक्रम के माध्यम से स्थानीय लोगों को रोजगार देने के नाम पर जमीनें खरीदी जा रही थी। उन्होंने कहा कि भू प्रबंधन एवं भू सुधार कानून बनने के बाद इस पर पूर्ण रूप से लगाम लगेगी। इससे असली निवेशकों और भू माफियाओं के बीच का अंतर भी साफ होगा। राज्य सरकार ने बीते वर्षों में बड़े पैमाने पर राज्य से अतिक्रमण हटाया है। वन भूमि और सरकारी भूमियों से अवैध अतिक्रमण हटाया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आवासीय परियोजन के लिए 250 वर्ग मीटर भूमि क्रय हेतु शपथ पत्र अनिवार्य कर दिया गया है। शपथ पत्र गलत पाए जाने पर भूमि राज्य सरकार में निहित की जाएगी। सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योगों के अंतर्गत थ्रस्ट सेक्टर एवं अधिसूचित खसरा नंबर भूमि क्रय की अनुमति जो कलेक्टर स्तर से दी जाती थी, उसे समाप्त कर, अब राज्य सरकार के स्तर से दी जाएगी।



वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के पहाड़-मैदान को लेकर दिए गए बयान पर विपक्ष ने कड़ी आपत्ति जताई–



शुक्रवार 21 फरवरी को भू कानून संशोधित विधेयक पारित होने के दौरान वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के बयान पहाड़-मैदान को लेकर विपक्षी विधायकों ने कड़ी आपत्ति जताई। जिसको लेकर सदन में हंगामा भी हुआ। सदन में संसदीय कार्यमंत्री के बयान पर विपक्ष ने हंगामा कर दिया । नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल पर असंसदीय भाषा का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से कार्रवाई करने की मांग की। वहीं कांग्रेस विधायक मदन बिष्ट ने पहाड़ियों के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाया था। शनिवार को कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद ने सफाई भी दी। ‌वित्त मंत्री डॉ. प्रेमचंद अग्रवाल ने खेद प्रकट किया है। उन्होंने कहा है कि उत्तराखंड में रह रहे सभी लोग उनके परिवार हैं। परिवार के लोगों के समक्ष अनजाने में कही गई बात के लिए खेद प्रकट करने में उन्हें संकोच नहीं है। सदन के भीतर उनके द्वारा कही गई बात को तोड़ मरोड़कर पेश किया जा रहा है। मैंने कहा था कि सारे उत्तराखंड में देश के सभी हिस्सों के लोग रहते हैं। हम सभी उत्तराखंड के हैं और उत्तराखंड हमारा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड हमारे हृदय में समाया है। मैंने सारे उत्तराखंड की बात की थी। मेरे बयान में सारे शब्द को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मेरी बात से कई लोगों की भावनाएं आहत हो गई हैं, ऐसा मुझे महसूस हो रहा है। मेरी वजह से किसी को पीड़ा पहुंचे यह मेरा स्वभाव नहीं है। इसलिए जाने अनजाने जिस किसी को भी पीड़ा पहुंची है उसके लिए मैं हृदय से खेद व्यक्त करता हूं। उन्होंने कहा मुझे बहुत दुख है कि आज सदन में मुझे यह कहना पड़ रहा है कि मैं उत्तराखंड में हूं। उन्होंने कहा- मेरा जन्म यहीं हुआ है, इसका प्रूफ देने की मुझे जरूरत पड़ी तो वह भी दूंगा। संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के क्षेत्रवाद के बयान पर प्रदेशभर के लोगों ने आक्रोश जताया है।



राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी ने कैबिनेट मंत्री का पुतला फूंका, मांगा इस्तीफा



राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी के कार्यकर्ताओं ने आज कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल पर विधानसभा में उत्तराखंड के निवासियों के लिए अपशब्द का प्रयोग करने का आरोप लगाते हुए देहरादून विधानसभा के निकट नेहरू कालोनी चौराहे पर जमकर नारेबाजी करते हुए कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल का पुतला फूंका साथ ही मुख्यमंत्री से प्रेमचंद अग्रवाल को तत्काल मंत्री पद से हटाने की मांग की। यहा रीजनल पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवप्रसाद सेमवाल के नेतृत्व में एकत्रित हुए दर्जनों कार्यकर्ताओं ने नेहरू कालोनी चौराहे पर कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल पर विधानसभा में उत्तराखंड के निवासियों के लिए अपशब्द का प्रयोग करने का आरोप लगाते हुए कैबिनेट मंत्री के खिलाफ जमकर नारेबाजी की जिसके बाद आक्रोशित कार्यकर्ताओं ने प्रेमचंद अग्रवाल का पुतला दहन किया। इस मौके पर रीजनल पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवप्रसाद सेमवाल ने कहा कि जिस प्रकार से विधानसभा में ऋषिकेश के विधायक व मंत्री अग्रवाल ने उत्तराखंड के नागरिक के लिए अपशब्द का प्रयोग किया है, उससे प्रदेश का हर नागरिक शर्मिंदा है। उन्होंने कहा कि मंत्री अग्रवाल सत्ता के नशे में चूर होकर अपना मानसिक संतुलन खो चुके हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा विधायक सत्ता की हनक में अपनी वाणी पर संयम भी खो चुके हैं। जिसकी हम निंदा करते हैं तथा राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी इसका पुरजोर विरोध करती हैं। प्रदेश अध्यक्ष सुलोचना ईष्टवाल ने कहा कि जब तक कैबिनेट मंत्री अग्रवाल को पद से हटाया नहीं जाता तब तक विरोध जारी रहेगा। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग करते हुए कहा कि प्रदेश की जनभावनाओं को देखते हुए कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल को तत्काल मंत्री पद से हटाया जाए।
इस अवसर पर राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी के संरक्षक सुरेश चंद्र जुयाल, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संजय डोभाल, विनोद कोठियाल, सुरेंद्र चौहान, प्रांजल नौडियाल, प्रमोद काला, पंकज उनियाल, मनोज कोठियाल विजय उनियाल, दयानंद मनोरी , शांति चौहान, मीना थपलियाल, शशि रावत, शोभित भद्री , मंजू बहुगुणा, रेनू नवानी, सुमन रावत आदि तमाम कार्यकर्ता शामिल थे।

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