लखनऊ में शुक्रवार शाम को आयोजित मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान सभी की निगाहें अचानक राज्य मंत्री बनाए गए एकमात्र मुस्लिम चेहरा 32 वर्षीय दानिश आजाद अंसारी पर आकर टिक गई। उसके बाद सभी ने राज्य मंत्री दानिश अंसारी की खोज खबर करनी शुरू कर दी। क्योंकि कई अधिकांश लोगों को उनके बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं था, न उनके मंत्री बनाए जाने की पहले से कोई चर्चा थी। क्योंकि दानिश अंसारी भाजपा में पिछले काफी समय से पर्दे के पीछे ज्यादा काम करते रहे हैं। इस बार यूपी विधानसभा चुनाव में भी अंसारी ने मुस्लिम वोटों पर भाजपा के लिए फायदा कराया। योगी सरकार के पहले कार्यकाल में अल्पसंख्यक मंत्री रहे मोहसिन रजा के स्थान पर दानिश आजाद अली को राज्य मंत्री पद की शपथ दिलाई गई । आइए जानते हैं इनके बारे में। यूपी के बलिया के गांव अपायल के निवासी दानिश पिछले करीब 12 वर्षों से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़े हैं। दानिश के पिता समीउल्लाह अंसारी बलिया में रहते हैं। वे अकेले भाई हैं। उनकी एक बहन है जिनकी शादी हो चुकी है। दानिश आजाद ने बारहवीं तक पढ़ाई बलिया से ही की है। उसके बाद लखनऊ विश्वविद्यालय से एडमिशन लिया था। उन्होंने 2006 में बीकॉम किया। लखनऊ विश्वविद्यालय से मास्टर ऑफ क्वालिटी मैनेजमेंट और मास्टर ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन की पढ़ाई की है। दानिश 2011 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ गए। उसके बाद वह लगातार एबीवीपी में सक्रिय रहे। इसके साथ उन्होंने भाजपा की नीतियों का भी प्रचार प्रसार किया। साल 2017 में यूपी में भाजपा की सरकार बनने के बाद दानिश अली मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के करीब आए। साल 2017 में योगी सरकार ने दानिश को उर्दू भाषा समिति का सदस्य बनाया। उसके बाद इस बार विधानसभा चुनाव से कुछ समय पहले उन्हें भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा का महामंत्री बनाया गया। बता दें कि योगी सरकार के पूर्व मंत्री मोहसिन रजा शिया समुदाय से आते हैं। जबकि दानिश अली सुन्नी समुदाय के अंसारी समाज से आते हैं। अंसारी ने विधानसभा चुनाव के दौरान कड़ी मेहनत की। यही नहीं इस बार भाजपा का मुस्लिम समाज में वोट प्रतिशत बढ़ाने में भी दानिश की अच्छी खासी मेहनत रही। इसी का इनाम योगी सरकार ने दानिश को राज्यमत्री बना कर दिया है।
