उत्तराखंड के जोशीमठ में भू-धंसान की वजह से कई मकानों में दरारें पड़ गई हैं। जोशीमठ के लोगों में दहशत व्याप्त हैं। शनिवार 7 जनवरी को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जोशीमठ में प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण करने के बाद प्रभावित क्षेत्रों का जायजा भी लिया। यहां करीब 561 घरों में दरार आ गई है। सीएम धामी ने आगे कहा कि हमारा प्रयास सभी को सुरक्षित बचाना है, आवश्यक व्यवस्था के लिए तैयारी की गई है। हमारा पहला काम लोगों को सुरक्षित इलाकों में पहुंचाना है। काम कर रहे भूवैज्ञानिक, इसरो के साथ गुवाहाटी और आईआईटी रुड़की की टीम भी काम कर रही है। हर कोई कारणों की तलाश कर रहा है। हम इस बात पर भी विचार कर रहे हैं कि क्या लोगों को यहां से पलायन करने और पुनर्वासित करने की जरूरत है। हम इसके लिए जगह भी तलाश रहे हैं. फिलहाल यह सर्दी का मौसम है। इसलिए, हम उन मुद्दों पर गौर कर रहे हैं जिन पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जोशीमठ पहुंचे तो प्रभावित उनके सामने फूट-फूटकर रो पड़े। इस दौरान कई लोगों ने सीएम धामी को घेर लिया। लोग रो-रोकर सीएम के सामने अपना घर बचाने के लिए गुहार लगा रहे थे। सीएम ने प्रभावितों को आश्वासन दिया कि सरकार हर मुश्किल में उनके साथ खड़ी है। वहीं प्रभावितों ने सीएम को अपना दुखड़ा सुनाया।


वहीं दूसरी ओर ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने जोशीमठ के लोगों के लिए विशेष राहत पैकेज की मांग की है। उत्तराखंड के जोशीमठ में बड़े पैमाने पर जारी निर्माण गतिविधियों के कारण जमीन धंसने और इमारतों में दरार पड़ने से स्थानीय लोगों के जीवन पर खतरा मंडराने लगा है। विकास के नाम पर हिमालयी क्षेत्र को सुनियोजित तरीके से बर्बाद करने का आरोप लगाते हुए शंकराचार्य ने कहा कि सीमावर्ती नगर में रह रहे हजारों लोगों का जीवन खतरे में है।